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सरस्वती
[भाग ३६
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इन मुसलमानों का कहना है कि इस बिल में उनकी सभी मात्र है । साम्प्रदायिक बँटवारे के विरुद्ध ऐसे विचार माँगों की पूर्ति नहीं की गई है। और जब मुसलमान तक रखते हुए भी उन्होंने भारतमंत्री का पद स्वीकार किया है। असन्तोष प्रकट करते हैं तब अन्य जातियों के सम्बन्ध में उस दिन हाउस श्राफ़ लास में 'इंडियाबिल' को उपस्थित क्या कहा जाय-कांग्रेस या दूसरी संस्थाओं की आकांक्षाओं करते समय उन्होंने अपने भाषण में अपनी सफ़ाई देते की पूर्ति का होना तो इस बिल से सोचा ही नहीं जा हुए कहा है कि यद्यपि वे साम्प्रदायिक बँटवारे के विरुद्ध हैं, सकता।
तथापि उन्होंने बहुमत के आगे सिर झुका दिया है और वे आश्चर्य तो यह है कि पार्लियामेंट के अनुभवी अपने कार्य-काल में उस 'बहुमत' के अनुसार ही कार्य राजनीतिज्ञों तक ने भारतीय लोकमत के दृष्टिकोण को करेंगे । लार्ड जेटलेंड के भारतमंत्री बनाये जाने से संप्रदासमझने की परवा नहीं की। यह बात हाउस अाफ़ यवादी हिन्दू प्रसन्न हुए होंगे। परन्तु लार्ड महोदय की उक्त कामंस के उक्त बिल-सम्बन्धी वाद-विवादों से बहुत कुछ सफ़ाई से उन्हें निराशा भी हुई होगी। वास्तव में भारत के प्रकट हो चुकी है और जो थोड़ा-बहुत प्रकट होना बाक़ी सम्बन्ध में ब्रिटेन के मंत्रिमंडल की एक निश्चिन्त नीति रहती रह गया है वह अब हाउस अाफ़ लाड्स के वाद-विवाद है, जिसका पूर्ण रूप से अनुभव मज़दूर-दल की सरकार के से व्यक्त हो जायगा । अभी उस दिन हाउस अाफ़ लाड्स समय ही भारत को हो चुका है। परन्तु आशावादी हार में स्वयं भूतपूर्व भारतमंत्री लार्ड क्रू ने साफ़ कहा है कि नहीं मान सकते और वे मंत्रिमण्डल के इस परिवर्तन में लार्ड भारत को डोमीनियन स्टेटस का पद कभी से प्राप्त है, जेटलेंड के भारतमंत्री बनाये जाने से और भी अधिक रहा उसके अधिकार प्राप्त करना से धीरे धीरे वे भी प्राप्त अाशान्वित हुए होंगे। ऐसे लोगों को जान लेना चाहिए हो जायँगे । पार्लियामेंट के बहुमत का ऐसा ही दृष्टिकोण कि 'इंडिया-बिल' पास हो चुका है और उसके साथ ही है । एक अकेला मज़दूर-दल अलबत्ता भारतीय लोकमत साम्प्रदायिक बँटवारा भी पास हो चुका है। यही नहीं, को पार्लियामेंट में बार बार प्रकट करता आया है। परन्तु उसके अनुसार नूतन शासन-प्रणाली भी अगले वर्ष से कार्य उसका वहाँ कुछ भी ज़ोर नहीं है । अतएव नये शासन- में परिणत होगी। मंत्रिमण्डल का कोई भी परिवर्तन अब सुधार भारत में वही जारी किये जायेंगे जिनका जारी होना उसकी प्रगति में बाधा नहीं दे सकेगा। तथापि इतनी बात वहाँ की वर्तमान राष्ट्रीय सरकार ने स्वीकार किया है । यह स्पष्ट है कि वर्तमान भारतमंत्री को भारत का व्यावहारिक बिल उसी का लिखित रूप है।
ज्ञान है और वे भारतीय प्रश्नों पर अधिक सहानुभूति के
साथ विचार करेंगे । कम से कम हिन्दुओं को तो उनसे साम्प्रदायिक बँटवारा
ऐसी ही आशा है। उन्होंने अपने हाउस अाफ़ लार्डस ग्रेट ब्रिटेन के मंत्रिमण्डल में जो परिवर्तन जून में के भाषण में इस बात का आश्वासन दिया है कि हना है उसके अनुसार अनुदारदल के नेता मिस्टर हिन्दू-मुसलमानों में समझौता करा देने का वे अपने बाल्डविन प्रधान मंत्री बनाये गये हैं और भारतमंत्री का भरसक प्रयत्न भी करेंगे। पद लार्ड जेटलेंड को दिया गया है। लार्ड ज़ेटलेंड बंगाल के गवर्नर रह चुके हैं और ये प्रसिद्ध साम्प्रदायिक
हिन्दुओं का विकट ह्रास बँटवारे के पूर्ण रूप से विरुद्ध रहे हैं। इनका कहना है संसार में केवल भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ कि विधान द्वारा व्यवस्थापक सभाओं में हिन्दुओं को हिन्दू बसते हैं। परन्तु उनकी संख्या में दिन प्रतिदिन निम्न स्थान देकर यह अाशा करना कि नियत समय के भारी कमी होती जा रही है । यह हिन्दुओं के लिए सचमुच बाद हिन्दू और मुसलमान आपस में समझौता करके विशेष चिन्ता की बात है। १६३१ की मनुष्य-गणना के सम्मिलित चुनाव-प्रणाली ग्रहण कर लेंगे, केवल दुराशा. आँकड़ों से प्रकट होता है कि उनकी संख्या की कमी का
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