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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
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यहां दीक्षोत्सव का आयोजन था।
पू. आचार्यश्री के भीनमाल पदार्पण के साथ ही भीनमाल में दीक्षोत्सव की तैयारियाँ प्रारम्भ हो गई। दिनांक 12-5-2003, वैशाख शुक्ला एकादशी सं 2060 को भीनमाल में पू. आचार्यश्री ने शुभ मुहूर्त में कु.शीतल पृथ्वीराजजी कावेड़ी को दीक्षाव्रत प्रदान कर साध्वीश्री प्रद्यप्रभाश्रीजी म. के नाम से साध्वीजी श्री मणिप्रभाश्री जी म. की शिष्या घोषित किया।
दिनांक 14-5-2003 वैशाख शुक्ला त्रयोदशी सं. 2060 को भीनमाल में ही कु. मिण्ट्र पनराजजी सेठ को दीक्षाव्रत प्रदानकर पू. आचार्यश्री ने साध्वीश्री तत्वरुचि श्रीजी म. के नाम से साध्वीजी श्री तत्वदर्शनाश्रीजी म. की शिष्या घोषित किया।
दिनांक 15-5-2003 वैशाख शुक्ला चतुदर्शी सं. 2060 को भीनमाल में ही पू. आचार्यश्री ने कु.कांता भण्डारी सूरजमल भण्डारी को दीक्षाव्रत प्रदान कर साध्वीश्री रत्नत्रयाश्रीजीम. के नाम से साध्वीजी श्रीसंघवणश्रीजी म. की शिष्या घोषित किया।
भीनमाल के दीक्षोत्सव की समाप्ति के पश्चात् पू. आचार्यश्री ने भीनमाल से विहार कर दिया और ग्रामानुग्राम विचरण करते हुए आप दिनांक 22-5-2003 को आहोर पधारे, जहां दिनांक 25-5-2003 को शुभ मुहूर्त में आचार्यश्री ने तीन मुमुक्षु बहनों को दीक्षाव्रत प्रदान किया, जिनके नाम इस प्रकार हैंसांसारिक नाम
दीक्षा के पश्चात् नाम एवं गुरुणीजी कु. आशा कांतिलालजी, आहोर 1. साध्वीश्री अर्हयंशा श्रीजी म. 2. कु. निकिता कांतिलालजी, आहोर 2. साध्वीश्री निवेदेयशाश्रीजी म. 3. कु. शोभा देवीचंदजी, आहोर 3. साध्वीश्री संवेगयशाश्रीजी म. तीनों नूतन दीक्षिता साध्वियांजी को गुरुणीजी साध्वीजी श्री मणिप्रभाजी म. की शिष्या घोषित किया गया।
आहोर के कार्यक्रम समाप्त होने के पश्चात् पू. आचार्यश्री पुनः भीनमालकी ओर पधारे। मार्गवर्ती ग्राम-नगरों मे विचरण करते हुए आप दिनांक 4-6-2003 को भीनमाल पधारे और दिनांक 8-6-2003 को शुभ मुहूर्त में कु. कल्पना एवं कु.सुरेखा आत्मजा बाबूलालजी साकलचंदजी हरण को दीक्षाव्रत प्रदान कर उनका नाम क्रम से साध्वीश्री प्रमोदयशाश्रीजी म. एवं साध्वीश्री प्रशमरशाश्रीजी म. रखा और दोनों को गुरुणी साध्वीजीश्री मणिप्रभाश्रीजी म.सा. की शिष्या घोषित किया। इसके साथ ही पू. आचार्यश्री ने भीनमाल में ही बारह साध्वियांजी को बड़ी दीक्षा के लिये योग प्रवेश करवाया और तत्पश्चात् विहार कर दिया।
____ मार्गवर्ती ग्राम नगरों में विचरण करते हुए पू. आचार्यश्री का पदार्पण बागरा हुआ। बागरा में पंचालिका महोत्सव के साथ गुरुदेव श्रीमज्जैनाचार्य श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. का क्रियोद्धार दिवस मनाया गया। यह आयोजन श्रीमान् कांतिलालजी भण्डारी परिवार की ओर से किया गया था। बागरा का कार्यक्रम समाप्त कर आपने आहोर की ओर विहार कर दिया।
पू. आचार्यश्री का सन् 2003 का वर्षावास आहोर के लिये स्वीकृत हो चुका था। वर्षावास का समय भी निकट आ गया था। बागरा से विहार कर ग्रामानुग्राम विचरण कर आप आहोर पधारे, जहां दिनांक 6-7-2003 को समारोहपूर्वक आपका वर्षावास के लिये प्रवेश करवाया गया। इस वर्षावास में आपके साथ पू. पंन्यास प्रवरश्री रवीन्द्रविजयजी म., पू मुनिराजश्री हितेशचंद्रविजयजी म., पू. मुनिराजश्री चंद्रयशविजयजी म., पू. मनिराजश्री दिव्यचंद्रविजयजी म. आदि रहे।
आषाढ़ शुक्ला दशम को पू. आचार्यश्री ने बारह साध्वियांजी को बड़ी दीक्षा प्रदान की।
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