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सरस्वती
[भाग ३६
श्रीमती मार्गारेट मीड ने न्य-गिनी की विवाह-प्रणाली रखता है कि कहीं ऐसा न हो कि उसकी पत्नी जादूगरों को का बड़ा मनोरंजक वर्णन किया है। न्यू गिनी साउथ-सी उसका कोई कपड़ा या बचा हुआ खाना न दे दे। न्यूद्वीप-समूह का एक द्वीप है। वहाँ की भूमि पथरीली और गिनीवालों का विश्वास है कि यदि जादूगर उस कपड़े बेहद ऊँची-नीची है, इस कारण तीन मकान भी एक को या बचे हुए खाने को तमाखू की तरह चिलम में साथ नहीं बनाये जा सकते हैं । वहाँ पैदावार भी बहुत रखकर पी लेगा तो कपड़े का मालिक टोटके से मर कम होती है और अकाल सदा सामने रहता है। जहाँ जायगा । इसलिए यह ज़रूरी है कि पति अाधा रतालू खाद्य पदार्थ बड़ी मेहनत से उत्पन्न किये जाते हैं, उसी अपने पास रक्खे, जिससे ऐसा मौका आने पर वह खुद प्रकार अरापेश-जाति में पत्नी भी बढ़ाई जाती है। लड़का उसी रतालू से जादू कराके पत्नी को मरवा सके। पत्नी जब छोटा होता है तभी से पिता को विवाह की चिन्ता इसी डर के मारे पति के खिलाफ़ कुछ नहीं करती है। सताती है। सात या आठ बरस की सुशील लड़की ढूँढ़- पर यह सब फ़र्जी बातें ही रहा करती हैं, क्योंकि न्यू गिनी कर पसन्द की जाती है और लड़के और लड़की के माता- में पत्नियाँ अपने पतियों से बहुत प्रेम करती हैं। विवाह पिताओं में बहुत कुछ बातचीत होने के बाद दोनों की का कोई संस्कार नहीं होता है। दोनों बड़े हो जाने पर सगाई हो जाती है । सगाई की रस्म बड़ी विचित्र है। पति-पत्नी हो जाते हैं और यह बात इससे ज़ाहिर हो जाती लड़का अपनी भावी पत्नी के सिर पर जाल का एक थैला है कि पत्नी स्वयं अपने हाथ से खाना पकाकर अपने रख देता है और सगाई पक्की हो जाती है । सगाई के बाद पति को खिलाती है । जिस दिन यह हो जाता है, मातासे लड़की अपने भावी पति के घर में रहती है । लड़के के पिता समझ जाते हैं कि विवाह हो चुका। यदि लड़की माता-पिता उस पर बड़ी कड़ी निगाह रखते हैं । लड़का जल्दी जवान हो गई और लड़का तब तक जवान न बाग़ में और जंगल में काम करके खाने का सामान लाता हुअा तो लड़की दूसरे किसी रिश्तेदार को ब्याह दी जाती है, जिसे खाकर लड़की का बदन बने ! जब लड़की जवान है। पर यह अच्छा नहीं समझा जाता, क्योंकि पत्नी वही होती है तब उससे पाँच दिन का व्रत कराया जाता है और अच्छी होती है जिसका बदन उसका पति ही बनाता है। उसके बदन पर बिच्छू-घास खूब मली जाती है। लड़का जीवन भर पत्नी अपने बदन के लिए अपने पति की बहुत ढूँढ़कर जंगल से जड़ी-बूटी लाता है और उनके श्राभारी होती है और यदि उसे खाना पकाने में देर हुई साथ एक रतालू मिलाकर उस सबकी तरकारी बनती है। तो पति कह सकता है कि "मैंने तुम्हें बनाया। मैंने रतालू पाँच दिन के व्रत के बाद लड़की को वही तरकारी खिलाई बोये, मैं साबूदाना लाया, मैंने कंगारू और कैसोबरी का जाती है । रतालू का अाधा भाग लड़की को उसी समय शिकार किया, मैंने तुम्हारा बदन बनाया । जल्दी खाना खाना पड़ता है और श्राधा भाग लड़का अपने पास प्रथम बनायो।" सन्तान होने तक सुरक्षित रखता है। उसे वह इसलिए
उमड़-उमड़ आती है ज्यों-ज्यों चक्षु-स्रोत में आँसू-धारा। क्यों होता जाता क्रम-क्रम सेत्यों-त्यों पुलकित हृदय हमारा ?
रहस्य लेखक, श्रीयुत राजाराम खरे
ज्यों-ज्यों मिलन-मुहूर्त सदा से निठुर ! टालते ही जाते हो। त्यों-त्यों क्यों हो रहा मुझे हैप्रणय तुम्हारा प्रति दिन प्यारा ?
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