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संख्या ३]
अबीसीनिया
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भय था कि जेला बन्दरगाह से अबीसीनिया को बनाने में लगे थे, उस समय जापान और अबीयुद्धोपयोगी सामान मँगाने में सुविधा रहेगी। इटली सीनिया ही ऐसे दो काले देश थे जिन्होंने इस के इस इनकार के बाद से ब्रिटेन ढीला पड़ गया साम्राज्यवाद की बाढ़ को रोकने का काम किया है । यद्यपि अब भी वह अबीसीनिया में इटली के था। जापान ने रूस को हराया था और अबीअधिकार या संरक्षण को स्वीकार नहीं करता, सीनिया ने इटली को। इसके बाद जापान तो उन्नत फिर भी वह इस मामले में इटली से रार मोल लेना हो कर संसार के अग्रणी राष्ट्रों में आ गया, लेकिन नहीं चाहता। अमेरिका इस मामले में तटस्थ है। वह रूस से उसका विरोध आज भी बना है। अबीन तो इटली का साथी है और न अबीसीनिया का सीनिया यद्यपि जापान की भाँति उन्नति तो नहीं विरोधी। हाँ! अस्त्र-शस्त्र भेजने में वह आज भी कर सका, परन्तु स्वतंत्र बना रहा। आज मुसोलिनी अबीसीनिया की मदद कर रहा है। जापान स्पष्टतः के नेतृत्व में इटली अबीसीनिया की स्वतंत्रता को अबीसीनिया का मददगार है। युद्ध होने की हालत फिर नष्ट करना चाहता है। योरप के गोरे राष्ट्र में जापान से अबीसीनिया को बहुत आशायें हैं। उसके साथ नहीं हैं, यह ठीक है, लेकिन खुले शब्दों इन्हीं के आधार पर पिछले कुछ वर्षों से जापान ने में इटली का विरोध भी नहीं करते। राष्ट्रसंघ में ६ अबीसीनिया में पर्याप्त आर्थिक सुविधायें प्राप्त महीने से अबीसीनिया की अपील की सुनाई नहीं की हैं। ताना झील के निकट १५ लाख वर्ग मील होती। उसका भी यही कारण है। जापान न तो भूमि में जापान कपास पैदा कर रहा है। देश के गोरा है और न राष्ट्रसंघ का सदस्य है, अतः वह खनिजों को खोदने का ठेका भी उसे मिला है और भावी-युद्ध में अबीसीनिया का साथ दे दे तो इसमें सबसे बढ़ कर देश के कल-कारखानों की उन्नति कुछ आश्चर्य की बात नहीं है। के लिए जापानी पूँजी मुक्तहस्त से लगाई जा रही इटली और अबीसीनिया में कब जंग छिड़ेगा, है। यही कारण है कि आज इटली में जापान का यह कौन कह सकता है ? तैयारियाँ दोनों ओर से विरोध किया जाता है। अबीसीनिया के साथ हो रही हैं। वर्षा के बाद अबीसीनिया की सीमा जापान की सहानुभूति में एक और भाव भी काम पर इटालियन फ़ौज मँडराती दिखलाई देंगी, यह तो कर रहा है। इटली का दावा है कि वह असभ्य भासता ही है। यदि यह युद्ध छिड़ा तो यह केवल तथा काले अबीसीनिया का सुधार चाहता है। इन दो देशों तक ही सीमित न रहेगा। संसार के • दुर्भाग्य से जापान की भी गणना काले देशों में की बड़े बड़े राष्ट्र इसमें दनदनाते नज़र आवेंगे। इन्हीं जाती है । काले और गोरे का सवाल पैदा होने की कारणों से आज संसार की आँखें अफ्रीका के अर्धहालत में जापान का कालों से सहानुभूति दिखलाना सभ्य किन्तु एकमात्र स्वतंत्र राष्ट्र अबीसीनिया की स्वाभाविक ही है। १९ वीं सदी के अन्त में जब ओर लगी हुई हैं। योरपीय राष्ट्र अफ्रीका व एशिया में अपना साम्राज्य
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