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संख्या २]
क़र्ज-सम्बन्धी कानून
१२९
जज का फ़ैसला मन्सूख कर देगी और उस क़र्ज़दार अगर इस मियाद के अन्दर कर्जदार रईस ने मतालबे की जमींदार का कर्ज साधारण कानून के अनुसार वसूल रकम नक़द लाकर अदालत में जमा कर दी तो कलक्टर होगा । (२०) इस कानून के अनुसार कर्जदार रईस का इस रकम से उसका सब क़र्ज़ अदा करके डिगरियों को कर्ज संक्षेप में निम्नलिखित तरीके से अदा हो सकेगा- खत्म कर देगा । (दफ़ा २३) लेकिन अगर मियाद के (१) जब कलक्टर द्वारा मियाद के अन्दर कर्जदार रईस खत्म हो जाने तक कर्जदार मतालबे की पूरी रकम - नकद रुपया कलक्टर की अदालत में जमा कर कलक्टर की अदालत में न जमा कर सका तो जितनी दे । (दफा २३)
रकम वह जमा कर सकेगा उसी को कलक्टर क्रम से (२) जमीन की मिलकियत के अलावा कर्जदार की बाक़ी क़र्ज़ की अदायगी में लगायेगा और बाकी कर्ज को __ जायदाद को कुर्क और नीलाम करके कर्ज अदा निम्नलिखित तरीके से अदा करेगाकर दिया जाय । (२४
___ सबसे पहले कलक्टर ज़मींदार की ज़मींदारी छोड़कर (३) जब नं० १ और नं० २ भी काफ़ी न हो तो ज़मीन बाकी जितनी सम्पत्ति है और जिसके बारे में उसे स्पेशल रहन रख कर । (२५)
जज ने सूचना दे दी है कि वह क़र्ज़ की अदायगी में ४) जब क़र्ज़ की मात्रा से अरक्षित जमीन की किस्ती रहन, बय या कुर्क हो सकती है, बेच देगा और उससे कर्ज
कीमत ज़्यादा है तब क़र्ज़ की अदायगी में स्थानीय की अदायगी कर देगा। (२४) लेकिन अगर कर्जदार रईस गवर्नमेंट का २० वर्षीय बांड महाजन को मिल चाहे तो कलक्टर को उसके लिए उसका घर और मालजायगा और कर्जदार रईस को यह रकम २० वर्ष के असबाब छोड़ देना होगा और सिर्फ बाकी सम्पत्ति का ही
अन्दर गवर्नमेंट को अदा कर देना होगा (२७) नीलाम करायेगा । कलक्टर को कर्जदार की उक्त सम्पत्ति (५) अगर अरक्षित जमीन की क़िस्ती कीमत कम है और नीलाम करने के पहले उदारी सुननी होगी। अगर
कर्ज ज़्यादा है, लेकिन कर्ज रक्षित ज़मीन की किस्ती कर्जदार रईस यह दरख्वास्त दे कि उसका कर्ज किस्तवार क़ीमत और अरक्षित ज़मीन की बिक्री की कीमत से अदा कर दिया जाय और उसकी जायदाद से किस्त अदा ज़्यादा नहीं है तो कलक्टर अरक्षित भूमि का कुछ हो सकती हो तो कलक्टर ज़मींदार की सम्पत्ति को नीलाम हिस्सा बेच देगा और जो कर्ज़ बाकी रह जायगा न करेगा। अगर ऐसा नहीं मुमकिन है तो कलक्टर
उसका बांड महाजन को दे देगा। (२८) जमींदारी के अलावा बाकी सारी जायदाद बेच कर उसका (६) अगर कर्ज रक्षित ज़मीन की किस्ती कीमत और क़र्ज़ अदा कर देगा । (दफा २४) अगर कर्जदार जमींदार
अरक्षित ज़मीन की बिक्री की कीमत से भी ज्यादा की जमींदारी के अलावा सारी सम्पत्ति बेच देने पर भी है तो कलक्टर पूरी अरक्षित ज़मीन बेच देगा और उसका कर्ज अदा नहीं होता है तो कलक्टर अगर कोई साकी कर्ज के बदले में कलक्टर गवर्नमेंटी बांड मुरतहिन मिला और उपर्युक्त दोनों रहनों में किसी भी
महाजन को दे देगा । यह रकम गवर्नमेंट ज़मींदार किस्म का रहन रखने के लिए तैयार हो गया तो वह . से २० वर्ष में सूद के सहित वसूल कर लेगी। उसकी मुनाफ़े की अरक्षित जमींदारी रहन रख देगा।
विशेष रूप से स्पष्ट करने के लिए हर एक तरीके को अगर कोई मुरतहिन न मिला और न क़र्ज़दार रईस इतना अलग अलग ब्योरा निम्नलिखित है।
काफ़ी रुपया ही जमा कर सका कि उसका कर्ज़ अदा किया पहला तरीका-स्पेशल जज के यहाँ से कलक्टर के जा सके तो ऐसी हालत में अगर कलक्टर यह देखे कि पास कर्जदार रईस के ऊपर कुल जितनी डिगरियाँ हैं, श्रा क़र्ज़दार रईस का कर्ज उसकी अरक्षित सम्पत्ति की किस्ती जायेंगी। कलक्टर कर्जदार को नोटिस देगा कि वह अमुक कीमत से कम है तो कलक्टर गवर्नमेंट-द्वारा बनाये हुए रकम उसकी अदालत में दो महीने के अन्दर जमा करे। नियमों के अनुसार महाजनों को तो उनके मतालबे की फा.५
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