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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन
ग्रंथ
धनमित्त - धनमित्र । त्र का त । तेरापट्टन का एक प्रसिद्ध व्यापारी । धनमित्र एक परम जिनभक्त था । जिन भक्ति के प्रभाव से ही उस पर संसारिक संकट नहीं आते हैं।
धनसिरी – धनश्री । श्री का सिरी । संयुक्त व्यंजन स्वतंत्र हो गये । इसमें कोई विकास नहीं है । ताम्रलिप्ति के वसुमित्र और नागदत्ता की पुत्री धनश्री का विवाह कौशाम्बी के राजा वसुमित्र से हुआ था ।
णरवाहणयत नरवाहनदत । न का ण, द का लोप और 'य' श्रुति । नरवाहनदत कौशाम्बी का राजकुमार था । ये जैन साहित्य में अपनी साहसिक क्रियाओं के लिए प्रसिद्ध है । दे में से द का लोप ऐ स्वर शेष रहा। पद्मदेव, उप्लखेडि
पउमएव पदमदेव । द का लोप उ स्वरागम का एक विद्याधर था । ये विद्या के कारण प्रसिद्ध हैं ।
पउमावई - पद्मावती । द् का लोप और 'उ' स्वर का आगम, ती में से त का लोप और 'ई' स्वर शेष रहा। पद्मावती, कौशाम्बी के राजा वसुपाल की पुत्री थी । पद्मावती का विवाह चम्पापुर के राजा जाड़ीवाहन के साथ हुआ
था।
पासजिनिंद पार्श्व जिनेन्द्र श् का स्, र का लोप व का लोप व में से व का लोप होकर जो 'अ स्वर शेष बचा उसका स् के साथ संधि होने के से स बना । जिनेन्द्र में न का ण एका इ. द्र में से र् का लोप होकर जिविंद बना पार्श्व जिनेन्द्र देव जैन साहित्य में नागफणों से युक्त, संकट मोचन, परम सुखदायी के रूप में प्रसिद्ध हैं।
पज्जुण्ण प्रद्युम्न । प्र मे से र् का लोप द्य का ज्ज, म्न का वर्ण द्वितीयकरण होने से न्न (ण्ण) होकर पज्जुण्ण दामोदर के पुत्र प्रद्युम्न अर्थात् श्री कृष्ण ।
मयणामर मदनामरद का लोप और 'य' श्रुति, न का ण मदन अर्थात् कामदेव । मदन का एक नाम अनंग भी है, क्योंकि कामदेव अंगहीन हैं। अमर इसलिए है, क्योंकि जब से पृथ्वी बनी है तभी से काम प्राणिमात्र को अपने वश में लिये हुए हैं । काम को तो केवल तीर्थंकरों और उनके अनुयायियों ने ही जिता है । काम ब तक अमर रहेगा, तब तक पृथ्वी पर प्राणी है ।
रइवेय रतिवेगा । ति में से त का लोप, गा का लोप और य श्रुति । सिंहलद्वीप की राजकुमारी । जैन कथाओं में एक अति सुन्दर कन्या के रूप में वर्णित ।
राहव
राघव । घ में से अल्पप्राण ध्वनि का लोप और महाप्राण ध्वनि 'ह' शेष रहने से राहव नाम वाचक संज्ञा बनी है । राघव, राम का नाम है । अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र । राम का आख्यान, रामायण कही जाती है । परन्तु जैन साहित्य में राम का आख्यान पद्मपुराण, पउमचरिउ (पद्मचरित्र) के नाम से प्रसिद्ध है । पद्म चरित्र इसलिए है क्योंकि पद्म अर्थात् कमल । कमल का फूल सूर्य के स्पर्श से खिलता है। राम भी सूर्यवंशी हैं । सूर्यवंश में खिला पद्म अर्थात् राम और राम का चरित्र पद्मचरित्र या पद्मपुराण । जैन साहित्य में अनेक प्रसिद्ध पद्मपुराण हैं । इन पद्मपुराणों का भारतीय आर्य भाषाओं के विकास में बड़ा योगदान हैं। आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का विकास का अध्ययन पद्मपुराणों के बिना संभव नहीं है ।
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96, तिलक पथ, इन्दौर (म. प्र. )
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