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पक्षियों का अद्भुत सहज ज्ञान
लेखक, श्रीयुत सन्तराम, बी० ए०
श्रीयुत सन्तरामजी ने वैज्ञानिक अनुसन्धानों के आधार पर इस लेग्व में पक्षियों की कुछ जन्मजात अदभुत बातों का प्रामाणिक वर्णन किया है जो रोचक होने के साथ माथ जानवर्द्धक भी है।
नाय का वच्चा जब संसार के बच्चे का भी मिली होती ना वह पालन से छलाँग में आता है तब वहत अपूर्ण मारकर निकलते ही रोकड़ का हिसाव लिखने और अवस्था में होता है। उसे हवाई जहाज़ बनाने लगता । इस दृष्टि से पक्षी मनुष्य खाना-पीना, उठना-बैठना, की अपेक्षा अधिक भाग्यवान है। चलना-फिरना, बोलना- उदाहरण के लिए पक्षियों के घोंसलों को ही ले तैरना.सोचना आदि मभी लीजिए । काई उनको घामला बनाना नहीं सिखाता।
क्रियाय मिखानी पड़ती हैं। फिर भी बया, धोबी, दर्जिन आदि पक्षी ऐसे सुन्दर बिना मिखाये वह कुछ भी नहीं जान सकता । परन्तु नीड़ बनाते हैं कि देखकर आश्चर्य होने लगता पशु-पक्षियों के सम्बन्ध में यह बात नह।। मुर्गी का है। आस्ट्रेलिया में एक प्रकार का पेरू पक्षो होता बच्चा अंडे से निकलते ही चुगने लगता है, मुगाबी का है। वह झाड़ियों में रहता है। उसे 'तापमापक पक्षी' बच्चा जन्म लेते ही तैरने लगता है। उन सबका मिखाने भी कहते हैं। उसको जब घोंसला बनाना होता है की जरूरत नहीं होती। जीवन के सोपान में जो प्राणी तव पहले नर और मादा मिलकर पोली रेतीली भूमि जितना नीचे है, उतना ही अधिक उसका बच्चा में जहाँ धूप नहीं लगती होती, एक फुट गहरा गड्ढा जीवन-संग्राम के योग्य क्षमता लेकर संसार में आता खोदते हैं। उसमें वे मुआये हुए पत्तों और पौधों है। जीवन-संग्राम के योग्य जिस तैयारी के साथ पक्षी का फ़श बिछाते हैं। उसे धूप और वर्षा में खुला का बच्चा अंडे से निकलता है, यदि वही तैयारी मनुष्य पड़ा रहने देते हैं। उसके पत्ते और पौधे सड़ने लगते
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