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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
किन्तु कपटी ने कहा – मेरा जी मचला जा रहा है । मैं यहीं पानी पीऊँगा । प्यास अब नहीं सही जाती।
विवश होकर ऊँट को रोकना पड़ा । व्यक्ति जलाशय के पास गया और पानी पी आया । आकर कहने लगा मेराजी घबरा रहा है । थोड़ी देर आराम करके फिर आगे चलेंगे । यह कहकर वह लेट गया और झूठ मूठ ही खर्राटे लेने लगा।
उसे सोता देख दूसरा भी सो गया और उसे भी नींद आ गई । उसे गहरी नींद में देख कपटी उठा और छुरा लेकर उसकी छाती पर सवार हो गया ।
___ज्यों ही छाती पर वह सवार हुआ कि उसकी निद्रा भंग हो गई । उसने कपटी से कहा -अरे भाई, करता क्या है? उसे कपटी का आशय समझने में देर नहीं लगी । अतएव वह बोला - भाई, मेरी सारी पूँजी ले ले, पर प्राण मत ले।
कपटी ने कहा – नहीं, मैं कतई नहीं छोडूंगा, कत्ल ही करूँगा । उसके हाथ में छुरा था, विवश होकर उसने कहा – अच्छा ! कत्ल किये बिना नहीं मानता तो तेरी इच्छा, मगर मेरी पत्नी से चार अक्षर का संदेश कह देना।
कपटी-याद रहा तो कह दूँगा । बता दे चार अक्षर ! उसने कहा - बस यही चार अक्षर - 'बारूघोला'
इसके पश्चात् कपटी ने अपने साथी की छाती में छुरा धोंप दिया और मृत शरीर को उठाकर कुएँ में फेंक दिया । अब वह निश्चिन्त होकर अपने नगर की ओर चल दिया । जब वह नगर में पहुँचा तो नगर निवासियों को अतिप्रसन्नता हुई।
थोड़े दिन पश्चात् उसके साथी की पत्नी अपने बाल बच्चों सहित आई । उसने तीव्र उत्कंठा से पूछा - आप दोनों साथ गये थे, फिर अकेले कैसे आये? आपके साथी कहाँ रह गये?
कपटी-क्या कहूँ । हम दोनों ने व्यापार किया, पर उसे हर बार घाटा ही घाटा हुआ । घाटे से घबरा कर वह एक बार अफीम खाकर मरने लगा, तो मैंने पाँच सौ रुपये दिये । उसने व्यापार किया फिर घाटा हुआ । इस अर्थ चिन्ता में उसकी छाती दुःखने लगी । सर्दी बैठ गई । ठंडे पानी से स्नान कर लिया तो निमोनिया हो गया। मैंने भर सक उपचार कराया, पर कोई दवा कामयाब नहीं हुई ।
साथी की पत्नी ने विचार किया, रोना तो जीवन भर है ही, पूछ तो लूँ कि अन्तिम समय कुछ कह गए या नहीं? औरत के प्रश्न करने पर कपटी बोला – हाँ चार अक्षर कह गये हैं - "बा - रू - घो - ला ।"
औरत ने कागज के एक टुकड़े पर चारों अक्षर लिखवा लिये । टुकड़ा लेकर वह सीधे महल में पहुँची । रानी के पास जाकर कर फूट-फूट कर रोने लगी। मुँह से शब्द न निकल सके ।
रानी जी दयालु थी । उन्होंने उसे सांत्वना देकर समझाया और रोने का कारण पूछा । तब उसने कहा मेरे पास कागज का एक टुकड़ा है । इसमें चार अक्षर लिखें है । इसका अर्थ पूछना चाहती हूँ।
रानी ने पर्चा हाथ में ले लिया, पर उनकी समझ में कुछ नहीं आया । तब उन्होंने वह पर्चा राजा को दे दिया । राजा उस पर्चे को देखकर बोला - मेरे राज्य में बड़े बड़े पंडित हैं | आसानी से इसका अर्थ निकाल कर बता देंगे।
राजा वह पर्चा लेकर राज्य सभा में आया । सब पंडितों को बुलवाकर बोला - तीन दिन के भीतर इसका सही सही अर्थ बतलाना अन्यथा तुम्हारी जागीरें जप्त कर तुम्हें कोल्हूं में पिलवा दिया जाएगा।
उन पंडितों में एक पंडित कम पढ़ा लिखा था । किसी तरह वह वहाँ से भाग निकला और जंगली पशुओं के डर से एक वृक्ष पर चढ़ गया ।
थोड़ी देर बाद उस वृक्ष पर एक राक्षस प्रकट हुआ और दूसरा सामने के वृक्ष से प्रकट हुआ । दोनों आपस में बातचीत करने लगे । एक राक्षस बोला – कल पास के नगर में पंडित लोग कोल्हू में पेले जायेंगे । हम लोग भी तमाशा देखने चलेंगे।
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
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हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
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