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संख्या ४]
भाई परमानन्द और स्वराज्य
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साफ़ करने को कहा और कई सवाल पूछे। वे आसानी से जीत हुई । इस समय मिस्र में अधिकतर खामोश रहे और कोई जवाब नहीं दिया। मुसलमान हैं और कुछ पुराने, इस्लाम के पहले के, ___भाई जी का यह कहना कि अगर हम सब ईसाई हैं जो कोप्ट्स कहलाते हैं। इस्लाम भी वहाँ ईसाई हो जावें तब हमारा 'स्व' इंग्लेंड का 'सेल्फ' १३८० वर्ष से है। जब भाई जी कहते हैं कि मिस्र ने हो जावेगा, वह हमें अपना लेगी और हम उसके अपनी जातीयता को मिटा दिया तब उनका ढंग के स्वतंत्र हो जावेंगे, एक ऐसी अजीब बात है। क्या मतलब है ? पिछले ७००० वर्ष के इतिहास में कि पढ़कर आश्चर्य होता है कि कोई भी ऐसा किस ज़माने को वे मिस्र की असली जातीयता का खयाल रक्खे । इसके माने यह है कि भाई जी समझते ज़माना गिनते हैं ? हैं कि योरप का आधुनिक साम्राज्यवाद ईसाई-धर्म ईरान में इस्लाम की जीत मिस्र की तरह जल्दी कहलाने का है ! इस ग़लती में तो शायद कोई स्कूल हुई। लेकिन जाननेवालों की राय यह है कि उससे का बच्चा भी न पड़े । साम्राज्यवाद से और धर्म ईरानी सभ्यता और संस्कृति दबी नहीं, बल्कि अरबी से क्या संबंध ? अबीसीनिया तो ईसाई-देश है मुसलमानों तक पर हावी आगई और अरबी
और सबमें पुराना ईसाई-देश है जब कि योरपवाले खलीफ़ा पुराने ईरानी बादशाहों की और बहुतेरे तक ईसाई नहीं हुए थे। उस पर इटली का क्यों रवाजों की नल करने लगे। यह ईरानी संस्कृति हमला ? योरप के ईसाई-देशों में आपस में पिछली इतनी जोरदार थी कि उसका असर पश्चिमी एशिया बड़ी लड़ाई क्यों हुई ? आयलेंड भी ईसाई-देश से लेकर चीन तक लगातार कायम रहा। इस समय एक हजार वर्ष से ऊपर से है। उस पर अंगरेज़ी ईरान में इस्लाम के पहले की यह पुरानी संस्कृति साम्राज्यवाद क्यों सात सौ बरस से चढ़ाई करता लोगों को जोरों से आकर्षित कर रही है। आता है।
हमारे देश के पुराने इतिहास की तरफ़ एक झलक देशों की जातीयता और सभ्यता को लीजिए। देखिए । आर्यों के आने के पूर्व कई सहस्र वर्ष तक भाई जी मिस्र और ईरान की मिसाल देते हैं कि यहाँ एक ऊँचे दर्जे की सभ्यता थी, जिसका छोटाउन्होंने अपनी जातीयता को मिटा दिया और अपने सा नमूना हमको मोहेनजोदारो में मिलता है। शायद को एक विदेशी जाति के अन्दर जज्ब करवा दिया। उसका संबंध द्राविड़-सभ्यता से हो जो स्वयं आर्यों मिस्र का हजारों वर्ष का पुराना इतिहास चला के पहले की थी। फिर आर्य आये और द्राविड़ आता था और उसमें बहुत ऊँच-नीच और तबादले लोगों को हराया और उन पर हुकूमत की। कुछ और हमले और फतेह हुए थे-फिर क़रीब २०० रवाज और धर्म के मामले में उनसे समझौता किया, वष हुए सिकंदर ने मिस्र फतेह किया और उसकी कुछ अपने देवता उनके सामने रक्खे । इन समझौतों मृत्यु के बाद उसका एक जेनेरल टोलोमी वहाँ का से एक मिली हुई संस्कृति पैदा हुई जिसमें आर्यों बादशाह हुआ। उसने मिस्र के देवता और आचार का अधिक हिस्सा था। फिर और बहत जातियाँ स्वीकार किये, केवल उनमें कुछ अपने ग्रीस के भी इस देश में हमला करके आई, जिनमें खास तौर से मिला दिये । मिस्र एक बड़ा केन्द्र ग्रीक-सभ्यता और कई तुर्की जातियाँ थीं, और यहाँ बस गई। राजसंस्कृति का हो गया । फिर बहुत दिन बाद वह रोमन- पूताने और काठियावाड़ के हमारे बहुतेरे राजपूत साम्राज्य के अधीन हो गया। ईसाई मजहब वहाँ खानदान तुर्की खून रखते हैं। उस ज़माने में दूसरे शुरू ही में योरप के पहले फैला और कई सौ वर्ष धर्म का सवाल नहीं था, क्योंकि मध्य-एशिया के ये तक रहा। बाद में इस्लाम वहाँ आया और उसकी तुर्की लोग सब बौद्ध थे। फिर भी वे अपने बहुतेरे
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