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सख्या ३]
विजय के पथ पर
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एक खिलाड़ी लैंड्री को आपने लाहौर में हराया था। इस खेल की चर्चा बहुत दिनों तक समाचार-पत्रों में रही थी, क्योंकि लेडी ने पराजय के रोष में बहत-सी अनर्गल बातें कह डाली थीं। मदनमोहन योरप के कितने ही बड़े बड़े टूर्नामेंट जीत चुके हैं। यहाँ भारत के उदीयमान खिलाड़ियों में सोहनलाल, कृष्णस्वामी, मेहताबन्धु, सोनी, भंडारी, रणवीरसिंह, कच्छ के महाराजकुमार, बाबू रघुवरदयाल, रचप्पा, बालगोपाल इत्यादि अधिक प्रसिद्ध हैं। यथोचित शिक्षा मिलने से ये सभी बहुत अच्छे खिलाड़ी हो सकते हैं और यहाँ के टेनिस स्टैंडर्ड को उन्नत कर सकते हैं। प्रसन्नता की बात है कि यहाँ की लान टेनिस असोसिएशन योरप से किसी विख्यात खिलाड़ी को बुला कर शिक्षा का प्रबन्ध कर रही है। इस ओर कलकत्ते के 'साउथ क्लब' ने बहुत काम किया है। इसी क्लब के प्रयत्न
[श्री रन जी] से हर साल एक विदेशी टीम भारतवर्ष अाती है । अब तक फ्रांस, इंग्लेंड, जापान, इटली, युगोस्लेविया तथा प्रास्ट्रेलिया से टीमें आ चुकी हैं। इस बार दिसम्बर में जर्मनी की टीम ग्रानेवाली है । अन्य देशों के खिलाड़ियों की इस प्रकार की टीमों को अपने यहाँ बुलाने से बहुत लाभ होता है । उनके साथ खेलने से ही अपने खेल की क्षमता एवं त्रुटियाँ मालूम पड़ती हैं। स्त्रियों ने भी टेनिस में अच्छी उन्नति की है। मिस सैंडीसन और मिस लीला रो उनमें अधिक प्रख्यात हैं। दोनों ही विदेशों में खेलकर अच्छा नाम कमा चुकी हैं।
पोलो-पोलो में भी भारत अग्रणी है। पोलो शाही खेल है और इसमें लाखों का खर्च होने के कारण इसे राजे-महाराजे ही खेलते हैं । १६११ में इंग्लैंड के विख्यात रनेलीघ ग्राउंड में भारतीय टीम ने कारोनेशन कप जीता
[प्रोफ़ेसर के० वी० ऐयर]