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सम्पादकीय नोट
योरप का संकट
हायुद्ध के बाद ऐसा समझ पड़ने लगा था कि अब संसार सुख-शान्ति का उपभोग करेगा और वैसे सर्व संहारक युद्ध भविष्य में नहीं होने पायँगे । ऐसा समझने का मुख्य कारण यह था कि यार के प्रमुख राष्ट्रों ने राष्ट्र संघ की स्थापना तथा अन्यान्य महत्त्वपूर्ण सम्मेलन करके यह स्पष्ट रूप से घोषित किया था कि अब संसार के भिन्न भिन्न राष्ट्र अपने अपने झगड़ों का निपटारा करने के लिए कदापि अस्त्र नहीं ग्रहण करेंगे । परन्तु श्राज अठारह वर्ष बाद भी दुनिया जहाँ की तहाँ बनी हुई है और विश्वव्यापी शान्ति की स्थापना की बात कोरी कल्पना ही सिद्ध हो रही है । संसार के सभी प्रमुख राष्ट्र पहले की अपेक्षा कहीं अधिक • युद्ध के लिए सज्जित बैठे हैं और संसार के भिन्न भिन्न भागों में जो थोड़े-बहुत भूखण्ड अभी तक अपने ढंग से अपनी स्वाधीनता का उपभोग कर रहे थे और जिनकी
र साम्राज्यवादी राष्ट्र दृष्टिपात तक नहीं करते थे, उन पर स्वाधिकार करने के लिए वे सबके सब गहरी चालें चल रहे हैं | इस समय इस तरह की राजनैतिक क्रीड़ा के केन्द्र अबीसीनिया तथा चीन का सिनकियांग- प्रदेश है । अबीसीनिया पर इटली का दाँत है और सिन कियांग को रूस हड़प लेना चाहता है । परन्तु यह सब दूसरे साम्राज्यवादी राष्ट्रों को सह नहीं है । वे नहीं चाहते कि अकेला इटली अबीसीनिया को या अकेला रूस सिन कियांग को हड़प जाय । इटली की धाँधली के कारण इस समय सिनकियांग का मामला पीछे पड़ गया है, यद्यपि पिछले तीन वर्ष से वहाँ अति भयंकर उथल-पुथल मची हुई है । इटली ने अबीसीनिया को शस्त्रबल से स्वाधिकार मुक्त
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करने के लिए अपने विराट् सैनिक बल का जो प्रदर्शन किया है वह अन्य राष्ट्रों को सह्य नहीं हुआ । फलतः संसार के प्रमुख राष्ट्र ग्रेट ब्रिटेन को अन्त में लाचार होकर खड़ा ही होना पड़ा। जेनेवा में उस दिन उसके वैदेशिक मन्त्री सर सैमुअल होर ने जो महत्त्वशाली भाषण किया है उससे यह बात भले प्रकार प्रकट हो गई है इटली के लिए अबीसीनिया को हड़प बैठने का प्रयत्न करना टेढ़ी खीर होगी । सर होर के उस गौरवपूर्ण भाषण से इटली का सारा दर्प यद्यपि ठण्डा पड़ गया है, और ऐसा प्रतीत होता है कि इटली एकाएक अबीसीनिया पर धावा बोल देने का साहस नहीं करेगा, तथापि इस अवस्था से यह प्रकट हो गया है कि संसार के प्रमुख राष्ट्रों
तनाव बढ़ता जा रहा है और किसी न किसी मसले को लेकर वे सबके सब एक न एक दिन फिर लोकसंहार का जघन्य कार्य कर बैठने से नहीं चूकेंगे । पाश्चात्य सभ्यता ने संसार को अपनी जो यह विभूति दी है, अन्त में वह उसी के विनाश का कारण होगी । आज इटली और अबीसीनिया का मसला कुछ दिनों के लिए टाला जा सकता है । परन्तु इसकी कौन गारंटी दे सकता है कि वैसे ही भीषण मसले भविष्य में नहीं उठेंगे ? वास्तव में संसार की राजनैतिक स्थिति दिन प्रति दिन भीषणतर होती जा रही है और जिन लोगों के हाथों में इसके सँभालने का उत्तरदायित्व है वे उसको नहीं सँभाल पा रहे हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण इटली और अबीसीनिया का वर्तमान संघर्ष है। ऐसी दशा में अब संसार के रक्षक भगवान ही हैं।
क्रिमिनल ला श्रमेंडमेंट एक्ट
असेम्बली के शिमला के अधिवेशन में सरकार ने क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट को उपस्थित करके जो मनोभाव व्यक्त किया है, भावी शासन-विधान को दृष्टि में
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