________________
श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
पू. आचार्यश्री ने कुछ
साहित्य
सृजन भी किया है। आपश्री द्वारा रचित साहित्य जीवनोपयोगी है। यथा :
1. परोपकार (उपन्यास) 2. भगवान, ऋषभ (जीवनी) 3. अलौकिक मोती (कहानी संग्रह) 4. प्रेरक प्रसंग (कहानी संग्रह) 5. भक्ति से हर्ष तरंगे (गीत संग्रह) 6. प्रभु के गीत मेरे मन के गीत (गीत संग्रह) 7. दीपावली दर्शन (मांगलिक पूजन) 8. प्रातः स्मरण सुमन (भक्तामर पूजन) 9. प्रभु भक्ति वाटिका (प्राचीन भक्तिगीत संग्रह) सम्पादित 10. गुरु राजेन्द्र वचनामृत सम्पादित ।
शिष्य परिवार :- पूज्य आचार्य भगवन के दो शिष्य हुए । जिनकी परिचय रेखा इस प्रकार हैं :
1. मुनि प्रीतेशचन्द्रविजय
जन्म नाम
माता
पिता
जन्म तिथि
जन्म स्थान
शिक्षा
वैराग्य का कारण
दीक्षा तिथि
दीक्षा स्थान
दीक्षा गुरु धार्मिक अध्ययन स्वर्गवास
जन्म स्थान
शिक्षा
वैराग्य का कारण
दीक्षा तिथि
नरेशकुमार
: श्रीमती भाग्यवंती बहन
दीक्षा स्थान
दीक्षा गुरु
:
:
2. मुनि श्री चन्द्रयशविजय
जन्म नाम
माता
पिता
जन्म तिथि
पू. आचार्य भगवन की सेवा में रहकर आत्मकल्याण की भावना
:
फाल्गुन कृष्णा द्वितीया सं. 2051 दि. 27 फरवरी 1994 शंखेश्वर तीर्थ
श्रीमान विजयकुमारजी मादरेचा
20 अक्टूबर 1977, कार्तिक कृष्णा नवमी सं. 2034
रतलाम (म. प्र. )
माध्यमिक स्तर तक
: आचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा.
समस्त श्रमण जीवन की क्रियायें जीव विचार, भाष्य, संस्कृत प्रथम बुक दशवैकालिक आदि । दिनांक 29-8-2002 काकीनाड़ा (आंध्रप्रदेष)
: पवनकुमार
: श्रीमती भाग्यवंती बहन
:
8 26 अप्रेल 1981
:
श्रीमान विजयकुमारजी मादरेचा
रतलाम (म. प्र. )
हायर सेकण्डरी
मुख्य ध्येय पू. राष्ट्रसंत की सेवा में रहते हुए आत्मकल्याण करने की भावना ।
माघ शुक्ला एकादशी सं. 2054 दि. 18 फरवरी 1997
जावरा (म. प्र. )
: पू. राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा.
धार्मिक अध्ययन : समस्त श्रमण जीवन की क्रियायें और तत्वज्ञान, कर्मग्रन्थ, प्रकरण और दशवैकालिक आदि।
विहार क्षेत्र :- प. श्रद्धेय राष्ट्रसंत शिरोमणि आचार्य श्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. का विहार विस्तृत क्षेत्रों में रहा है। यथा राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल, आन्ध्र प्रदेश आदि ।
:
हमे ज्योति ल्योति
58
हगेर ज्योति मेजर ज्योति
al Use On
jainelibro org