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संख्या ३]
मानव शरीर के अद्भुत कार्य
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काश
शरीर में घूम कर वह हृदय में फिर आ गई और हथौड़े की चोट पड़ती है। अब दर्शक को दिखाई उसके दाहने हिस्से में समा गई। इधर आप यह पड़ेगा कि बिजली का एक धक्का किस प्रकार एक विचित्र प्र देख रहे हैं. उधर ठीक उसी समय स्नाय के द्वारा ऊपर दिमाग की ओर और वहाँ से
आपके हृदय में उसी स्थान से रक्त की एक बूंद दूसरी स्नायु से रीढ़ की हड्डी में होता हुआ किस निकल कर उसी प्रकार आपके शरीर की परिक्रमा प्रकार पैर की मांस-पेशी में आता है और बैठा हुआ करके फिर हृदय में उसी प्रकार आकर समा गई। लोहे का आदमी किस प्रकार पैर झटकता है जैसे इस कार्य में कुल २२ सेकंड लगे। शरीर में रक्त कि वास्तविक आदमी घुटने के नीचे चोट लगने से का दौरा कैसे, किस गति से, कितने समय में होता झटकता। यहाँ प्रकाश और गति के सहारे हमें पेशियों है, यह बात इस क्रिया के द्वारा आपने बात की बात के सिकुड़ने और फैलने का रहस्य मालूम होता है। में देख ली।
हमारा सिर हड्डी का बना है और एक हड्डी ही ___अब और अन्दर आइए । हाल के एक कोने में के द्वारा शरीर से जुड़ा है। तब भी हम उसे चाहे एक काले गोल चबूतरे पर एक पूर्ण नर-कंकाल खड़ा । जिधर घुमा सकते हैं। यह कैसे ? एक शीशे की है। उसमें हड्डी के अतिरिक्त मांस-पेशियाँ, नसे, आलमारी में इस प्रश्न का उत्तर आपको बन्द स्नायु, दिमाग़ सभी कुछ है। पर ये सब वस्तुएँ मिलेगा । मानव सिर का तारों का एक ढाँचा तारों
आर-पार दिखती हैं, मानो काँच की बनी हों। के ही एक कंकाल पर रक्खा है। बटनों को दबाइए। एक बटन दाबिए । एक प्रकाश हुआ और दिमाग यह सिर उसी प्रकार घूमेगा और इशारे करेगा, जैसे रोशन हो उठा, हृदय में चमक आ गई, फेफड़े वास्तविक मनुष्य का सिर घूमता और इशारे दिखाई पड़ने लगे। मानव शरीर का प्रत्येक महत्त्व- करता है। पूर्ण अङ्ग आपके सामने है और वह रक्त-मांस से इस हाल आफ मैन' में सबसे अद्भुत प्रदर्शन युक्त कंकाल आपको अपना सम्पूर्ण रहस्य बताने का वह ढाँचा है जो शरीर की रक्त-सञ्चालन की को तैयार है। उसकी वाणी मूक है, पर उसे जो कुछ क्रिया को स्पष्ट करने के लिए तैयार किया गया है। कहना है वह आपको काले चबूतरे पर स्वर्णाक्षरों इस ढाँचे में काँच का वैसा ही हृदय बनाया गया में लिखा मिलेगा। दिमाग से शरीर के प्रत्येक अङ्ग है जैसा कि जीवित मनुष्य का हृदय होता है। वैसे में जिस क्रम से दिमाग़ की आज्ञायें पहुँचती हैं, ही वह खुलता और बन्द होता है। इस हृदय से उसी क्रम से इस पुतले में चिराग़ जलते जायेंगे और समस्त शरीर में नलियों का एक जाल फैलाया गया जो बात आपने कभी न देखी होगी वह आपके है, ठीक उसी क्रम से जैसे कि वह जीवित शरीर में सामने आती जायगी।
फैफैला रहता है। हृदय में एक प्रकार का द्रव्य भर यदि आप यह जानना चाहें कि शब्दों को हम दिया जाता है जिसे आप रक्त कह सकते हैं। इसमें कैसे सुनते और समझते हैं तो ३ नम्बर की धुंडी बाहर से पम्प लगाया गया है। इस पम्प के चलाने जरा घुमा दीजिए। एक नन्हा प्रकाश कान में उत्पन्न से हृदय से वह द्रव्य निकलकर सब नलियों में होकर दिमाग के उस भाग में जाता है जो सुनने के घूमता हुआ फिर हृदय में आ जाता है। लिए बना है। वहाँ से वह दिमाग़ के आवाज़वाले यदि आप सिर से लेकर कमर तक की शरीर घर में और अन्त में समझवाले घर में जाता है। की बोटियाँ देखना चाहते हैं तो 'बाडी बुक्स'
एक दूसरा मशीन का आदमी देखिए । इस वक्त (शरीर-पुस्तके) देखिए। ये दो दो इञ्च मोटी लकड़ी वह बैठा हुआ है। उसके घुटने के नीचे एक छोटे पर उसी तरह रंगी हुई बनी हैं जिस तरह वास्तविक
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