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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
गुफा मंदिर : जिसमें वन्य प्राणी जैसे शेर, चीता, हिरण, बारहसिंगा, खरगोश, रीछ जैसे हिंसक एवं अहिंसक प्राणी एवं ऐसे ही अन्य जीव जन्तु का प्रदर्शन किया गया। हिंसक, अहिंसक दोनों प्रकार के प्राणी एक साथ प्रदर्शन करने का कारण अहिंसा भगवती का प्रभाव प्रदर्शित करता है, जिसकी अनुकम्पा से हिंसक भी अहिंसक हो जाता है। इसके साथ जैन अहिंसा फेअर (मेला) भी लगाया गया।
गुरुपद महाविधान : वर्तमाल काल में पूज्य दादा गुरुदेव श्रीमज्जैनाचार्य श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. की महिमा अपरम्पार है। दादा गुरुदेव जन-जन की श्रद्धा के केन्द्र बिन्दु है। दादा गुरुदेव के महाविधान से आराधना से मनोवांछित फल तत्काल प्राप्त होते हैं। इस महाविधान में साधक गण आत्मशांति का अपने जीवन में अनुभव करते हैं। 108 सजोड़ों द्वारा पांच घंटों तक एक स्थान पर बैठकर शास्त्रोक्त विधि विधान से सम्पन्न होता है। जो समस्त विघ्न बाधाओं को दूर करता है एवं कार्यों में सफलता प्रदान करता है।
नवकार महामंत्र की अखण्ड धुन : यो तो मंत्र अनेक हैं किंतु महामंत्र केवल एक है। वह है महामंत्र नवकार। इसका कारण है कि महामंत्र नवकार अनादि अनन्त है, शाश्वत है। यह व्यक्ति वाचक न होकर गुण वाचक है। इस महामंत्र में किसी व्यक्ति की स्तुति न की जाकर पंच परमेष्ठि अर्थात् सिद्ध, अरिहंत, आचार्य, उपाध्याय और विश्व के समस्त साधुओं के गुणों के प्रति वंदन किया गया है। इस महामंत्र महान चमत्कारिक मंत्र भी है। इसके आराधक को उसकी इच्छानुसार फल की प्राप्ति भी हो जाती है। आवश्यकता इस बात की है कि इस महामंत्र की आराधना पूर्ण लगन निष्ठा एवं श्रद्धा भक्ति के साथ होनी चाहिये। महामंत्र नवकार की आराधना से अनेक चमत्कार घटित हुए हैं। आइये हम भी भव तारणहार इस महामंत्र की आराधना कर कुछ लाभान्वित होने का प्रयास करें।
छप्पन दिक्कुमारिका : भगवान भव्य सिंहासन पर बिराजमान रहेंगे। उनके दरबार में उनके पदाधिकारी यथास्थान विराजमान रहेंगे और यहां छप्पन दिक्कुमारिका का अति मनमोहन नृत्य संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
चलो जिनालय चलें : आज के भौतिक युग में आदमी इतना व्यस्त रहता है कि वह जिनालय जाकर भगवान के दर्शन करना तो दूर अपने स्वयं के संबंध में भी सोच नहीं पाता है। जिनालय जाने से प्रभु दर्शन से असीम शांति का अनुभव होता है। आदमी तनावों से मुक्त हो जाता है। जिनालय जाने का विचार करने मात्र से उसके पापों का क्षय होना प्रारम्भ होकर पुण्यार्जन होने लगता है। जैसे-जैसे व्यक्ति जिनालय की ओर कदम बढ़ाता है वैसे-वैसे उसके पुण्य कर्म में वृद्धि होने लगती है। वह स्वतः असीम आनंद का अनुभव करता है। जिनालय पहुंचकर और प्रभु के दर्शन करके जिस आनन्द और तृप्ति का बोध मनुष्य को होता है वह शब्दातीत है।
इसके साथ ही विश्व अहिंसा रैली का भी आयोजन किया गया है। उल्लेखनीय है कि यह वर्ष भारत सरकार द्वारा अहिंसा वर्ष के रूप में मनाने के लिये घोषित किया है। इसकी सार्थकता तभी सम्भव है जब सरकार स्वयं बूचड़खानों में हो रही असंख्य निरीह प्राणियों की हत्या बंद करवा दे। अहिंसा एक नकारात्मक शब्द है। हिंसा नहीं करना ही अहिंसा है। यह इतना व्यापक शब्द है जिसका वर्णन सीमित शब्दों में कर पाना असम्भव है। अहिंसा एक ऐसा अस्त्र है जिसके माध्यम से असम्भव को सम्भव किया जा सकता है। ऐसी अहिंसा भगवती की आराधना और पालना विश्व के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है।
इस प्रकार रामहेन्द्री का वर्षावास भव्य कार्यक्रमों के साथ सानन्द सम्पन्न हुआ और वर्षावास समाप्त होने पर आपने अपने मुनिमंडल सहित यहां से विहार कर दिया। उधर के क्षेत्रों में विचरण कर जिनवाणी का प्रचार-प्रसार करते रहे तथा ग्रामानुग्राम विचरण करते हुए पौष कृष्ण को आप गुम्लेक तीर्थ पधारे। यहां भगवान श्री पार्श्वनाथ के त्रिदिवसीय अट्ठम तप की आराधना का आयोजन श्री हस्तीमलजी सरेमलजी कुहाड़ की ओर से किया गया था। तीन दिन तक यहां मेला लगा रहा। आपके यहां पदार्पण से कार्यक्रम और भी भव्य हो गया। आयोजकों के उत्साह
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