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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन था
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वर्षावास का समय निकट जानकर आचार्यश्री ने बागरा की ओर विहार किया और यथासमय वर्षावास के लिये समारोह पूर्वक बागरा में प्रवेश हुआ । स्मरण रहे बागरा आचार्यश्री की जन्मभूमि है । बागरावासी अपने लाडले सपूत के आचार्य के रूप में दर्शन पाकर गद्गद् हो गये । विविध धार्मिक कार्यक्रमों और नवकार आराधना के साथ वर्षावास सांनद सम्पन्न हुआ। वर्षावास के पश्चात् आचार्यश्री ने यहां से विहार कर दिया । भागली, बाकरा, बाकरा रोड, मोदरा बोरटा, नरता आदि मार्गवर्ती ग्रामों को पावन करते हुए आचार्यश्री का भीनमाल पदार्पण हुआ, वहां मगसर शुक्ला षष्ठी को श्री महावीर स्वामी जैन मंदिर के विशाल प्रांगण में जैनरत्न बाफना मूलचंदजी फूलचंदजी के द्वारा अपनी मातुश्री गजराबाई की स्मृति में निर्मित बाफना मातुश्री व्याख्यान हाल गजराबाई फूलचंदजी का उद्घाटन आपके पावन सान्निध्य में सम्पन्न हुआ ।
बागरा निवासी भण्डारी लक्ष्मीचंदजी प्रतापचंदजी की ओर से श्री सिद्धाचलजी की यात्रा निमित्त निकाले श्रीसंघके प्रयाण के लिये आचार्यश्री का बागरा में पुनः पदार्पण हुआ । बागरा से श्रीसंघ का प्रस्थान हुआ । श्रीसिद्धाचलजी में माला परिधान की विधि के लिये मुनिराज श्री नरेन्द्रविजयजी म.सा. को पालीताणा की ओर विहार करने का आदेश दिया गया ।
____भीनमाल से श्री अंचलगच्छीय शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनमंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिये सकल श्रीसंघ का आपकी सेवा में आकर विनंती करना । विहार कर आप भीनमाल पधारे और वैशाख शुक्ला चतुर्थी को साध्वीजी ललितश्रीजी की शिष्या के रूप में साध्वी श्री मणिप्रभाश्रीजी की दीक्षा, वैशाख शुक्ला षष्ठी को प्रतिष्ठा और उसी दिन प्रतिष्ठा आदि कार्य सम्पन्न किये। कुछ समय तक यहां स्थिरता रही । फिर यहां से श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के लिये विहार कर दिया । उसके पूर्व भीनमाल में यही के निवासी श्री खीमचंदजी प्रतापचंदजी के सुपुत्र श्री बाबूलालजी वर्धन की ओर से श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में वर्षावास करने की आग्रहभरी विनती को स्वीकार कर वहां वर्षावास करने की स्वीकृति प्रदान की।
___ मार्गवर्ती विभिन्न ग्राम नगरों को पावन करते हुए आचार्यश्री का श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की पावन भूमि पर पदार्पण हुआ। सं. 2044 का वर्षावास श्री मोहनखेड़ा तीर्थ पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों नवकार आराधना, 150 अट्ठाइयां और विविध तपस्याओं के साथ सानंद सम्पन्न हुआ ।
पर्युषण पर्व की अवधि में भीनमाल निवासी नाहर श्री घेवरचंदजी बाबूलालजी की ओर से भीनमाल में उपधान तप करवाने की विनती आचार्यश्री की सेवामें प्रस्तुत की जिसे स्वीकार कर लिया गया ।
वर्षावास के पश्चात् गुरुसप्तमी पर्व के अवसर पर आहोर निवासी वजावत श्री छगनराजजी नगराजजी की ओर से नवाणुयात्रा करवाने की विनती की । इस उपलक्ष्य में मुनिराज श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म. सा. तथा मुनिराज श्री हितेशचन्द्र विजयजी म.सा. को पालीताणा जाने का आदेश आचार्यश्री द्वारा दिया गया ।
पूज्य आचार्यश्री ने अन्य मुनियों के साथ श्री मोहनखेडा तीर्थ से भीनमाल के लिये विहार किया और मार्गवर्ती ग्राम नगरों को पावन करते हुए भीनमाल नगर में समारोहपूर्वक प्रवेश किया। जहां आपके सान्निध्य में उपधान तप, 161 छोड़ का उद्यापन आदि सम्पन्न हुए । उपधान तप में 300 आराधकों ने सम्मिलित होकर आराधना की । उपधान तप की माला चैत्र कृष्णा त्रयोदशी सं. 2044 को सम्पन्न हुई।
उधर पालीताणा में वैशाख कृष्णा प्रतिपदा को नवाणु रोपण की माला सम्पन्न हुई ।
भीनमाल में मुनिराजश्री जिनेन्द्र विजयजी म.सा. एवं साध्वीजी श्री प्रमितगुणाश्रीजी, साध्वीजी श्री रश्मिरेखाश्रीजी, साध्वीश्री अनुभवद्रव्यश्रीजी आदि की बड़ी दीक्षा सम्पन्न हुई । भीनमाल का कार्यक्रम सम्पन्न कर नवपद ओली जी की आराधना के लिये आचार्यश्री ने बागरा की ओर विहार कर दिया ।
बागरा पधारने पर आचार्यश्री का नगर प्रवेश समारोहपूर्वक करवाया गया और बागरा निवासी श्री सौभाग्यमलजी की ओर से भागली में निर्मित नूतन धर्मशाला लक्ष्मणधाम में प्रवेश हुआ । यही नवपद ओलीजी की आराधना सम्पन्न हुई । ओलीजी की आराधना के कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात् आचार्यश्री ने यहां से विहार कर दिया । आहोर, गुढ़ा, राणकपुर, उदयपुर, बांसवाडा आदि मार्गवर्ती ग्राम नगरों को पावन करते हुए आचार्यश्री श्री मोहनखेडा तीर्थ पधारे ।
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
हेगेन्द्र ज्योति* हेमेन्द ज्योति
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