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संख्या १]
कोयटा में प्रलय
वह रात ही रात एक टट्ट पर सवार होकर कोयटा को ऊँटों पर लाद कर मँगवाये और उन्हें सड़कों पर लगवाया। चल पड़ा । रास्ते में पहाड़ियाँ उसके इर्द-गिर्द घूमती तभी लिटन रोड तैयार हुई। पाला-ग्राउंड भी बारनेस नज़र पड़ती थीं । उसके घोड़े के पैरों-तले ज़मीन नीचे साहब ने ही बनवाई। को धंसी जाती थी। कोयटा में उसी ने जाकर भूचाल गरमियों के मौसम में कोयटा में दिन के वक्त ज़्यादा
की सूचना दी। फ़ौजी सिपाहियों के साथ लारी में बैठ- गरमी नहीं पड़ती, और रात के समय तो सदा कमरे के .. कर वह वापस मछ अाया। देखा कि कैदी भागे नहीं हैं, अन्दर कम्बल वगैरह अोढ़ करके सोना पड़ता है। फूलों के
क्योंकि भूकम्प के कारण वे भयभीत थे । उन दिनों कोयटा दिनों में वहाँ गुलाब खूब खिलता है। दिसम्बर और मार्च पाँच दिन के लिए संसार से अलग हो गया था, क्योंकि महीनों के बीच यहाँ हर साल वर्षा हुआ करती है। मैदान कोई गाड़ी वहाँ से किसी दूसरी जगह नहीं जा सकी। से गये हुए लोगों को तब बहुत ज़्यादा सर्दी मालूम हुआ इसके अतिरिक्त खास कोयटा में क्लब-घर और अस्पताल करती है। भी गिर गये थे।
यों तो कोयटा में भारत के हर प्रान्त के लोग श्राबाद भूचालों का इतिहास जानने के बाद हमारे सामने थे, किन्तु अधिकतर श्राबादी पंजाबियों और सिंधियों की प्रश्न होता है कि खुद कोयटे की कितनी उम्र है। क्या थी। पंजाबी, सिंधी, कुछ योरपीय और पारसी ही वहाँ के . यह कोई प्राचीन नगर है, जिसके पीछे भूकम्प इस बुरी बड़े व्यापारी थे । स्थानीय सरकारी दफ्तरों में भी ज्यादातर तरह से पड़े हुए हैं ?
पंजाबी और सिंधी ही थे। ___ कोयटा नाम की एक तलहटी भी है जो समुद्र-तल से सन् १८२८ में इस प्रदेश में पहला योरपीय पहुँचा। साढ़े पाँच हज़ार फुट ऊँची है। कोयटा-नगर इस समय उसने देखा कि कोयटा मेरी के इर्द-गिर्द बसा हुआ है। विशेष भौगोलिक एवं युद्ध-सम्बन्धी महत्त्व रखता है। (जिस स्थान पर मेरी-कस्बा श्राबाद था वहाँ भूचाल से नार्थ वेस्टर्न रेलवे ने इसे भारत से मिला दिया है। लाहौर पूर्व अस्त्रालय था ।) उन दिनों मिट्टी की एक कच्ची से यह ७२७ मील की दूरी पर है और कराँची से ५३६ दीवार मेरी के चारों तरफ़ बनी हुई थी और कस्बे में मील की दूरी पर । एक सड़क पेशीन को कोयटा से मिलाती कुल तीन सौ मकान थे। है । पेशीन से डेरा गाज़ीखान तक छकड़े चलते हैं। इन सन् १८४० में इस जगह पर आस-पास के कबीलों दोनों के दर्मियान २७० मील का फ़ासला है। के एक लश्कर ने आक्रमण कर दिया जिसे ब्रिटिश फौज ___ कोयटा का हिन्दुस्तानी कस्वा दक्षिण-पूर्व की ओर ने तीन घंटे में तितर-बितर कर दिया। उसी साल कुलात स्थित है और सिविल लाइन दक्षिण-पश्चिम की ओर । के कुछ कबीलों ने कोयटा पर हमला कर दिया। लेकिन छावनी तीसरी तरफ़ है। छावनी को बाकी दो भागों से उनमें परस्पर फूट पड़ गई और वे वापस चले गये। अलग करनेवाला हबीब नाम का एक नाला है।
जहाँ इस समय कोयटा श्राबाद था वह ज़मीन __कोलान के दर्रे तक पक्की सड़क बनी हुई है। जब गवर्नमेंट ने सन् १८७८ और १८८३ के बीच में प्राप्त द्वितीय अफ़ग़ान-युद्ध समाप्त हुआ और ब्रिटिश सेना की । तब केवल मूलवासियों को ही यहाँ रहने की इजाज़त कन्धार से वापस आई तब सेना के एक बड़े भाग ने उस थी या उनको जो सदा के लिए यहाँ रहना चाहते थे। समय कोयटा में आकर दम लिया। यह बात सन् १८८१ प्रारम्भ में गवर्नमेंट ने ३,७५४ एकड़ ज़मीन खरीदी। की है। कोयटा तब वीरान-सा था। इधर-उधर कीका इसमें से ३,४६६ एकड़ तो छावनीवालों ने घेर ली। और शहतूत को छोड़ किसी दूसरे वृक्ष का नाम भी न बाकी सिर्फ २५८ एकड़ सिविल टाउन के हिस्से में आई । था। सर राबर्ट संडेमन की स्वीकृति से तब मिस्टर बारनेस सारी ज़मीन के लिए ढाई लाख से कुछ ज्यादा रुपया ने कन्धार से कई प्रकार के पेड़ और पौधे दो-तीन सौ खर्च किया गया। छावनी की ज़मीन तो पथरीली-सी थी।
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