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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ सरल स्वभावी, परम उपकारी वर्तमान गच्छाधिपति प. पू. राष्ट्रसंत शिरोमणि श्री हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा.
प्रकाश कावड़िया
मैनेजींगट्रस्टी गुरु राजेन्द्र मानव सेवा ट्रस्ट, राजगढ़ (धार) वर्तमान गच्छाधिपति राष्ट्रसंत शिरोमणि आचार्यदेवेश श्रीमद् विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के पुनीत सान्निध्य में मुझे आने का अवसर सन् 1986 में प्राप्त हुआ । यह मेरे जीवन का प्रथम अवसर रहा कि मैं किसी आचार्यश्री का सान्निध्य प्राप्त कर सका । साथ ही अपने जीवन में प्रथम बार पू. मुनिराज श्री ऋषभचन्दविजयजी म.सा. की सद्प्रेरणा से मानव सेवा कार्यों को करने का साहस जुटा पाया । जैसे - जैसे समय व्यतीत होता गया, नये-नये अनुभवों को प्राप्त करते हुए पूज्य आचार्य श्री के अमृत वचनों को सुनते हुए तथा उनके द्वारा बहुत ही सरलता से बताये मार्ग का अनुकरण करते हुए अपने जीवन को नया मोड़ प्राप्त होने पर आनंद की अनुभूति होती रहती है ।
परम उपकारी सरल स्वभावी, अपने धार्मिक कार्यों में लगे रहने वाले, आचार्यश्री बहुत ही, निर्मल, पवित्रता के सरोवर है । और प्रत्येक दर्शनार्थी को धर्मलाभ प्रदान कर उन्हें धर्म की ओर, अच्छे सद्कार्यों की ओर प्रवृत रहने का उपदेश देने वाले आचार्यश्री धन्य है । कभी भी किसी प्रकार का भेदभाव न करने हुए, अन्य किसी धर्म, सम्प्रदाय की आलोचना न करनेवाले आचार्यश्री अपने आप में मगन रहकर भगवान व गुरुदेव का ध्यान करने हुए सदुपदेश प्रदान करते हैं । कभी किसी के बारे में आलोचना समालोचना न करते पाये ।
अपने धार्मिक ज्ञान को हमेशा बांटते रहते हैं । सत्संग कभी-कभी होने का अवसर आया तो अपने सरलमना चित से आशीर्वचन देते हुए मुस्कराते रहे हैं । क्रोध को कभी अवसर नहीं देने वाले हमेशा हंसते हुए हालचाल पूछने वाले विरले ही साधु संत मैंने अपने जीवन में देखे हैं । धार्मिक ज्ञान का भंडार हैं । पालीताणा चार्तुमास के अवसर पर पर्वाधिराज पर्युषण पर प्रतिक्रमण में पहली बार बहुत अच्छी सज्झाय सुनने का अवसर मिला तो यह लगा की ज्ञान वे भंडार है । ऐसे परम पूज्य आचार्यश्री के चरण कमल में कोटिश, वन्दना है तथा भगवान से प्रार्थना है कि वे इसी प्रकार समग्र समाज को मार्गदर्शन देने हुए जिनशासन की प्रभावना करने रहे । जैनम् जयंति शासनम्
वर्तमान गुरुदेव एक दिव्य हस्ती
-पी.सी. जैन, एडवोकेट, राजगढ़ (धार) श्रीमद्विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. असाधारण गुणों के भण्डार है इनके बारे में जितना चिंतन किया जाय. जितना भी लिखा जाय थोड़ा ही होगा ।
दादा गुरुदेव प्रातः स्मरणीय भट्टाराक श्रीमद् विजय श्रीश्री 1008 श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. की पाट गादी पर षष्टम पट्टधर आचार्य के रूप में आपका आगमन एक अलौकिक व आनन्ददायी घटना है । आपके सरल, निश्छल, निष्कपट व सहृदयता ने त्रिस्तुतिक जैन संघ में, समाज में धर्म के प्रति नई जाग्रती आई । आपने जहां जहां वर्षावास का समय व्यतीत किया वहां आनन्द ही आनन्द बरसने लगा ।
आपकी पावन निश्रा में हजारों लाखों भवि आत्माओं ने जैन धर्म की आराधना कर जीवन धन्य बनाया और श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के आचार्य होने के नाते श्री मोहनखेड़ा तीर्थ का यश व गौरव फैलने लगा । आपके त्याग व तपस्या से सभी के दुख दूर होने लगे ।
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्त ज्योति 50
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्च ज्योति
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