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संख्या २]
नई पुस्तकें
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४६-२-बाल-शिक्षा-समिति, बाँकीपुर, से सिद्धान्तों से भी पारसी-धर्म के सिद्धान्त मिलते हैं। इस प्रकाशित बाल शिक्षा मासिक ग्रन्थ-माला -- प्रकार लेखक महोदय ने उपर्युक्त सभी धर्मों की एकता (१) ईश्वर-लीला-(२) भूकम्प
का प्रतिपादन किया है। और यह सब वर्णन विस्तार के (३) हरिजन-बन्धु-लेखक. महात्मा गांधी साथ किया गया है तथा विषय का प्रतिपादन भी - (४) राजा राममोहन राय-लेखक, राय साहिब सप्रमाण किया गया है । विद्वान् लेखक का यह प्रयत्न बेचूनारायण
साधु हुआ है । निस्सन्देह हिन्दू-पार्सियों के एकीकरण का (५) तब और अब-प्रणेता श्री रामदास गौड़ विचार परम उत्तम है। स्पष्ट बात तो यह है कि ये एम० ए०
सारे धर्म और त एक ही वेद-वक्ष की शाखायें हैं. जो (६) अच्छी चाल-प्रणेता एक हिन्दी लेखक, समयान्तर में भिन्न भिन्न नामों से प्रख्यात हो गये। हाँ.
(७) सम्राट पंचम जाज और सम्राज्ञी मेरी- इस एकीकरण का काम जितना ही अधिक महत्त्वपूर्ण है, (रजत जयंती-अंक) लेखक राय साहब बेचूनारायण उतना ही जटिल भी है। अतएव इस विष उक्त पुस्तकों के सम्पादक श्री रामदहिन मिश्र हैं । वार्षिक प्रयत्न करनेवाले लेखकों और वक्ताओं को बहुत बुद्धिमत्ता मूल्य २॥) और प्रत्येक का ।) है।
के साथ आगे बढ़ना चाहिए । उद्दण्डता उद्देश का भूत५३-आलोक-सचित्र सिनेमा का साप्ताहिक पत्र- काल में नाशक रहा है, और आगे भी रहेगा । उपर्युक्त सम्पादक, श्री ललितकुमार 'नटवर' हैं । एक अंक का मूल्य ग्रन्थ में ख्वाजा कमाल उद्दीन की जो चर्चा कहीं-कहीं -) और वार्षिक मूल्य ३) है । प्रकाशक, मैनेजर 'आलोक' आई है वह सुरुचिपूर्ण नहीं है। इसके सिवा अनेक दि स्टौन्च लिमिटेड, पटना ।
बार वही बातें कही गई हैं जिससे पुस्तक में शिथिलता ५४.--मतवाला- साप्ताहिक पत्र है, सम्पादक, चन्द्र श्रा गई है । तथापि यह एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है और शर्मा...रमाशंकर मिश्र, प्रकाशक, देवदत्त कम्पनी, चेम्बर धर्म की जिज्ञासा रखनेवालों को इसे अवश्य पढ़ना लेन रोड, लाहौर, वार्षिक मूल्य ६) और एक प्रति चाहिए। का =) है।
-'एक धर्मप्रेमी'
२-३-दो महत्त्वपूर्ण कोश१-दी इथिकल कनसेपशनस् आफ दी गाथा (१) आयुर्वेदीय कोष - इस विशाल कोष की रचना (The Ethical Conceptions of the Citha)... चुनार के बाबू रामजीतसिंह वैद्य तथा बाबू दलजीतसिंह लेखक, श्रीयुत यतीन्द्रमोहन चटर्जी, एम० ए०, प्रकाशक- वैद्य ने की है। इसमें केवल आयुर्वेदीय औषधियों के ही जहाँगीर, बी० करनीस सन्स, बम्बई हैं। पृष्ठ-संख्या ५६६, नाम नहीं संग्रह किये गये हैं, किन्तु यूनानी तथा डाक्टरी मूल्य २) है।
ओषधियों के भी नाम दिये गये हैं। इस प्रकार इसके प्रस्तुत पुस्तक अँगरेज़ी-भाषा में है । इसमें पार- प्रणयन में इस बात का ध्यान रक्खा गया है कि तीनों सियों के सुप्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थ 'गाथा' की महिमा प्रणालियों के श्रोषधि-समूहों का इसमें समावेश हो जाय । का वर्णन है । तात्त्विक दृष्टि से विवेचन किया गया है यही नहीं, इस बात का भी पूरा प्रयत्न किया गया है कि और उस सिलसिले में यह बताया गया है कि पारसी-धर्म जिन ओषधियों के गुण-दोषों के विवेचन में विस्तारपूर्वक के सभी सिद्धान्त वैदिक हैं तथा यहूदियों, ईसाइयों और चिकित्सा-ग्रन्थों में चर्चा की गई है उनका भी इसमें यथामुसलमानों के धर्म पर भी उसका महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा स्थान समावेश हो जाय, साथ ही चिकि-सा-सम्बन्धी सभी है। इसी प्रसंग में उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि पारिभाषिक बातों का एवं रोगों के निदान तथा उनकी इस समय के सिक्खमत, आर्यसमाज और ब्रह्मसमाज के सम्यक चिकित्सा प्रणाली का भी यथास्थान वर्णन श्रा
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