________________
३४०
सरस्वती
[भाग ३६
'०००
राम को २०,०००
" २,००,०००-० मिल जायगा । श्याम को ६०,०००
२,००,००० = " " मोहन को ७०,०००
"२,००,००० = " "
लेकिन यह जरूरी नहीं कि सभी कर्जदारों को कुछ न कुछ किया जायगा। अर्थात्
मिल जाय। मान लीजिए कि रईस के ऊपर क़र्ज़ की एक सूरत और पैदा हो सकती है। मान लीजिए कि सम्पूर्ण मात्रा ३ लाख ६० हज़ार है । २० हज़ार राम के डेढ़ लाख रुपये का क़र्ज़ तीन महाजनों का है। राम का हैं, ६० हज़ार श्याम के, ७० हज़ार मोहन के, ६० हज़ार ५०,०००), श्याम का ४० हजार रुपये, और मोहन का ६० सोहन के और डेढ़ लाख लछमन के। स्पेशल जज ने यह हज़ार । स्पेशल जज ने यह निश्चय किया कि पहले फैसला किया है कि अदायगी पूर्व-कथित क्रम से की जाय । राम का कर्ज वाजिबुल अदा है फिर श्याम का और उसके मान लीजिए कि अरक्षित जायदाद की बिक्री कीमत बाद मोहन का।
केवल दो लाख है। यह मानना सख्त ग़लती होगी कि राम, श्याम और मोहन को बाँड और ज़मीन में बराबर बराबर रक़में अपने क़र्ज़ की अदायगी में मिलेंगी। अदायगी स्पेशल जज के बताये हुए कम से ही होगी । बाँड पहले राम को मिलेगा। उसका ५० हज़ार का क़र्ज़ बाँड से सबसे पहले अदा कर दिया जायगा । इसके बाद श्याम का नम्बर आयेगा । उसको ४०
सोहन के लिए केवल २ लाख की जायदाद में से अब हज़ार पाना है। ४० हज़ार की अदायगी में ७५,८७५) से। राम को देने के बाद बचा हुश्रा २५ हज़ार का बाँड ५० हज़ार बानी रहे अर्थात् १ सोहन को श्याम को मिल जायगा और १४ हज़ार १२५ उसके और मिल जायँगे। बाकी रहेंगे। इतनी कीमत की ज़मीन श्याम को कर्जदार १० हजार के कर्ज में से सोहन केवल ५० हजार रईस की जायदाद से दे दी जायगी। हमने देखा है कि वसूल कर सकेगा। ४० हजार से उसे हाथ धोना पड़ेगा। इस रईस की जायदाद का केवल २६६५ अंश मुंतकिल लछमन के डेढ लाख कर्ज की अदायगी के लिए कोई होगा । पहला हिस्सा इसमें श्याम का होगा । २३ लाख जायदाद नहीं बचती, इसलिए लछमन को कुछ न मिलेगा। की जायदाद में १४,१२५) की जायदाद श्याम को मिलेगी
जब सूरत २ (ख) की है। अर्थात् = ०५६५ के। इस तरह श्याम का
इस दशा में अरक्षित जायदाद बेच दी जायगी और
रक्षित जायदाद से २० बरस तक किस्ती कीमत रईस पूरा पूरा क़र्ज़ अदा हो जायगा। मोहन को अब उसके कर्जदार गवर्नमेंट को अदा करेगा। मान लीजिए कि ६० हजार क़र्ज़ की अदायगी में बिक सकनेवाली जाय- कर्ज पूर्ववत् ३ लाख ६० हजार रुपया है और अरक्षित दाद का बचा हुआ हिस्सा मिल जायगा। '२६६५ में से जायदाद की बिक्री कीमत २ लाख रुपया है । रक्षित .०५६५ तो श्याम ने ही ले लिया । केवल २४ बचा है। जायदाद की क़िस्ती कीमत ३० हज़ार है। राम का २० यह मोहन को मिल जायगा और इस तरह उसका क़र्ज़ हज़ार देना है, श्याम का ६० हज़ार, मोहन का ७० भी अदा हो जायगा।
हज़ार. सोहन का ६० हज़ार और लछमन का डेढ़ लाख। जब सूरत २ (क) की है।
जायदाद जैसा ऊपर बताया गया है, अरक्षित २ लाख । अर्थात् जब रक्षित जायदाद नहीं केवल अरक्षित जाय- की है और रक्षित जायदाद से ३० हजार रुपया सालाना दाद है और अरक्षित जायदाद की बिक्री की कीमत और किस्त में अदा हो सकता है। रक्षित जायदाद की किस्ती कीमत से कर्ज अदा नहीं होता, अदायगी की सूरत यह होगीउस हालत में अरक्षित जायदाद पूरी पूरी बेच दी जायगी। (अ) राम को किस्ती कीमत से २० हज़ार का बाँड सबसे
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com