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संख्या ३]
जाग्रत महिलायें
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· · इसके सिवा रंग की बात भी कुछ कम महत्त्वपूर्ण नहीं। गौर वर्ण, भूरी आँखें और सुनहरे बालवाली नोर्डिक जाति (उत्तरी योरप के लोग नोडिक जाति के हैं) की स्त्रियों के बदन पर हलके रंग के वस्त्र ही खिलते हैं। इसके विपरीत भारतीय स्त्रियों के गहरे रंग के मुख पर रंगीन हलके और लटकते हुए वस्त्र शोभा देते हैं।
जिन योरपीय स्त्रियों को मैंने साड़ी पहने देखा है उन्हें इस तरह देखकर पहले तो मैं बिल
कुल ही अचकचा गई। अपनी [ कुमारी पद्मिनी और कुमारी सावित्री ]
तेज़ चाल-ढाल और अधिक योरप में 'पति' शब्द का महत्त्व बहुत दिनों से मर्दानगी के साथ साड़ी पहने वे ऐसी दिखलाई देती घट गया है, जिसका मतलब दूसरे शब्दों में संरक्षक हैं मानो कोई स्वाँग बना कर आई हों। और स्वामी भी होता है। योरप में आज-कल स्त्री- मैं योरपीय पोशाक की बहुत अधिक प्रशंसक | पुरुषों में भीषण प्रतियोगिता छाई हुई है। इसका हूँ। योरपीय महिलाओं की खेलने की पोशाक, उनके | एक कारण तो यह है कि गत महायुद्ध के अवसर सायंकाल के सुन्दर वस्त्र, सोने के गाउन इत्यादि पर नवयुवकों की संख्या घटने और दूसरे पैदा होने- उनके शरीर पर खूब खिलते हैं। उनमें पश्चिमी वाली पीढ़ी में लड़कियों की अधिकता होने की वजह स्त्रियों की स्वच्छन्द प्रकृति का प्रदर्शन करने का मौका से योरप में स्त्रियों की संख्या पुरुषों की अपेक्षा भी उन्हें खूब मिलता है। बात यह है कि जीवन के अधिक हो गई है। इसका परिणाम यह हो प्रत्येक विभाग में पुरुषों के कंधे से कंधा लगाकर रहा है कि स्त्रियों-अविवाहित लड़कियों को काम करने के लिए जो वस्त्र वे पहनती हैं उनके पुरुषों से प्रतियोगिता करने के लिए अपने स्त्रीत्व लिए काफी उपयुक्त हैं। इसलिए मेरा ख़याल है कि को ताक में रख देना पड़ता है। यह स्वाभाविक योरपीय महिलायें भारतीय साड़ी को स्थायी रूप ही है कि इसका प्रभाव स्त्रियों की पोशाक पर से कभी न अपना सकेंगी। हाँ, कभी कभी शौकिया भी पड़े।
पहन लेना दूसरी बात है।