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सरस्वती
[भाग ३६
संसार के इतिहास में यह लड़ाई अभूतपूर्व होगी। तभी तो इंग्लेंड, फ्रांस आदि इसे चुपचाप देखेंगे ।
उधर जापान चीन को दबाये जा रहा है। जापान के पास भी युद्ध की अप-टु-डेट सामग्री मौजूद है। वह उसका अफीमची चीन पर उपयोग क्यों न करे ? एशिया का वह उदीयमान सूर्य है। उसका प्रकाश चीन में पहुंचना ही चाहिए।
"बेटा, यह समुद्र है।"
इस प्रकार संसार में 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' की कहावत चरितार्थ हो रही है। और जिनके पास बम-गोले हैं वे उनका उपयोग कर रहे हैं। बेचारे भारतवासियों के पास कुछ नहीं है और रक्षक ब्रिटिश सरकार है, इससे रूम या जापान के हमले का डर भी नहीं है। पर वे घायल होना चाहते हैं। कदाचित् यही कारण है कि यदि सरकार विदेशी हमलों से उन्हें बचायेगी तो वे आपस में ही सिरफुटौवल करेंगे। जिनकी खोपड़ी इतनी मजबूत नहीं है वे वाक्-युद्ध ही करेंगे।
-सदानन्द
"बेटा, यह ज़मीन है।" ऊपर मुसोलिनी का जिक्र आया है। शाबास ! बहादुर हो तो ऐसा हो । ३०० लड़ाकू हवाई जहाज
और लाखों अप-टु-डेट अस्त्रों से सज्जित सैनिक लिये एबीसीनिया पर चढ़ा जा रहा है। और उधर एबीसीनिया भी तलवार और बा लेकर मैदान में आ डटा है । मुसोलिनी आसमान से बम गिरावेगा और एबीसीनिया ज़मीन पर से उसे तलवार दिखावेगा।
La Vangu
JI
" और प्यारे पुत्र, यह आसमान है !"
. -'रिव्यू अाफ़ रिव्यूज़' से।
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