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लेखक, श्रीयुत सीतलासहाय
यह
रस्वती' के पिछले अंक में हमने 'ऋणग्रस्त रियासतों के क़ानून' के बारे में भी संक्षेप में लिखा था। उस समय तक इस क़ानून के सम्बन्ध में जो कायदे गवर्नमेंट की ओर से बननेवाले थे, बन कर तैयार नहीं हुए थे। अब १० अगस्त के गज़ट में गवर्नमेंट ने उन्हें प्रकाशित कर दिया है। इन कायदों को जब तक हम संक्षेप में सरस्वती के पाठकों के सामने नहीं रखते, हमारा पिछला लेख अपूर्ण रह जाता है । लेख उसी कमी को पूरा करने के लिए है । 'ऋणग्रस्त रियासतो' के क़ानून के सिलसिले में जो कायदे निकाले गये हैं वे ७ अध्यायों में हैं और उनकी ६३ धारायें हैं। वास्तव में वे वकीलों के काम के हैं। और इसलिए बनाये गये हैं कि कलक्टरों को रियासतों की कीमत लगाने के या क़र्ज़ की अदायगी के लिए क़िस्त
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ऋणग्रस्त रियासत
या जायदाद को नीलाम करने के कुछ ऐसे नियम मालूम हो जायँ जिनके आधार पर वे कार्रवाई कर सकें । साधारण जनता को केवल उनकी रूप रेखा समझ लेना काफ़ी होगा और वह उद्देश इस लेख से सिद्ध हो जाता है ।
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उन क़ायदों के सम्बन्ध में पहली बात जानने की यह है कि गवर्नमेंट ने हर एक जिले की हर एक तहसील के बन्दोबस्ती हलकों की ज़मीन के 'औसत विक्रयांक' निश्चित कर दिये हैं और उन्हें परिशिष्ट नं० १ में प्रकाशित कर दिया है । ये अंक बड़े महत्त्व के हैं, क्योंकि इन्हीं से रियासतों की कीमत, क़िस्त की मात्रा, रहन की क़िस्तें इत्यादि निश्चित होती हैं। लेकिन उक्त परिशिष्ट नं० १ बहुत लम्बा चौड़ा है, अतएव किसी हालत में भी उसे हम यहाँ नहीं दे सकते ।
उन क़ायदों के पहले अध्याय में यह बताया गया है कि क़र्ज़दार रईस के क़र्ज़ की मात्रा कैसे निश्चित की जाय । दूसरे अध्याय में यह बताया गया है कि कल - क्टर प्रारम्भ में जायदाद की कीमत कैसे निश्चित करें । तीसरे अध्याय में यह बताया गया है कि रईस का निजी क़र्ज़ किस ढंग से अदा किया जायगा। चौथा अध्याय सरकारी क़र्ज़ के बारे में है । पाँचवें अध्याय में क़िस्तों की वसूलयात्री के तरीके बताये गये हैं । छठे में यह है कि रहन द्वारा क़र्ज़ की अदायगी का क्या तरीक़ा होगा | सातवें अर्थात् अन्तिम अध्याय में विविध बातें हैं। उन क़ायदों के तीन परिशिष्ट भी हैं। पहले परिशिष्ट में जैसा ऊपर बताया गया है, हर एक जिले की हर एक तहसील के बन्दोबस्ती हलके के औसत विक्रयांक दिये गये हैं । दूसरे परिशिष्ट में यह दिखाया गया है कि एक रुपया अमुक वर्ष तक अदा करते रहने पर ४ 'सदी सालाना सूद के हिसाब से कितना रुपया अदा कर देता है। तीसरे परिशिष्ट में सूद दर सूद का नक़शा दिया गया है।
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