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संसार की गति
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योरप का संकट
बल पर राष्ट्र-संघ कोई वैसा जोखिम क्यों मोल लेने लगा। जा छले महायुद्ध के बाद से योरप इटली को यह सब मालूम है। इसी से वह जापान का
5 की राजनीति के मुख्य सूत्र- एक दूसरा उदाहरण सभ्यता के प्रचार के नाम पर
VENI धार ग्रेटब्रिटेन और फ्रांस यही संसार के सामने उपस्थित करना चाहता है । उसको इस पि | दो राष्ट्र रहे हैं और इन्होंने इरादे से विरत करने का ग्रेट-ब्रिटेन ने अपने भरसक
| बराबर यही प्रयत्न किया है बहुत प्रयत्न किया, यहाँ तक कि अबीसीनिया की सरकार
कि योरप में तथा उसके की सहमति के बिना ही उसने अबीसीनिया का सारा
- बाहर भी कहीं कोई युद्ध न पुलिस-प्रबन्ध तथा आवागमन के साधनों के नियन्त्रण का छिड़ने पावे। यह काम वे अब तक राष्ट्र-संघ की आड़ अधिकार जैसी महत्त्व की बातें तक इटली को सौंप देने का लेकर सफलतापूर्वक करते आये हैं । कम-से-कम योरप में प्रस्ताव किया था। परन्तु मुसोलिनी सारा अबीसोनिया अवसर पा जाने पर भी युद्ध नहीं छिड़ने पाया । परन्तु चाहते हैं। उनको एक ऐसे देश की बड़ी ज़रूरत है राजनीति की गति बड़ी चञ्चल होती है, अतएव वह जहाँ इटली की दिन-प्रति-दिन बढ़ती हुई आबादी खप अधिक समय तक स्थिर नहीं रह सकी। राष्ट्रों में एक दूसरे सके तथा आर्थिक लाभ उठाने के साधन भी सुलभ तथा के प्रति जैसा चाहिए वैसा विश्वास नहीं स्थापित हो अधिक हो । संसार में इसके लिए यदि कोई भाग उन्हें सका । फल यह हुआ कि जर्मनी के भय के कारण अथवा मिल सकता है तो वह अबीसीनिया ही है, अतएव मुसोलिनी अपनी प्रतिपत्ति बढ़ाने के लिए फ्रांस ने धीरे धीरे अपना अब उसे अपने अधीन करने को तुल गये हैं। एक गुट अलग बना लिया। यही नहीं, उसने रूस महायुद्ध में इटली ने अपने मित्रों का साथ छोड़कर
और इटली से भी समझौता कर लिया। इस समय उसके फ्रांस और ब्रिटेन का साथ विशेष प्रलोभन पाकर ही दिया पक्ष में योरप के रूस, इटली, रूमानिया, जुगोस्लाविया, था। परन्तु इटली से उन्हें उतनी सहायता नहीं मिली, जेचोस्लोवेकिया, बेल्जियम और इटली के कारण आस्ट्रिया अतएव उसकी महत्त्वाकांक्षा की भी पूर्ति उसी परिमाण में तथा हंगेरी भी समवेत हैं । योरप में इस समय ऐसी ही की गई । और इटली को इस व्यवहार से सन्तोष नहीं दलबन्दी है, और इस दशा में इटली अबीसीनिया के हुआ। वह कर भी कुछ नहीं सकता था। परन्तु जर्मनी हड़प बैठने का उपक्रम कर रहा है। ऐसी दशा में तथा आस्ट्रिया के सैनिक बल के विनष्ट हो जाने से ब्रिटेन राष्ट्र-संघ अकेले ब्रिटेन की दृढ़ता से परिस्थिति को क्योंकर और फ्रांस के बाद इटली तीसरे नम्बर पर पहुँच गया । सँभाल सकता है, यह एक प्रकट बात है। फिर राष्ट्र- यह उसके लिए गर्व की बात हुई, जिससे उसकी महत्त्वासंघ ने जापान और चीन के मामले में ज़बानी जमाखर्च कांक्षा बढ़ गई और अब वह प्राचीन रोमन साम्राज्य का करने के सिवा कुछ नहीं किया था। तब इस अवसर पर जब स्वप्न देखने लगा है। अबीसीनिया पर अकारण ही उसका एक मुख्य पोषक फ्रांस अपनी हाल की एक सन्धि अधिकार कर लेना उसी स्वप्न की पूर्ति का श्रीगणेश है। के कारण इटली से दबा हुआ है तब अकेले ब्रिटेन के वह आज युद्ध के सभी आधुनिक उपकरणों से पर्याप्त
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