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सरस्वती
[ भाग ३६
जैनमुनि उपाध्याय आत्माराम जी पंजाबी, और मूल्य १-योग-दृष्टि-लेखक, श्री परमहंस स्वामी स्वरूपा२) है।
नन्द तीर्थ हैं। पृष्ठ-संख्या ६६. मल्य ||-॥ है। पता२०-२७-गीता प्रेस, गोरखपुर से प्रकाशित व्यवस्थापक, नित्याश्रम, पो० लोहाघाट (अलमोड़ा) है। पाठ पुस्तके
इस पुस्तक के श्रावरण-पृष्ठ पर लिखा है- "मंत्र(१) मुमुक्षु सर्वस्वसार (हिन्दी अनुवाद-सहित, -
योग, हठ-योग, लय-योग, राजयोग तथा वर्णाश्रम-धर्म, अनुवादक, श्री मुनिलाल और मूल्य ॥-) है ।
आचार, अछूतोद्धार इत्यादि विविध विषयों पर प्रकाश (२) प्रेम-दर्शन (भक्ति-सूत्र)-टीकाकार, श्री हनुमान
डालते हुए ब्रह्मनिर्वाण का मार्ग दिखलानेवाला अत्युत्तम
अनुभूत ग्रन्थ" । परन्तु पुस्तक पढ़ने पर हमें बड़ी निराशा प्रसाद पोद्दार, और मूल्य |-) है।
(३) केनोपनिषद्-मूल्य ॥) है। (४) काठोपनिषद्---मूल्य ।।-) है।
। प्रस्तुत पुस्तक के लिखे जाने का मुख्य कारण, (५) मुण्डकोपनिषद्-मूल्य |a) है।
प्रकाशक महोदय ने अपने प्रारम्भिक वक्तव्य पृष्ठ (च)
में लिखा है, सनातनधर्म का ह्रास और सुधारकों-द्वारा (६) प्रश्नोपनिषद्-मूल्य IS) है। (७) ईशावास्योपनिषद्-मूल्य ) है ।
किया गया अछूतोद्धार का होना सुनकर स्वामी जी के (८) श्री गोविन्ददामोदरस्तोत्र—टीकाकार पंडित
करुण हृदय (१) का द्रवीभूत होना। इस पुस्तक के पढ़ने
से स्पष्ट प्रतीत होता है कि लेखक और प्रकाशक दोनों ने प्रभुदत्त ब्रह्मचारी, और मूल्य -॥ है। २८-कर्त्तव्य-शिक्षण (हिन्दू-लॉ)—प्रकाशक, पंडित
वर्तमान हरिजन-आन्दोलन तथा मन्दिर प्रवेश आदि विश्वेश्वरदयालु जी वैद्यराज, बरालोकपुर, इटावा और
विषयों का समुचित अध्ययन नहीं किया है। केवल सुनी
सुनाई बातों के आधार पर उन्हें यह भ्रम हो गया है कि मूल्य ॥) है। ___ २९-जीवन (कविता)-लेखक, श्री राजाराम शुक्ल
अछूतोद्धार अथवा हरिजन-अान्दोलन के प्रवर्तक नेता (राष्ट्रीय श्रात्मा), प्रकाशक, मित्र-मंडल-कार्यालय, प्रानन्द
इस आन्दोलन की अोट में देश से हिन्दू-वर्ण-व्यवस्था
को उठा देना और पारस्परिक अन्तर्जातीय विवाह तथा बाग़, कानपुर हैं और मूल्य ११) है।
सहभोज का प्रचार करना चाहते हैं। इसका परि३०-३१-श्री अम्बिकादत्त त्रिपाठीलिखित,
गणाम यह हुआ है कि पुस्तक में सभी वर्णित विषयों का साहित्यसागर कार्यालय सुइथा कलां, .
इसी आन्दोलन के निराकरण तथा विरोध में पर्यवसान जौनपुर से प्रकाशित दो पुस्तकें
हुआ है। (१) कृष्णा-कुमारी (कविता)-मूल्य ।) है।
प्रकाशक तथा लेखक दोनों ही अछूतोद्धार के (२) भंग में रंग-मूल्य ।) है।
अान्दोलन को “प्रज्ञाविहीन प्रकृतिगत कामल प्रेम और ३२-श्रीमद्भगवद्गीता-सम्पादक, पंडित श्री करुणा" से चलाया हुअा और देश को पतन की ओर माधव शर्मा, 'श्रीगीतार्थप्रकाश' कार्यालय, ३५।१३, ले जानेवाला समझते हैं। प्रकाशक महोदय का तो जंगमबाड़ी, काशी (यू० पी०) है और वार्षिक मूल्य कहना है कि "अछूत-व्यवस्था निर्धारित करके ऋषियों ४) है।
ने भारत का महान् कल्याण किया है ।" वे अछूतपन ३३-अमी (गुजराती)-लेखक, श्री जयेन्द्र राय को वैज्ञानिक आधार पर स्थित और सनातन-धर्म का भगवानलाल दुर्काल एम० ए०, अहमदाबाद और मूल्य “एक अपरिहार्य अंग समझते हैं ।" लेखक महोदय ने १॥) है।
भी सत्त्व, रज, तम की त्रिगुणात्मक सृष्टि-प्रक्रिया में गुणों के तारतम्य से वर्ण-व्यवस्था को माना है।
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