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संख्या १]
[सैकड़ों घायल व्यक्ति हैदराबाद सिंध और अन्य स्थानों को भेजे जा रहे हैं। यहाँ एक जत्था हैदराबाद स्टेशन पर उतर रहा है ।]
कोयटे का प्रलयकारी भूकम्प
आज्ञा क्यों नहीं देते जब कि हम उनके शासनविधान में रहकर काम करना चाहते हैं।
केवल रेडक्रास सोसायटी और रेलवे वालंटियरों को ही भूकम्प पीड़ितों की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
इस भूकम्प में अधिक हानि धनाढ्यों या मध्यम स्थितिवालों की ही हुई है। झोपड़ियों में रहनेवाले दरिद्रनारायण भूकम्प-प्रकोप से बहुत साफ़ बचे जैसा कि एक ग़रीब मुसलमान मजदूर ने मुझसे हँसकर कहा - "बाबू जी ! हमारी गरीबी आखिर एक ही दफ़ा तो काम आई ।"
रोहरी स्टेशन पर पीड़ितों का नाम-पता इत्यादि लिख लिया जाता है ताकि बाद को जायदाद के मामले में सरकार उनको बुला सके ।
यह तो रहा कोयटे का हाल । परन्तु इस भयानक भूकम्प का असर कोयटे के इर्द-गिर्द ६ मील तक कलात स्टेट व अफ़ग़ान सरहद्द तक हुआ है। कलात स्टेट की राजधानी मुस्तङ्ग का तो सिवा कुछ सरकारी इमारतों के, जो शाहीबाग़ के सामने पहाड़ी पर हैं,
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[मुस्तङ्ग — मृत्यु के निकट पहुँचता हुआ एक बुड्ढा आदमी ।]
कुछ भी नहीं बचा, और जन-धन की भी क़ाफ़ी हानि हुई है।
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