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सरस्वतो
[भाग ३६
[ऊपर (१) बेप्पू चीनो इजिगोकू का वाष्पपूर्ण तप्तकुण्ड (२) एक शिन्तो मन्दिर का द्वार नीचे (१) किमोनो और खड़ाऊँ (२) पुराने और नये फ़ैशन ]
धूम्रपानशाला में जमा हो गये। कुछ देर बाद डाक्टर भी लगा रहे थे। एक दोमहला स्टीमर तो कश्मीर के हौसअाया । दरवाज़े में घुसते ही टोपी उतारकर उसने हाथ में बोट की तरह पूरा मकान-सा मालूम होता था। वह भी ले ली, और ऊपरी धड़ को झुकाकर जाँघ के साथ प्रायः शिमोनासाकी से मोजी की ओर जा रहा था । पता लगा, समकोण बनाते हुए उसने प्रणाम किया। हम लोगों की आर-पार के दोनों नगरों के यात्रियों को ले जाने और ले अोर से भी सिर झुकाकर उसका उत्तर दिया गया । कुर्सी पाने के लिए थोड़ी थोड़ी देर में यहाँ जहाज़ खुला करते पर बैठकर उसने एक बार हमारे चेहरों की ओर देखा, हैं। मोजी की आबादी एक लाख से ऊपर है, और यहाँ
और "हाँ" कह कर टोपी उठा फिर उसी तरह अभिवादन बहुत-से कारखाने हैं। कर चला गया। जहाज़ फिर लंगर उठा प्राधा या पौन जहाज़ के खड़े हो जाने पर पासपोर्ट देखनेवाले घंटा चला और हम मोजी के सामने आ पहुँचे । किनारे पर अफ़सरों की नौकायें आई। पहले ही दोहरा फ़ार्म हमसे पानी बहुत गहरा नहीं है, इसलिए हमारे 'अन्योमारु' की करवा लिया गया था, जिसमें वल्दियत, सकूनत, जातीभाँति कितने और महा समुद्रगामी जहाज़ बीच में ही लंगर यता, पासपोर्ट नंबर के साथ जापान-यात्रा का प्रयोजन डाले खड़े थे । देखा कि एक एक स्टीमर रेलगाड़ी के माल लिखवा लिया गया था। मोजी में देखा जानेवाला फ़ार्म के ढोनेवाले डिब्बे लादे शिमोनोसाकी से मोजी की ओर ले सामने रखकर हर एक आदमी से कुछ पूछा जाता था। जा रहा है। अनेक मोटर-नौकायें तथा स्टीमर भी दौड़ पासपोर्ट का चित्र और नंबर मिलाया जाता था। फिर यात्रा
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