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सामायक साहित्य
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नागरी-लिपि में सुधार
(३) स्वरों के लिए वर्तमान इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ के
रूप को छोड़कर सबके सब स्वर 'अ' की बाराखड़ी व नागरी-लिपि में सुधार की (ककहरा) के रूप में लिखे और छापे जायँ । इस 'अ' की PAR T चर्चा इधर कई वर्षों से हो बारा खड़ी में बम्बई-टाइप का 'अ' काम में लाया जाय ।
रहा है। ग्वालियर, दिल्ली इस प्रकार स्वीकृत वर्णमाला का स्वरूप निम्नलिखिता
और इन्दौर में पिछले तीन नुसार होगा
वर्षों से सम्मेलन के जो अ, आ, श्रि, श्री, ग्रु, अ, ऋ, ग्रे, औ, श्रो, औ, ग्रं, अः ISARGIKOPAT अधिवेशन हुए हैं उनमें भी (४) दक्षिण की लिपियों के स्वरों में ह्रस्व 'ए' और
यह प्रश्न उठा है। इन्दौर ह्रस्व 'श्रो' के रूप पाते हैं, उनके लिए मात्रा (5) इस में तो इसके लिए बाकायदा एक समिति ही स्थापित हो प्रकार लगायी जाय । गई है, जिसके संयोजक श्री काका कालेलकर जी है। (५) युक्ताक्षरों में भी सब व्यंजन और स्वर उच्चारण गत २५-२६ जून को इस समिति की पहली बैठक के क्रम से लिखे जायँ, रेफ भी उच्चारण के क्रम से दो वर्धा में हुई जिसमें निम्नलिखित प्रस्ताव स्वीकृत हुए। अक्षरों के बीच में आ जाय । लेकिन ॐ श्री और ज्ञ ये
(१) यह समिति निर्णय करती है कि देवनागरी-लिपि अक्षर अाज जिस रूप में लिखे जाते हैं, वे ही रूप कायम के अक्षरों पर शिरोरेखा आवश्यक नहीं है। इसलिए लिखने रक्खे जायँ। अर्थात् इनमें कोई परिवर्तन न किया जाय । में शिरोरेखा वैकल्पिक हो और छापने में प्रेसवाले उसे (६) पूर्ण अनुस्वार के स्थान पर '' लगाया जाय हटाने की कोशिश करें।
और चन्द्रविन्दु की जगह केवल '' लगाई जाय । उक्त किन्तु शिरोरेखा हटाते हुए भी छपाई में उसका अंश अनुस्वार के लिए वैज्ञानिक रूप से स्वर-हीन ङ् ञ् , ण, अक्षरों के सेरिफ के सूक्ष्म रूप में रह जाय तो वह परिचित न्,म् भी लिखे जा सकते हैं।
आँखों को अच्छा जान पड़ेगा। इसलिए समिति ने निर्णय (७) अक्षर के नीचे बाई ओर यदि अनुकूल स्थान किया है कि (शिरोरेखा-विहीन) लिपि के भिन्न भिन्न डिज़ा- पर बिन्दी लगाई जाय तो उसका अभिप्राय यह होगा कि इन (नमूने के चित्र) विशेषज्ञों से मँगवाये जायँ । उनमें उस अक्षर की ध्वनि उसकी मूलध्वनि से भिन्न है। उस से किसी एक रूप को समिति पसन्द करेगी।
ध्वनि का निर्णय प्रचलन के अनुसार होगा, जैसे(२) बाराखड़ी में स्वरों की सब मात्राये अक्षरों के क, ख, ग़, च, छ, ज, झ, ड, ढ, फ़, ब, इत्यादि । आगे रखी जायँ, सिर पर या पाई के नीचे नहीं । हस्व (८) विराम-चिह्न आज तक सब भाषाओं में जैसे 'F' के सम्बन्ध में यह निर्णय हुया कि उच्चारण के क्रम प्रचलित हैं, वैसे ही कायम रक्खे जायँ । केवल पूर्ण विराम से वह भी आगे ही लिखी जाय, किंतु उसके स्वरूप को का चिह्न पाई ।' रहे। निश्चित करने के लिए विशेषज्ञों से सूचनायें मंगवाई (6) अंकों के स्वरूप इस प्रकार होंगेजायँ । तब तक वर्तमान पद्धति से-हस्व ''ि भले ही १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ६, °, लिखी जाय।
(१०, वर्तमान ख अक्षर बिलकुल अनुकूल नहीं है,
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