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.. सरस्वती
[ भाग ३६
"केवल हीरे की कीमत पन्द्रह सौ रुपया है। रखकर सुन्दर काराज में पैक को। एलिस के पति ने सोना और बनवाई अलग।"
उसे जेब में संभालकर रक्खा और उससे कहा-- "तब मैं इसे नहीं लूंगी।"
"तुम ज़रा घर चलो। मैं अभी 'इन्ग्रेवर' के पास "क्यों ?" . .
जाकर इस पर दोनों के नाम लिखाये लाता हूँ।" "इतने भारी दाम की अंगूठो देखकर मेरे पति को फौरन शक हो जायगा और चाहे हमारा पर- पूरे एक घण्टे के बाद पति देवता के आने की स्पर सम्बन्ध कितना ही पवित्र क्यों न हो, वह आवाज़ सुनाई दी। एलिस ने दौड़कर दरवाजा ज़रूर ही दाल में काला देखने लगेगा।" खोला। पति देवता बहुत प्रसन्न दिखाई देते थे। ___ ह्यगो ने कुछ क्षण सिर खुजलाया और फिर पत्नी ने पूछा--"आज क्या मामला है ? इतनी खुशी कहा
का कारण ?" ___"प्यारी एलिस ! मुझे एक युक्ति सूझी है। मैं "कपड़े तो उतारने दो। सब बतलाये देता हूँ। जिस जौहरो से इसे लाया हूँ, यद्यपि उसे पैसे तो दे आज पहली बार मेरी किस्मत खुली है।" चुका हूँ, फिर भी उसे समझा दूगा कि वह कल एलिस को शक होने लगा कि कहीं भला आदमी शाम को अपने 'शो-विंडो' में इसे रक्खे। तुम अपने अंगूठी बेच तो नहीं आया। एलिस ने पूछा-"अँगूठी पति के साथ जाना, इसे देखना, पसन्द करना। पर नाम खुदा या नहीं ?" जौहरी नकली पत्थर कहकर इसे ५०) में तुम्हें बेच "ज़रा सब्र करो। उसी की बात सुनाता हूँ।" देगा। इस प्रकार साँप भी मर जायगा और लाठी एलिस का हृदय धड़कने लगा। भी न टूटेगी।"
"अच्छा ! मैं जब इन्ग्रेवर के पास नाम खुदवाने अगले दिन एलिस ने ऐसा ही किया। अंगूठी गया, वहाँ एक व्यापारी बैठा था। उसने अगूठी देखउसके पति को भी जंच गई । जौहरी ने भी ज़रा कर पूछा-"यह कितने में ली ?" नमक-मिर्च लगाया । “जनाब ! इसका असली दाम मैंन अपनी चीज की क़द्र बढ़ाने के लिए कहा१२५) था । परन्तु जो महिला इसे पहले ले गई थी "१००) में।" उसने आर्थिक कठिनाई के कारण इसे ५० रुपये तक "मैं तुम्हें दो सौ देता हूँ। मुझे बेच दो।" बेचने की आज्ञा दी है। आप भाग्यशाली है जो मैंने समझा, आगया धोखे में । नक़ली हीरे को
आपको ऐसा अवसर हाथ आ रहा है। आप बन- असली समझ रहा है । अब मैंने ज़रा ऐठ कर कहावाने जाइए। आपको १२५) से दमड़ी कम न "जनाब पांच सौ रुपये से कम को नहीं है।" लगेगी। है तो यह नक़ली पत्थर, मगर असली को व्यापारी ने अँगूठी को गौर से देखा और मात करता है । खुद जौहरी भी धोखा खा जाय ।” पूछा-"क्यों ? बेचने का विचार है ?" ___ एलिस के पति ने ४५) देने चाहे। परन्तु दूकान- "ली तो अपने लिए थी। यदि आपको पसन्द दार ने कहा-"५०) देने हो तो दीजिए, नहीं तो ही आगई है तो ५००) में बेच भी सकता हूँ।" रास्ता नापिए।"
___“व्यापारी ने फौरन १००) के पाँच नोट गिन ___ एलिस ने पति की ओर कटाक्ष से देखा। भला दिये । सो ले आया हूँ, जिसमें से ५०) तुम्हारे और स्त्री के प्रेम-कटाक्ष की अवहेलना कौन पुरुष-पुंगव शेष ४५०) मेरे। कर सकता है ?
"देखा ! कैसा होशियार हूँ ! तुम मुझे व्यर्थ में सौदा तय हुआ। जौहरी ने अँगूठी डिबिया में बुद्ध बनाया करती हो।"
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