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सरस्वती
[भाग ३६
पोशाक पहनी और पानी में प्रवेशकरनाशुरू किया। पानी बहुत ही ठंडा था, और लहरें जोर जोर से चली आ रही थीं। समुद्र में नहाने का मेरा यह पहला अवसर था, कुछ भय मालूम हुआ। लेकिन सचमुच किसी नदी में नहाने की अपेक्षा समुद्र में नहाना कम खतरनाक है। किनारे पर डूबने की कोई आशंका नहीं होती, और लहरों के कारण देह ऊपर ही उठी
[ केम्प में खाने की स्वतन्त्रता, रहती है । कुछ देर तैरने के बाद देह में गर्मी आगई, और ठंड का लगना पीछे ये लोग सब कुछ करने को तैयार हैं। जब धूप कम हुआ। रबड़ के एक गेंद से आपस में खेलना में पड़े पड़े इनकी देह लाल हो जाती है तब तेल शुरू किया। लेकिन जब मुँह में समुद्र का खारा और क्रीम लगाते हैं और पाउडर का व्यवहार करते पानी चला जाता तब सारा मज़ा बिगड़ जाता था। हैं। वह सब भी फेशन में शामिल है। यहाँ के
लगभग बीस मिनट के बाद हम लोग पानी के लोगों में समुद्र-स्नान और सूर्य-स्नान की कए प्रकार बाहर निकले । देह पोंछ कर धूप में लेटने की की बीमारी-सी हो गई है। अखबारों और पत्रिठहरी। मैं भी सब लोगों की तरह छाती के बल काओं में भाँति भाँति के मनोरंजक कार्टून इस लेटकर सूर्य-स्नान का मज़ा लेने लगा। लेकिन कुछ विषय पर निकला करते हैं, लोगों का मजाक बनाया देर बाद तो मेरा सारा बदन जलने लगा। मैंने जाता है, लेकिन फैशन में किसी प्रकार की कमी उठकर अपने कपड़े पहने और चट्टान के पास साया नज़र नहीं आती। में जाकर बैठ गया। साथ के हिन्दुस्तानियों ने समुद्र से वापस आकर हम लोगों ने खुले में भी यही किया। लेकिन कुछ लोग तो बहत देर खाना खाया। अब कुछ बदली-सी होगई थी और तक पड़े ही रहे । और भी लोग समुद्र के किनारे ठंडी हवा बह रही थी। इंग्लैंड में पहली बार खुले बहुत दूर तक लेटे थे। कुछ लोगों की तो देह बिल- मैदान में खाने का अवसर मिला । कुछ लोगों का कुल लाल होगई थी। न जाने ये लोग किस प्रकार विचार है कि यहाँ मांस खाये बिना काम नहीं इतनी देर तक सूर्य-स्नान या कहिए सूर्य-ताप का चल सकता। लेकिन व्यक्तिगत अनुभव से मैं कह उपभोग करते रहते हैं ? माना कि धूप स्वास्थ्य के सकता हूँ कि लन्दन को छोड़कर बाहर गाँवों में भी लिए लाभदायक होती है, लेकिन आखिर इसकी आराम से निरामिष भोजन प्राप्त हो सकता है। कुछ हद भी तो है। सच तो यह है कि यहाँ अगर रोटी, फल, दूध, आलू और कुछ हरी तरकारी सब एक बार कोई फैशन चल जाता है तो उसको काबू जगह मिल सकती है। अगर कोई अंडा खाता हो में रखना बहुत ही कठिन हो जाता है। फैशन के तब तो किसी प्रकार की भी कठिनाई नहीं हो
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