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हम लोग एक ऐसा ग्रंथ प्रकाशित कर रहे हैं जिसमें सुदामापुरी का कलाकार
वर्तमान हिन्दी-लेखकों, हिन्दी-कवियों और हिन्दी-साहित्यश्री दाऊदत्त उपाध्याय, बम्बई, से लिखते हैं
पोषकों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। इसके लिए अगस्त की 'सरस्वती' में 'सुदामापुरी का कलाकार आवश्यक सामग्री का संकलन बहुत-कुछ किया जा चुका के शीर्षक से श्री जगन्नाथ अहिवासी का परिचय छपा है। है । इसके पहले भी पत्रों में सूचना प्रकाशित कराई गई उस लेख से एक बात का भ्रम फैल सकता है। श्री थी, जिसके फल-स्वरूप अनेक सजनों ने सामग्री भेजने की श्रहिवासी जी सुदामापुरी के कलाकार नहीं हैं, किंतु वे कृपा की । अब ग्रंथ तैयार हो चला है। अति शीघ्र प्रेस बेज-निवासी हैं। उनका जन्म संयुक्त प्रान्त में मथुरा में दे दिया जायगा। जिन सजनों ने अपना संक्षिप्त परिचय जिले के 'बलदेव' नामक स्थान में हया है। अहिवासी अब तक न भेजा हो, वे शीघ्र ही भेज देने की कृपा करें । उपाधि भी वहीं के ब्राह्मणों की है। पर वे तीन महीने के यह ग्रंथ सचित्र होगा और प्रतिवर्ष इसका नवीन संस्करण अल्पवय में ही सौराष्ट्र चले आये थे, पोरबंदर में उनके निकला करेगा । अाशा है, हिन्दी में ऐसे ग्रंथ की श्रावपिता जीविकावश निवास करते थे। उनका पालन-पोषण श्यकता समझकर समस्त साहित्य-सेवी हमारी सहायता पोरबन्दर में ही हुश्रा; और कला भी वहीं सीखी, अतएव करेंगे । इसका श्रेय काठियावाड़ और बम्बई को ही है । परन्तु जन्म-स्थान के बारे में जो भ्रम फैलाया जाता है, ठीक नहीं है। उनका सम्बन्ध अपनी जन्म-भूमि से अद्यावधि
हिन्दी-लेखक-संघ बना हुआ है और उनके समस्त पारिवारिक कार्य अभी उपर्युक्त संघ के मंत्री श्री प्रेमनारायणजी अग्रवाल के तक वहीं सम्पन्न होते हैं, और वे प्रतिवर्ष वहाँ जाते हैं। हिन्दी के लेखकों आदि के नाम एक अपील निकाली है। घरबार भी वहीं है. जगह-ज़मीन भी । वास्तव में अहिवासी उसमें वे इस प्रकार लिखते हैंजी भारत के अन्तर्राष्ट्रीय कलाकार हैं। उनका शिष्य- हिन्दी-लेखक-संघ की ओर से 'हिन्दी-जगत' नामक समुदाय बहुत बड़ा है और वह उच्च श्रेणी का है। इसके साहित्यिक विवरण-पुस्तक के प्रकाशन का आयोजन किया बारे में लिखने का विचार था, सामग्री भी जुटाई, परन्तु जा रहा है। इस ग्रन्थ में साहित्य-सम्बन्धी आवश्यक तथा एक परिचय प्रकाशित हो चुका है तब वही काफ़ी है।
उपयोगी सामग्री एकत्र करने का विचार है । इस हेतु हमें हिन्दी-जगत् की समस्त ज्ञातव्य बातें एकत्र करनी हैं।
हमने विवरण-पुस्तक में अन्य बातों के अतिरिक्त हिन्दी. लेखकों और कवियों से नम्र निवेदन लेखकों, प्रकाशकों, पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तक-विक्रेताओं,
लहेरियासराय (बिहार) के पुस्तक-भंडार-प्रबन्धक साहित्यिक संस्थाओं आदि का पूरा परिचय भी समाविष्ट लिखते हैं
करने का निश्चय किया है। इस प्रकार जनता को इन ४४८
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