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सरस्वती
[भाग ३६
[श्री सी० एल० मेहता] और ३३ गोल खाये । वह कहीं नहीं हारी और न कोई मैच ही अधूरा जाने दिया। कैसा गज़ब का रेकार्ड रहा !
[श्री ध्यानचन्द] संसार के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी ध्यानचन्द ने इस दौरे में अकेले का है वही स्थान हाकी में भारत का है। दो बार भारतीय ही ११२ गोल किये और उसके भाई रूपसिंह ने ७६ गोल टीम ने अपना जौहर दिखाकर संसार के खिलाड़ियों किये । ध्यानचन्द और रूपसिंह की जोड़ी इस खेल में पर अपने कौशल की छाप लगा दी है। अगले साल १६३६ अद्वितीय है। अपने इस चमत्कारपूर्ण खेल के कारण ही में बर्लिन में होनेवाले उक्त खेलों में उसे अपनी शान आज विदेश में वे शाहज़ादों का-सा सम्मान पा रहे हैं। रखनी है। भारत के खिलाड़ी युवक हैं। उनमें विजय का अभी हाल में भारत से एक टीम न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया उत्साह और अपने कौशल में विश्वास है। आशा है, में खेलने गई है और वह वहाँ कैसा अद्भुत कौशल भारतीय टीम तीसरी बार भी संसार-विजयी होने का गौरव दिखा रही है, यह बात खेलों से दिलचस्पी रखनेवाले प्राप्त करेगी। समाचार-पत्र के पाठकों से छिपी नहीं है। अभी तक तीन ओलिम्पिक गेम्स में होनेवाले और और खेलों में भारत टेस्ट मैच खेले गये हैं, और इन तीनों में भारतीय टीम की की प्रतिभा अभी उतनी नहीं चमकी है । सर्वप्रथम १६२४ जीत हुई है। अब तक भारतीय टीम ने ३३५ गोल किये हैं, में पेरिस के अोलिम्पिक खेलों में यहाँ से कुछ भारतीय जिनमें ध्यानचन्द ने ११६ और रूपसिंह ने १०६ किये हैं। खिलाड़ी भेजे गये थे, पर वहाँ के खेलों के स्टैन्डर्ड से _हाकी में भारत की टीम अपना सानी नहीं रखती। भारतीय खिलाड़ियों का स्टैन्डर्ड बहुत नीचा रहा। इस क्रिकेट में संसार में जो स्थान प्रास्ट्रेलिया और इंग्लैंड कारण असफलता ही रही । फिर १९३२ में लास एंजिल्स