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सरस्वती
[भाग ३६
कोयटा नगर का नकशा
निराशियों का कैम
घुड़दौड़ का पैदान/
कम्पायर सिनीषा
का वहाबनी नी
कन्सी
सूरजगज सिनीया रंडियों की बस्ती व
प्रेपटाकी
केटा से ७ पोल २०. झोपड़े नष्ट
N
कान्धारी राज़ार
इसलामावाद
सिविल
रोड
अस्पताल
गरीबाबाद
ग्वाल मण्डी
रामगराव
बूस
मिशन रोड
लिटन
रेजिडेन्सीN
पुराना बाबू मोहल्ला
कोर्ट
एन्डरसन रोड
पोहल्ला
सैन्डेसैन लाइबरेरी प्रिंस रोड
प्रिंस रोड
'जी. एस.
बेलवे स्टेशन
रेलवे बस्ती
म्युनिस्पल टाउन हाल
१०%हिन्दू म%Dमुसलमान
नष्ट हुए स्थानों का नकशा
हुई है। बड़ी बड़ी अट्टालिकायें गिरकर मिट्टी में मिल साधारण तौर पर ९ ब्रिगेड यानी क़रीब ४०,८०० गई हैं। अगर बचे हैं तो वे ग़रीब लोग जो शहर के मिश्रित सिपाही रहते हैं। बाहर फूस की झोपड़ियों में रहते थे।
___ सरकारी रिपोर्टो द्वारा यह अनुमान किया जाता कोयटा-छावनी शहर की अपेक्षा बहुत-कुछ बच है कि इस भूकम्प से मरे अथवा घायल हुए मनुष्यों गई है। वहाँ न तो इमारतों की विशेष हानि हुई है, की संख्या लगभग ५६,००० है, जिसमें से कोई न उतने मनुष्यों का ही नुकसान हुआ है । तो भी ३०,००० के क़रीब तो कोयटा शहर के ही निवासी बहुत-सी इमारतें भूचाल के झपेटे में बुरी तरह आ हैं। बाक़ी छावनी और आस-पास के इलाके के लोग जाने के कारण हिल-सी गई हैं--कई-एकों में दराज़ हो हैं। जैसा कि नक्शे से विदित होता है, शहर में गये हैं, कई बीच से फट गई हैं और शायद अब अधिक आबादी हिन्दुओं की ही थी। मुसलमान लोग भूकम्प का एक भी झटका न सह सकें। बहुत-से तो शहर के आस-पास छोटे-छोटे गाँवों में या शहर के पाठक इस बात से अवश्य परिचित होंगे कि कोयटा- बाहर झोपड़ियों में रहते थे। हिन्दुओं में भी सिंधियों - छावनी उत्तर-पश्चिम-सीमा-प्रान्त में एक बहुत बड़ी और पंजाबियों का अधिक नुकसान हुआ है। कोयटे छावनी है। कोयटा से १५ मील आगे कलात स्टेट का करीब सारा व्यापार सिंधियों व पारसियों के हाथ शुरू हो जाता है, जिसकी सीमा खूखार जातियों के में था, और बाबू क्लास में पंजाबियों की बहुतायत सरहद्दी इलाके से जा मिलती है। कलात स्टेट में भी थी। प्रायः लोगों की आय के दो ज़रिये थे-मकानब्रिटिश फौजों का शासन है। कोयटा-छावनी में जायदाद का किराया-भाड़ा या सरहद्दी वस्तुओं का
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