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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
वर्षावास की समाप्ति के पश्चात पू. राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्यश्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म. सा. एवं पू. कोंकण केसरी मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखर विजयजी म.सा. ने साधु-साध्वियों के साथ मैसूर की ओर विहार कर दिया । मार्गवर्ती विभिन्न ग्राम नगरों को पावन करते हुए और जिनवाणी की अमृतवर्ष करते हुए पू. राष्ट्रसंतश्री का मैसूर पदार्पण हुआ । जहां दि. 13-12-1999 को श्री सुविधिनाथ जिन मंदिर एवं दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राजेन्द्र सूरिजी म. के गुरुमंदिर का शिलान्यास एवं गुरु सप्तमी पर्व के उपलक्ष्य में आपश्री के सान्निध्य में पंचान्हिका महोत्सव सम्पन्न हुआ । उल्लेखनीय बात यह रही कि उड़ीसा की तूफान पीडित जनता के लिये पू. आचार्यश्री के पावन सान्निध्य में दस लाख रुपयों की सामग्री का दान हुआ । यह दान श्री जैन युवा संगठन के द्वारा दिया गया । इस अवसर पर कर्नाटक सरकार के प्रमुख मंत्री, जिलाधिकारी मैसूर, मैसूर रियासत के पूर्व युवराज पूज्य आचार्यश्री के दर्शनार्थ पधारे । मैसूर के कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न कर पू. आचार्यश्री ने प्रतिष्ठा महोत्सव को ध्यान में रखते हुए पुनः राणीबेन्नूर की ओर विहार कर दिया । मार्गवर्ती ग्राम-नगरों को पावन करते हुए आपश्री राणीबेन्नूर पधारे और यहां प्रातः स्मरणीय श्रीमज्जैनाचार्य श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा, का ऐतिहासिक एवं अलौकिक कलाकृतियों द्वारा निर्मित मंदिर का निर्माण हुआ । इसकी प्रतिष्ठा दिनांक 18-2-2000 को हर्षोल्लास मय वातावरण में सम्पन्न कर आपने यहां से विहार कर दिया ओर टिपटूर नगर में पधार कर गुरुदेव श्री राजेन्द्र सूरिजी के गुरुमंदिर की प्रतिष्ठा दिनांक 8-3-2000 को भव्यातिभव्य समारोह के साथ सानंद की । यही पर सं 2057 के वर्षावास हेतु मद्रास श्री संघ को स्वीकृति मिली ।
स्मरण रहे इसी बीच पू. आचार्यश्री के दर्शनार्थ राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु प्रांतों से श्रीसंघ राणीबेन्नूर पधारे थे । वर्षावास की अवधि में मद्रास, बेंगलोर बीजापुर, राजमहेन्द्री, यादगिरी, विजयवाडा जैसे अनेक स्थानों के श्रीसंघों ने पू. आर्चाश्री के समक्ष अपने यहां वि.सं. 2057 के वर्षावास की विनंती की थी। देशकाल परिस्थिति को देखकर पू. आचार्यश्री ने मद्रास श्रीसंघ को सं. 2057 के वर्षावास के लिये साधुभाषा में अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी थी । इस स्वीकृति से मद्रास श्रीसंघ में हर्षोल्लास का वातावरण छा गया था ।
टिपटूर नगर के कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात् पू. आचार्यश्री ने मैसूर होते हुए तमिलनाडु की ओर विहार किया। ऊंटी, कुन्नूर, मेहुपालयम होते हुए आचार्यश्री शाश्वत नवपद ओली की आराधना के लिये कोयम्बतूर नगर में पधारे । कोयम्बतूर में आपका समारोह पूर्वक नगर पवेश हुआ । यहां पर भव्य आयंबिल खाते का खात मुहूर्त पू. आचार्यश्री के कर कमलों द्वारा किया गया । नवपद ओली की आराधना एवं आचार्य श्री के प्रथम बार यहां आगमन पर पंचान्हिका महोत्सव सम्पन्न हुआ । यहां से विहार कर इरोड होते हुए पू. आचार्यश्री का पदार्पण मदुराई हुआ। भव्य रूप से आपका नगर प्रवेशोत्सव सम्पन्न करवाया तथा आपके प्रथमबार पदार्पण पर मुदराई में श्री सुपार्श्वनाथ श्रीसंघ द्वारा अष्टान्हिका महोत्सव एवं श्री सुमतिनाथ श्रीसंघ द्वारा त्रिदिवसीय महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया । यहां आचार्यश्री के प्रथम पदार्पण पर काम्बली वहोराने का लाभ रेवतड़ा निवासी श्री राजस्थान ट्रेडिंग कम्पनी एवं नरता निवासी श्री नायलोन इलेक्ट्रीकल्स परिवार द्वारा लिया गया । मदुराई के कार्यक्रम सम्पन्न कर आपने यहां से विहार कर दिया और तिरूचि (तिरूचिनापल्ली) नगर में पधारे । यहां पर भी आपके प्रथमबार पदार्पण पर अष्टान्हिका महोत्सव हुआ । काम्बली वहोराने का लाभ चौराऊ निवासी श्री रेखा इलेक्ट्रीकल्स परिवार द्वारा लिया गया । यहां से विहार कर तन्जावुर, कुम्भाकोणम, मायावरम, सिरकाली, चिदम्बरम, पनरूटी, कुडलूर, पांडिचेरी होते हुए आपका पदापर्ण चेन्नई (मद्रास) हुआ । जहां दि. 7-7-2000 को वर्षावास हेतु आपका भव्यातिभव्य नगर प्रवेशोत्सव सम्पन्न हुआ । नगर के विभिन्न मार्गों से होता हुआ आपके नगर प्रवेश का चल समारोह एकाम्बरेश्वर अग्राहरम साहुकारपेठ स्थित श्री राजेन्द्र जैन भवन पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हो गया । इस ६ र्मसभा में विभिन्न गुरुभक्त वक्ताओं ने अपनी अपनी भावना को अभिव्यक्ति प्रदान की। धर्मसभा में सामयिक प्रवचन भी हुए इसके साथ ही चातुर्मासिक धर्म आराधनाएं भी प्रारम्भ हो गई।
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