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स्थावर जीवों की अचित्तता
1. स्वकाय शस्त्र
एक मिट्टी दूसरे प्रकार की मिट्टी के साथ मिलें तों भिन्न- भिन्न कुऐं के पानी परस्पर अथवा कुंआं तथा नल का पानी मिलें तो, इसी प्रकार अलग अलग अग्नि, अलग अलग वायु, अलग अलग वनस्पति परस्पर मिश्रित होने से एक दूसरों के लिए शस्त्र बनते हैं और जीवों के मर जाने से वस्तु अचित्त बनती है, लेकिन संपूर्णतयाः अचित्त नहीं बनती है। इसलिए विवेकी सज्जनों के लिए ऐसा मिश्रण करना उचित नहीं है और करने से दोष लगता है। 2. परकाय शस्त्र
एक काय का दूसरे काय के साथ मिश्रण (संयोग) होने से परकाय शस्त्र बनता है। जैसे कि पानी का अग्नि के साथ सहयोग होने से पानी अचित्त होता हैं।
3. अभयकाय शस्त्र -
श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
प्र स्थावर वस्तु में सचित्त अचित्तता समझाओ १
उ : स्थावर वस्तु जब तक जीव सहित हो तब तक सचित्त है, फिर अचित्त हो जाती है।
प्र : स्थावर वस्तु अचित्त किस तरह होती है ?
उ : तीन प्रकार के शस्त्र संयोग से वस्तु अचित्त होती है।
एकेन्द्रिय के 22 भेद :
पृथ्वी, अप, तेज, वायु और साधारण वनस्पति काय इन पाँच के चार-चार भेद होतें हैं।
।
1. सूक्ष्म पर्याप्त 2. बादर पर्याप्त 3. सूक्ष्म अपर्याप्त 4. बादर अपर्याप्त 5 x 4 = 20 और प्रत्येक वनस्पति
में मात्र एक बादर पर्याप्त, दो बादर अपयत ये दो भेद ही है, 20 + 2 = 22 भेद।
एकेन्द्रिय में विशेष :
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1.
दो जाति के मिश्रित पानी को चूल्हे पर चढ़ाना।
प्र : पानी उबालकर पीना चाहिए। इस प्रकार कहा है लेकिन उबालने से जीव मरते है ?
उ पानी में प्रति समय जीव उत्पन्न होतें हैं और मरते हैं। कच्चे पानी में यह क्रिया सतत् ( निरन्तर ) चालू
ही रहती है पानी को उबालने से एक बार तो जीव मर जाते हैं फिर उसके कालानुसार निश्चित समय तक पानी में जीव उत्पन्न नहीं होते हैं, वह पानी अचित्त रहता है। इसलिए पानी उबालकर पीना चाहिए।
बेइन्द्रिय -
2.
शंख, इयल (लट), जोंक, चंदनक, भूनाग (केंचुऐ), क्रिमि, पूरा वगैरह। 22 अभक्ष्य में लगभग सभी में असंख्य बेइन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति होने से अभक्ष्य बनते हैं।
नियम :
3.
एकेन्द्रिय में पृथ्वी आदि के जो कोई भी उदाहरण दिए गए हैं, वे सब बादर पर्याप्त के ही है।
सूक्ष्म में अपर्याप्त का आश्रय करके सूक्ष्म पर्याप्त जीव रहते हैं।
बादर में पर्याप्त का आश्रय करके बादर अपर्याप्त जीव रहते हैं।
मधु (शहद), मक्खन, शराब और मांस यह चार महा विगइ हैं। इसलिए इनका सर्वथा त्याग करना । बर्फ वगैरह का त्याग करना।
मैथी वाले सभी अचार तथा शास्त्रीय विधि से नहीं बनाये हुए हों वैसे सभी अचारों का त्याग करना ।
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