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सरस्वती
[भाग ३६
आशा कर सकते हैं कि 'सम्मेलन' ही इस पुनीत कार्य का भार अपने ऊपर लेकर इस जटिल प्रश्न की मीमांसा सदा
अलमोड़े का वसन्त के लिए कर डालने का श्रेय लेगा ?
गत अङ्क में उपर्युक्त शीर्षक में पन्त जी की एक
कविता प्रकाशित हुई थी । हमारे कुछ मित्रों को उसकी हिन्दुस्तानी एकेडेमी का नया आयोजन ।
प्रथम चार पंक्तियों के अर्थ में भ्रम हुअा है। इसकी 'सरस्वती' के गत अंक में हमने एकेडेमी के जिस
सूचना हमने पन्त जी को दी। कविता का जो स्पष्टीकरण नूतन प्रकाशन का उल्लेख अपने एक नोट में किया था वह
पन्त जी ने एक प्राइवेट पत्र में किया है उसे हम यहाँ जिस ग्रन्थमाला के रूप में होगा उसका उद्देश कला और
ज्यों का त्यों छापते हैं। श्राशा है, अब लोगों का भ्रम विज्ञान तथा उसके भिन्न भिन्न अंगों पर सस्ती सार्वजनिक
दूर हो जायगा, साथ ही 'सरस्वती' के पाठकों का भी उपयोग की पुस्तके प्रकाशित करना होगा । इस ग्रन्थमाला
मनोविनोद होगा। की प्रत्येक पुस्तक का मूल्य साधारणतया १) रक्खा जायगा
___ "विद्रम मूंगा (नव पल्लव); मरकत -- पन्ना और प्रत्येक पुस्तक की छपाई, जिल्द, आकार-प्रकार तथा
(हरे पत्र); लाल और हरे पत्रों का मिश्रित वर्ण (छाया)। पृष्ठ-संख्या समान होगी। प्रत्येक पुस्तक प्रायः २०० पृष्ठों
सोने चाँदी का सूर्यातप । प्रातः-सन्ध्या की सुनहरी धूप; की होगी।
मध्याह्न की चाँदी की धूप। वसन्तागम के करीब दिगन्त पुस्तकें साधारण बोलचाल की भाषा और सरल शैली
में धूल भरी रहने के कारण भी यहाँ के सूर्यास्त अधिक में लिखी जायँगी और इनमें भिन्न भिन्न विषयों के सम्बन्ध
रक्तिम होते हैं एवं दोपहर अधिक चमकीले । हिमकी अपटुडेट और प्रामाणिक पाठ्य सामग्री रहेगी।
परिमल-श्रोस-वाष्प एवं सुगन्ध से पूर्ण रेशमी वायु । एकेडेमी का यह कार्य वास्तव में अधिक लोकोप
अर्थात् कोमल-उष्ण चमकीली वायु । हेमन्त की अत्यन्त योगी जान पड़ता है। इधर पिछले दिनों वह चुपचाप
ठण्डी वायु के बाद वसन्त की वायु गरमी लिये अत्यधिक ही अपना निर्दिष्ट कार्य करती रही है। परन्तु उसकी वह
प्रिय लगती है। साथ ही शीत-काल की जड़ता के बाद नीति कदाचित् उसके अधिकारियों को उसके उपयुक्त
पहाड़ों पर वसन्त ऋतु में वायु में अधिक उज्ज्वलता एवं नहीं प्रतीत हुई। इसी से उसने अपने कार्य का उक्त
कोमलता आ जाती है। शतरत्न-छाय-सौ सौ रत्नों के आयोजन ही नहीं किया है, किन्तु वह अब पहले
रंगों के नभ पर जिसमें उड़ते हुए पक्षी ऐसे लगते हो की भाँति साहित्यिक जलसा भी किया करेगी जैसा
मानो किसी ने नीले रेशम पर चित्रित कर दिये होंकि उसकी 'कार्यकारिणी समिति' की विज्ञप्ति से प्रकट
खग-चित्रित नभ । अल्मोड़े की घाटी के दोनों छोर होता है। समिति ने यह निश्चय किया है कि आगामी
रंग-विरंगे फूलों से ढंक जाने पर तितली के पंखों से जाड़े के दिनों में एक साहित्यिक सम्मेलन किया जायगा,
__ लगते हैं-अतः चित्रशलभ-सी पंख खोल उड़ने को जिसमें हिन्दी-उर्दू के विद्वान् एकत्र होकर साहित्यिक
है उद्यत घाटी। इसका पाठान्तर यां भी है लो चित्रविषयों पर विचार करके इस बात का उपाय ढूँढेंगे कि .
शलभ-सी पंख खोल उड़ने को है कुसुमित घाटी।" हिन्दी-उर्दू-साहित्य की उन्नति में सहायता कैसे पहुँचाई
. श्राशा है इससे आपको 'अल्मोड़े का वसन्त' की जाय । इस सम्मेलन में अनेक साहित्यिक विषयों पर लेख
प्रथम चार पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट हो जायगा। पढ़ने तथा व्याख्यान देने का भी प्रबन्ध रहेगा।
हम हृदय से चाहते हैं कि एकेडेमी अपने प्रयत्न में सपल-मनोरथ हो ।
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