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सरस्वती
उन्हीं सिद्धान्तों पर ज्वायंट स्टॉक बैंकों को भी वही तथा अन्य सुविधायें प्रदान करे। श्री मनु सूबेदार ने अपने अल्पमत की रिपोर्ट में इन श्रावश्यक सुविधाओं का इस प्रकार वर्णन किया है
(अ) उन स्थानों में जहाँ रिज़र्व बैंक की शाखायें हों, मुफ़्त एक स्थान से दूसरे स्थान को रुपया भेजे जाने की सुविधा ।
(A) एक स्थान से दूसरे स्थान को रुपया भेजने में जो रियायत सहकारी बैंकों के साथ की जाती है, वही रियायत ज्वायंट स्टॉक बैंकों के साथ हो ।
(इ) टिकट कर से जितनी सहकारी बैंकों को स्वतन्त्रता है, वही ज्यायंट स्टॉक बैंकों को हो ।
(ई) नई शाखायें खोलने में जो सुविधायें इम्पीरियल बैंक को मिली थीं वही या दूसरी जो रिज़र्व बैंक उचित समझे ।
( उ ) बैंक रेट से कम रेट पर रिज़र्व बैंक से बिल भुनाने तथा प्रामिसरी नोट और अन्य आवश्यक सहायक ज़मानत के आधार पर क़र्ज़ मिल जाने की सुविधा ।
(ऊ) विदेशी बैंकों को देश के अन्दर शाखायें खोलने की मनाही |
(ए) भारतवासियों तथा भारतीय मिश्रित पूँजीवाली कम्पनियों को विदेशी बैंकों में रुपया जमा करने की मनाही ।
(२) चेक तथा बिल का अधिक प्रचार - जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है, साख-पत्रों के यथेष्ट प्रचार का न होना देश की बैंकिंग की उन्नति के लिए एक भारी रुकावट है । इस वास्ते बैंकों तथा सरकार का कर्तव्य है कि इस प्रकार के साख-पत्रों का प्रचार करने का पूरा पूरा प्रयत्न करें। देश की अनेक भाषाओं जैसे हिन्दी, मराठी, उर्दू बंगाली इत्यादि का चेक के लिखने में यदि उप'योग किया जाय तो चेक के प्रचार में वृद्धि हो सकती है ।
(३) सहकारी केंद्रीय बैंक और बैंकिंग को उन्नति - यदि किसी प्रकार सहकारी केंद्रीय बैंकों से साधारण बैंकिंग का कार्य लेने का प्रबन्ध किया जा सके तो देश में बैंकिंग का
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[ भाग ३६
काफ़ी प्रचार हो सकता है । इसके पहले कि हर एक केंद्रीय बैंक को साधारण बैंकिंग का कार्य करने की आज्ञा दे दी जाय, हर एक प्रान्त में कुछ केंद्रीय बैंकों को जिनके पास योग्य कर्मचारी हैं, कुछ श्रावश्यक नियमों के अनुसार बैंकिंग का कार्य करने के लिए कहा जाय, और फिर जैसे जैसे उनके कार्य से अनुभव होता जाय, उसी प्रकार दूसरे बैंकों को भी कार्य करने की अनुमति दे दी जाय । इस प्रकार बैंकिंग के प्रचार में काफ़ी सहायता मिल सकती है ।
(४) कुछ क़ानूनी सुविधायें - संयुक्त परिवारसम्बन्धी तथा गिरवी सम्बन्धी कुछ ऐसी क़ानूनी कठिनाइयाँ हैं जिनके कारण बैंकिंग की उन्नति में काफ़ी बाधा उपस्थित होती है । यदि वे क़ानूनी कठिनाइयाँ किसी प्रकार हटा दी जायँ तो हमारे देश की बैंकिंग की उन्नति में काफ़ी सहायता मिल सकती है ।
(५) देशी बैंकर तथा अन्य संस्थायें - हमारे देश में इस समय देशी बैंकर, मदरास के नीढ़ीज़ तथा बंगाल के लोन ग्राफ़िसेज़ इत्यादि कुछ ऐसी संस्थायें हैं जो श्राज भी प्राचीन ढंग पर बैंकिंग का कार्य कर रही हैं। यदि किसी प्रकार इनको यह विश्वास दिला दिया जाय कि ये अपने आपको ज्वायंट स्टॉक बैंक में परिणत करने से अधिक फ़ायदा उठा सकेंगी तो देश में ज्वायंट स्टॉक बैंकिंग की बहुत कुछ उन्नति हो सकती है और यदि ऊपर बताई सुविधायें सरकार ज्वायंट स्टॉक बैंक को देने के लिए तैयार हो जाय इसमें कोई संदेह नहीं कि इन संस्थाओं को ज्वायंट स्टॉक बैंकों में परिणत होने के लिए उत्साहित करना कोई कठिन कार्य न होगा |
ज्वायंट स्टॉक बैंक तथा उनका भविष्य — ज्वायंट स्टॉक बैंकिंग की उन्नति में जो कठिनाइयाँ आज उपस्थित है यदि उनको हल करने का हमारी सरकार, बैंकर और जनता ऊपर बताई हुई अनेक विधियों के अनुसार वास्तव में प्रयत्न करें तो इसमें कोई संदेह नहीं कि देश की भावी बैंकिंग व्यवस्था में हमारे ज्वायंट स्टॉक बैंकों का स्थान बहुत उज्ज्वल और ऊँचा हो सकता है ।
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