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___ संख्या ५]
कोयासान्
रक्खा गया। तब से कोयासान् उनके शिङ्-बोन्-सम्प्रदाय का केन्द्र बन गया। आजकल भी कोबोदाइशी के अनुयायियों की संख्या नबासी लाख के करीब है, और उनके मंदिर बारह हज़ार से अधिक हैं। मंत्र और पूजा का मान्य करने से जापान के इस सम्प्रदाय के भिक्षत्रों को कुछ संस्कृत-मंत्र तथा सातवीं शताब्दी में प्रचलित उत्तरी भारत की लिपि को ज़रूर सीखना पड़ता है।
५ अगस्त को जल-पान के बाद श्री मीज़हारा के साथ हम दर्शनार्थ निकले। दो मील से अधिक दूर तक फैले इस संघाराम में सौ से ऊपर मठ हैं। हर एक मठ में कितने ही पुराने कलाकारों के चित्र या मूर्तियाँ हैं। कितनी ही पुरानी स्मृतियों से युक्त श्रावास हैं, किन्तु उनका देखने के लिए महीनों चाहिए । इसलिए हमें प्रधान प्रधान स्थानों को देखकर ही संतोष करना था । पहाड़ पर देवदार वृक्षों के नीचे स्थापित लाल स्तूप को देखते हुए हम दाइतो (महास्तूप) के पास गये। इस स्तूप को पहले-पहल कोबोदाइशी ने बनाया था, किन्तु काठ का होने से इसमें कई बार आग लगी, और कई बार इसका पुनर्निर्माण हुआ। -११४६ ईसवी में शोगुन (ताइरानो) कियोमोरी ने इसका पुनर्निर्माण कराया और अपने रक्त से लिखित मंडल-चित्र को इसमें स्थापित किया। वह चित्र आज भी यहाँ के म्यूज़ियम में सुरक्षित है। १६० फुट ऊँचा यह स्तूप कोयासान् की अत्यन्त भव्य इमारतों में है। कुछ वर्ष
[ोकुना-इन् ] पूर्व यह आग से जल गया था, अभी पुनर्निर्माण का काम थी, उसी समय सीमेंट निर्मित नई इमारत तैयार हुई। समाप्त नहीं हुआ।
हाते से बाहर किन्तु थोड़ी ही दूर पर रेइहोकान् पास में ही मिए इदो है। इसमें राजकुमार शिन्न्यो - (संग्रहालय) है। इसमें पाँच हज़ार मूर्तियाँ, चित्रपट तथा द्वारा अंकित कोबोदाइशी का चित्र है। राजकुमार कोबो- दूसरी चीजें संगृहीत हैं। इन वस्तुओं में कितनी ही राष्ट्रीय दाइशी के दस प्रधान शिष्यों में थे । इस चित्र को उन्होंने निधि मानी गई हैं। जापान भर के मठों और मंदिरों में अपने गुरु की मृत्यु से ६ दिन पूर्व समाप्त किया था। जहाँ कहीं भी कला, इतिहास या दूसरी दृष्टि से कोई कहावत है कि इस चित्र की आँखों पर कोबोदाइशी ने अधिक महत्त्वपूर्ण मूर्ति चित्र आदि हैं, उन्हें सरकार ने स्वयं तूलिका फेरी थी।
राष्ट्रीय निधि के तौर पर दर्ज कर लिया है । और ऐसी राष्ट्रीय कुछ दूर पर इसी हाते में कुन्दो विहार है। इसे निधि की सुरक्षा आदि के लिए विशेष नियम और प्रबन्ध भी कोबोदाइशी ने बनाया था, किन्तु मूल-विहार कई किये गये हैं। कोयासान् के विहारों में ऐसी राष्ट्रीय निधियाँ बार आग से जला और नया बना है। पिछले वर्ष कई सौ हैं। संस्थापक के निर्वाण की एकादश शताब्दी मनाई गई वहाँ से कोयासान् कालेज में गये। कोयासान् के
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