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समार कागति
इटली की महत्त्वाकांक्षा
होगी। और यही समझ कर लोग यह अन्दाज़ करते हैं ल ज ला रप की समस्या एक बार फिर कि इस मामले में ब्रिटेन का हस्तक्षेप करना असम्भव न
टेढी हो गई है। इटली के होगा। परन्तु ब्रिटेन के नये वैदेशिक मंत्री सर सैमुअलसर्वेसर्वा मुसोलिनी को ग्रेट- होर ने इधर यह कहा है कि ब्रिटेन इस मामले में अपनी ब्रिटेन का प्रस्ताव स्वीकार ग्रोर से कोई कार्रवाई नहीं करेगा। इसमें सन्देह नहीं
नहीं है और वे अबीसीनिया कि अबीसीनिया इस झगड़े को पंचायत से तय करने का ISKास पर चढ़ दौड़ना चाहते हैं। तैयार है। परन्तु इटली अकड़ता ही जाता है। उसके
ग्रेटब्रिटेन के राष्ट्रसंघ-मंत्री पास प्रबल सेना है और वह अाधुनिक शस्त्रास्त्रों से भी मिस्टर इडेन ने मुसोलिनी से भेंट की थी और उनसे प्रस्ताव भले प्रकार सजित है। इसके सिवा वह अपना साम्राज्य किया था कि वे अबीसीनिया से इटली को उक्त विवाद- बढ़ाना चाहता है, और उसके लिए अबीसीनिया का राज्य ग्रस्त भूभाग दिला देंगे और उसे अपने अधिकृत भूभाग सबसे अधिक सुभीत का है। फिर उसके साथ का का एक अंश देकर संतुष्ट कर लेंगे। अबीसी निया को एक झगड़ा भी काफ़ी तूल पकड़ गया है । तब इटली उसे बन्दरगाह की ज़रूरत है ही, अतएव इस प्रलोभन से वह सस्ता कैसे छोड़ सकता है ? राष्ट्र संघ की अगली बैठक उक्त भूभाग इटली को खशी खशी दे देगा। परन्तु मुसा- के बाद इन दोनों राज्यों के बीच युद्ध छिड़ जाने की पूरी लिनी को ब्रिटेन के वैदेशिक विभाग के महत्त्वपूर्ण अधि- सम्भावना है। यह स्पष्ट है कि अबीसीनिया इटली का कारी का यह प्रस्ताव नहीं पसन्द हया। वे तो अबीसी- सामना नहीं कर सकेगा, परन्तु वहाँवाले बिना युद्ध किये निया को अपने अधीन करने का निश्चय-सा किये हुए बैठे हार मान लन का तयार नहा है। चाह जा हा, इस हैं। इसी से उनके प्रतिनिधियों ने पिछले कमीशन का भी समस्या ने यह बात एक बार फिर प्रकट कर दी है कि कार्य नहीं होने दिया। ऐसी दशा में यह स्पष्ट ही है कि राष्ट्र-संघ एक दिखाऊ चीज़ भर है, जिस मतलब के ऊँट किस करवट बैठेगा। क्योंकि इस मसले में जो ग्रेट- लिए उसकी स्थापना हुई थी उसे उसने एक बार भी पूरा ब्रिटेन अभी तक विशेष दिलचस्पी ले रहा था उसने नहीं किया है। भी कह दिया है कि वह इटली के मार्ग में किसी तरह की बाधा नहीं डालेगा। अतएव इटली के अबीसीनिया पर
परादि
अभ्युदय आक्रमण करने के मार्ग से सारी बाधायें दूर हो गई हैं वर्सेलीज़ के सन्धि-पत्र को जर्मनी ने फाड़ कर फेंक और वह स्वेच्छानुसार कार्य करने को स्वतन्त्र है । मुसोलिनी दिया है और एक स्वाधीन राष्ट्र की भाँति वह अपने राष्ट्र के भाषणों से प्रतीत होता है कि वह अवीसीनिया को उसी की रक्षा और उसके अभ्युदय की स्वेच्छानुसार व्यवस्था प्रकार अपने अधिकार में कर लेना चाहता है, जैसे भी कर रहा है। उसकी इस कार्रवाई का प्रभाव दूसरे जापान ने मंचूरिया को कर लिया है। और इसमें सन्देह पराजित राष्ट्रों पर भी पड़ा है और वे भी अब अपनी गर्दन नहीं है कि ऐसा होने में ब्रिटेन की विशेष रूप से हित-हानि सीधी करते हुए दिखाई देते हैं। ग्रास्ट्रिया और हंगरी
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