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मंख्या ५]
इंग्लैंड में विद्यार्थियों के छुट्टी के खेल और विनोद
बड़ी रौनक रहती है। जनता के मनोरंजन के लिए कार्ड में कोई विशेष बुरी बात नहीं निकली। इसी एक बड़े अच्छे बैंड का भी इन्तिजाम है। लेकिन प्रकार की मशीनें बहुत-सी थीं। सचमुच बड़ा सबसे अच्छा स्थान पियर के ऊपर है, जहाँ ठंडी विनोद और मनोरंजन होता है। ठंडी हवा बराबर चलती रहती है। समुद्र के ऊपर हमारा कैम्प एक हफ्ते तक रहा। इम्तिहान के कुछ दूर तक एक पुल बाँधा गया है और जनता के बाद मैंने तो खूब ही मज़ा किया । चिन्ता रहित विनोद के लिए उस पर भिन्न भिन्न प्रकार की मशीनें होकर खूब खेला, नहाया, खाया और घूमा। सब लगाई गई हैं। शाम को बहुत-से लोग इस पियर लोग वोली-बॉल खेलकर हर रोज़ समुद्र-स्नान के के ऊपर घूमते हैं और मशीनों द्वारा अपना भाग्य लिए जाते और फिर शाम को घूमने चलते थे। आजमाते हैं। एक मशीन में एक पेनी डालने से एक दिन पास ही एक नदी में नौका-खेवाई की। हाथ की रेखाओं का अर्थ मिलता था, दूसरी नदी छोटी ही थी, किन्तु दोनों ओर बड़ा सुहावना मशीन में चरित्र बतलाया जाता था। मेरे एक था। पास ही गाँव में चढ़ने के घोड़े भी किराये पर मित्र ने एक पेनी डाली और उनके चरित्र का एक मिलते थे। कुछ लोगों ने एक दिन जीन-सवारी का कार्ड उसमें से निकला। उसका पहला वाक्य था- भी आनन्द लिया। भारतवर्ष में भी यदि इस "तुम बड़े ही बदमाश हो !" यह देखकर हम सब प्रकार के कैम्प विद्यार्थी लोग किया करें तो बड़ा ही लोग खूब ही हँसे । और लोगों ने भी एक एक पेनी अच्छा हो। कुछ अधिक खर्च भी नहीं होता और डाली। सबके भिन्न भिन्न चरित्र-वर्णन निकले। समय अच्छी तरह बीतता है । छुट्टियों में घर पर अन्त में मैंने भी एक पेनी डाल ही दी। भाग्य से पड़े पड़े सोने से तो कैम्प-जीवन कहीं अच्छा है।
/ मूर्ति में अमूर्त
लेखक, श्रीयुत हरिकृष्ण 'प्रेमी' सीमा का घूघट कर आती, अयि असीम, ज्यों धन में चंदा। अखिल विश्व का मन उलझाता यह गोपन का गोरखधंदा ।
तिल की अोट, तरुणि, तुम अपनी क्यों 'विराटता' ढक लेती हो। काया के कारागृह की तुम आँखें बंदिनि कर देती हो।
प्रिये, 'रूप' को धूप छाह का मत 'अरूप' पर पर्दा डालो। कहो मूर्ति, "मुझमें अमूर्त है, आँखें हों तो दर्शन पा लो।
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