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सरस्वती
[भाग ३६
७६वें चित्र में राजप्रासाद के सामने हज़ारों नरनारियों को घुटना टेके देख रहे हैं। १६१२ ई० की जुलाई का प्रारम्भ था। सम्राट मेइजी सख्त बीमार हो गये। प्रजा खबर पाते ही लाखों की संख्या में प्रासाद के पास पहुँचकर अपने सम्राट की रोगमुक्ति के लिए देवतात्रों से प्रार्थना कर
रही है। किन्तु सम्राट [तोक्यो-मेइजी-देवालय का भीतरी द्वारतोरण]
मेइजी अपना काम कर
चुके थे। अज्ञात और ६६ वे चित्र में १ जनवरी १६०५ ई० की घटना अकिंचन जापान को वे वैभव के शिखर पर पहुँचा चुके चित्रित है। रूस का घमासान युद्ध हो रहा है। प्रारम्भ थे। आखिर को ६१ वर्ष की अवस्था में अपने पैंतालीसवें में बहुत कम लोग विश्वास करने के लिए तैयार थे कि राज्य-वर्ष में ३० जुलाई १९१८ ई० को आधी रात के ४३ । जापान जैसा छोटा एशियाई देश रूस जैसे महाशक्ति- मिनट के बाद वे चल बसे । शाली योरपीय राष्ट्र को पराजित कर सकेगा। पोर्ट- समय काफ़ी हो चुका था, यद्यपि किसी ने जल्दी करने। आर्थर दुर्ग अजेय समझा जाता था। किन्तु जापान को नहीं कहा, तो भी हम चित्रशाला से उतरकर चित्रों के के सैनिकों के अपूर्व त्याग, अदम्य उत्साह तथा युद्ध- कुछ रंगीन कार्ड खरीद वहाँ से चल दिये। कौशल के कारण अन्त में रूसी सेनापति जेनरल स्तोसेल को १ जनवरी को विजेता जेनरल नागी को प्रात्म-समर्पण २५ मई को कुछ संग्रहालयों को देखने गये। पहले । कर देना पड़ा । जेनरल नोगी पराजित सेनापति से बड़े प्रेम राजकीय गृहसंग्रहालय में गये, जो उयेनो उद्यान में अवसे मिल रहे हैं। पास में रूसी सेनापति का प्रिय सफ़ेद स्थित है। नीचे के तीन-चार कमरों में कितनी ही पुरानी घोड़ा है, जिसे वह विजेता सेनापति को प्रदान कर मूर्तियों का संग्रह है, और ऊपर कितने ही पुराने चित्र हैं। रहा है।
संगृहीत वस्तुएँ कला की दृष्टि से अच्छी हैं, इसमें सन्देह तिहत्तरवें चित्र में रूसी युद्ध के विजय के उपलक्ष्य नहीं, तो भी संग्रह बहुत छोटा है। हो सकता है, भूकम्प । में सैनिक जहाज़ खूब सजाये गये हैं। एशिया के के कारण कितनी ही चीजें नष्ट हो गई हों, और कुछ चीजें नेलसन एडमिरल तोगा सम्राट के सामने खड़े हैं। बुढ़ापे नये बनते भवन की प्रतीक्षा में अन्यत्र रख दी गई हों। में और कितने सजनों की भाँति सम्राट मेइजी को भी किन्तु असल बात मालूम होती है, जापान की भूत की दाढ़ी रखने का शौक हो गया था, इसलिए उन्हें उसी रूप अपेक्षा वर्तमान में अधिक अनुराग। इसका प्रमाण कुछ में आप मेज़ के सामने खड़े देख रहे हैं। बग़ल में लाल गज़ों के फ़ासिले पर अवस्थित विज्ञान-संग्रहालय है। मेशीन, सूर्य का झंडा फहरा रहा है।
जंतु, पाषाण, काष्ठ, धातु आदि जिस विभाग में जाइए,
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