________________
श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
4 पोरवाल जाति और उसकी विभूतियां
:
लेखक - समाजरत्न स्वं मनोहरलाल पोरवाल, जावरा (म. प्र.)
प्रस्तुति - अशोक सेठिया (पोरवाल) जावरा (म. प्र.)
पोरवाल समाज भारत की जाति व्यवस्था का एक अभिन्न अंग है । पोरवाल जाति की उत्पत्ति का प्रमाण धार्मिक एवं ऐतिहासिक दोनों ही है । महाभारत में महाराज ययाति का वर्णन आया है । उनके सबसे छोटे पुत्र पुरू कालान्तर में राजा पुरू हुए और उनके वंश का नाम ही पुरू वंश हुआ । यह पुरू वंश ही आगे चलकर पोरवाल, पुरवाल आदि वंशों से उच्चारित होने लगा ।
वहीं जैन समाज की अनुभूतियों से पोरवाल समाज का उद्भव बौद्धकाल से माना गया है । प्राग्वाट या पोरवाल समाज की संज्ञा प्राप्त करने के पूर्व इस जाति व समाज के लोग शुद्ध क्षत्रिय व ब्राह्मण कहलाते थे । मूलतः क्षत्रिय होने के कारण आदिकाल से ही यह जाति बड़ी शूरवीर, रणकुशल, धीर व साहसी पाई जाती है ।
जैन धर्मावलम्बियों के अनुसार इसकी उत्पत्ति का श्रेय जैनाचार्य स्वयंप्रभुसूरि (ईसा से लगभग 468 वर्ष पूर्व) को है। वे अनेक विधाओं तथा कलाओं में पारंगत होकर लौकिक व लोकोत्तर दोनों ही प्रकार के ज्ञान से वैष्ठित थे ।
पोरवाल (प्राग्वाट) शब्द की उत्पत्ति पर विचार करें तो 'प्राग्वाट' शब्द के स्थान पर 'पोरवाल' शब्द का प्रयोग कब से प्रारम्भ हुआ यह तो ठीक से नहीं कहा जा सकता । जैसे कि साहित्यिक व बोलचाल की भाषा में अन्तर होता है, उसी प्रकार प्रामाणिक ग्रंथों, ताम्रपत्रों, शिलालेखों आदि में 'प्राग्वाट' शब्द का प्रयोग हुआ है - 'प्राग्वाट' संस्कृत भाषा का शब्द है और 'पोरवाल' बोलचाल की भाषा में प्रचलित है । यह तो निश्चित ही है कि इस समाज की उत्पत्ति ईसा पूर्व में हो चुकी थी।
जैन ग्रंथों के अनुसार हिन्दू समाज में भिन्न धार्मिक सम्प्रदायों की संख्या उससमय 300 थी, जो जैन धर्म में सम्मिलित हुए, जो जैन धर्म के प्रचार-प्रसार के फलस्वरूप अनेक जातियां जैन समाज में सम्मिलित हुई, जिसमें पोरवाड़ों की भी अनेक शाखाएं मिल गई । कुछ विद्वानों के अनुसार प्रारम्भ से ही आर्यों से जिस वैश्य जाति का निर्माण हुआ उसी से पोरवाड़ों की उत्पत्ति हुई ।
वर्तमान में पूरे भारतवर्ष में पोरवाल समाज की लगभग 17 शाखाएं है । जिनकी अनुमानित जनसंख्या 18-20 लाख के करीब है । इनके अन्तर्गत अखिल भारतिय जांगड़ा पोरवाल समाज, अ. भा. पोरवाल पुरवाइ समाज, अ. भा. पद्मावती पोरवाल समाज, श्री वैष्णव पद्मावती वीमा पोरवाल गंगराड़े समाज, श्री दशा वैष्णव पोरवाल समाज, प्राग्वाट वीसा पोरवाल समाज, अ. भा. गुर्जर प्रदेशीय पोरवाल समाज, अ. भा. पुरवाल वैश्य समाज, श्री गुजराती पोरवाल समाज, श्री वीसा जांगड़ा पोरवाल दिगम्बर जैन समाज, श्री पद्मावति पोरवाल । पुरवाल दिगम्बर जैन समाज, श्री परवार दिगम्बर जैन समाज, श्री वैष्णव पुरवार समाज विहार, श्री दशा पोरवाल श्वेताम्बर जैन समाज, श्री दशा पोरवाल स्थानकवासी जैन समाज, श्री पुरवाल राजपूत समाज कर्नाटक क्षेत्र प्रमुख हैं । इनके अलावा विभिन्न स्थानों पर पोरवाल समाज विभिन्न नामों से प्रख्यात है । जैसे माहेश्वरी समाज में पोरवाल । परवाल गोत्र, महाराष्ट्र में पौंडवाल जाति, पंजाब में पुरेवाल जाट जाति, पोरवाल कलाल समाज (म. प्र. व राजस्थान) पेरिवाल समाज दार्जलिंग व पौडवाल समाज केरल प्रमुख हैं ।
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति 120 हेमेन्द ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति