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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन था
से मुमुक्षु श्री मनीषकुमार महेन्द्रकुमार भण्डारी को दीक्षाव्रत प्रदान किया गया । दीक्षोपरांत नव दीक्षितमुनि को मुनिश्री रजतचन्द्र विजयजी म. के नाम से मुनिराज श्री ऋषभचन्द्र विजयजी म.सा. 'विद्यार्थी' का शिष्य घोषित किया। भीनमाल के कार्यक्रमों की समाप्ति के पश्चात आपने आहोर की ओर विहार किया । मार्गवर्ती ग्राम-नगरों को पावन करते हुए आपका पदार्पण आहोर हुआ जहां आपके सान्निध्य में श्री घेवरचंदजी हुकमीचंदजी का जीवित अट्ठाई महोत्सव सम्पन्न हुआ और फिर आपने आहोर से जोधपुर के लिये विहार कर दिया । आचार्य के रूप में आपका यहां प्रथम बार ही पदार्पण हुआ इस कारण श्री संघ में विशेष उत्साह एवं हर्ष की लहर व्याप्त हो गई । आपके पदार्पण के उपलक्ष्य में यहां पंचान्हिका महोत्सव का आयोजन हुआ । जोधपुर से विहार कर ग्रामानुग्राम विचरण करते हुए आपका पर्दापण श्री नाकोड़ा जी हुआ जहां आपकी प्रेरणा से श्री राजेन्द्र सूरि दादावाड़ी के लिये भूमि क्रय की गई और भूमि पूजन भी आपके सान्निध्य में सम्पन्न हुआ। श्री नाकोड़ा जी से विहार कर आपका पदार्पण सांचोर होते हुए थराद हुआ । जहां आपकी तीन दिन तक स्थिरता रही। तीनों दिन महोत्सव का अयोजन हुआ और आपके सान्निध्य में दादा गुरुदेव तपस्वी मुनिराज श्री हर्षविजयजी म.सा. की पुण्य तिथि समारोह पूर्वक मनाई गई । स्मरण रहे कि थराद में आपका नगर प्रवेशोत्सव ऐतिहासिक रूप से हुआ था । प्रवेशोत्सव के समय गुरुभक्तों का उत्साह/उमंग देखते ही बनता था । थराद श्रीसंघ पर अपनी अमिट छाप छोडकर आपने यहां से शंखेश्वर के लिये विहार किया । इस वर्ष अर्थात सं 2053 का आपका वर्षावास शंखेश्वर के लिये स्वीकृत हुआ था।
ग्रामानुग्राम गुरु गच्छ का नाम उज्ज्वल करते हुए यथासमय आपका शंखेश्वर पदार्पण हुआ और समारोहपूर्वक वर्षावास के लिये नगर प्रवेश सम्पन्न हुआ । वर्षावास स्थल पर धर्म सभा में विभिन्न वक्ताओं ने अपनी अपनी भावनाएं अभिव्यक्त की । इस वर्षावास में भी सदैव की भांति श्री नवकार महामंत्र की सामूहिक आराधना पर्युषण पर्व की आराधना विभिन्न त्याग तपस्याओं के साथ सम्पन्न हुई । यहां उपधान तप का भी आयोजन आपके सान्निध्य में हुआ। उपधान तप की माला का कार्यक्रम भी समारोहपूर्वक सम्पन्न हुआ । वर्षावास समाप्त हुआ और आपने यहां से मुनि मण्डल सहित श्री मोहनखेडा तीर्थ के लिये विहार कर दिया ।
ग्रामानुग्राम विचरण करते हुए आपश्री मुनि मण्डल सहित श्री मोहनखेडा तीर्थ की भूमि पर पधारें । जहां आपके पावन सान्निध्य में पौष शुक्ला सप्तमी को गुरुसप्तमी पर्व भव्यातिभव्य समारोहपूर्वक मनाया गया । श्री मोहनखेडा तीर्थ पर ही आपके सान्निध्य में जैन पत्रकार सम्मेलन का आयोजन हुआ । इस अवसर पर श्री सुशील मनिजी म.सा. जिन्होंने जैन धर्म का प्रचार विश्व स्तर पर किया, वे तथा श्री सुभाष यादव उप मुख्यमंत्री म.प्र. सरकार विशेष रूप से उपस्थित हुए । श्री मोहनखेडा तीर्थ से विहारकर आपश्री खाचरोद पधारे । जहां आपके सान्निध्य में श्री शंखेश्वर जिन मंदिर का प्रतिष्ठोत्सव सम्पन्न हुआ । खाचरोद के कार्यक्रम सम्पन्न कर आप यहां से विहार कर पूज्य दादा गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. की क्रियोद्धार भूमि जावरा पधारे । यहां आपका पाटोत्सव दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया तथा यहां आपके कर कमलों से मुमुक्षु श्री पवनकुमार विजयकुमार मादरेचा को दीक्षा प्रदानकर मुनि श्री प्रीतेन्द्रविजय, (मुनि श्री चन्द्रयशविजय), के नाम से अपना शिष्य घोषित किया । जावरा में ही आपके सान्निध्य में श्री अ. भा. राजेन्द्र सूरि जैन फेडरेशन अधिवेशन भी सम्पन्न हुआ। यहां से मालवा के अन्य क्षेत्र में विचरण करते हुए श्री मोहनखेडा तीर्थ पधारे । यहां देश के विभिन्न श्री संघों द्वारा आपश्री से अपने अपने यहां वि. सं. 2054 के वर्षावास हेतु विनतियां की । देश काल परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए आपश्री ने साधु भाषा में भीनमाल श्री संघ को अपने वर्षावास की स्वीकृति प्रदान की । इस स्वीकृति से भीनमाल श्री संघ में हर्ष की लहर उत्पन्न हो गई और जय जयकार के निनादों से गगनमण्डल गुंजा दिया ।
यथासमय श्री मोहनखेडा तीर्थ से विहार कर मार्गवर्ती ग्राम नगरों को पावन करते हुए आपश्री का मुनिमण्डल सहित वर्षावास हेतु भीनमाल पदार्पण हुआ । श्रीसंघ द्वारा समारोहपूर्वक आपका भव्य रूप से नगर प्रवेश करवाया। यह चल समारोह नगर के विभिन्न मार्गों से होता हुआ वर्षावास स्थल पर जाकर धर्म सभा में परिवर्तित हो गया । जहां विभिन्न वक्ताओं ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान की । विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों जैसे श्री नवकार महामंत्र की आराधना पर्युषण पर्व आदि समारोहपूर्वक सम्पन्न हुए । इस वर्षावास में पन्यास प्रवर श्री लोकेन्द्रविजयजी म.सा. के एकाएक दुःखद निधन हो जाने से चारों ओर शोक की लहर व्याप्त हो गई ।
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