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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
सं. 2045 का वर्षावास कोठारी श्री चम्पालालजी वस्तीमलजी की ओर से श्री मोहनखेडा तीर्थ पर सम्पन्न किया।
पू. आचार्य श्री की आज्ञा से इस वर्षावास काल में भीनमाल में मुनिराज श्री नरेन्द्रविजयजी म. द्वारा चौमुखी मंदिर में श्री गौतमस्वामीजी एवं मुनिराज श्री देवेन्द्र विजयजी म. की प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई । इसी प्रकार फीरोजाबाद में आचार्यश्री की आज्ञा से जिनालय में सुसाध्वीश्रीजी श्री मुक्तिश्रीजी म. के सान्निध्य में यक्ष यक्षिणी की मूर्ति की प्रतिष्ठा हुई।
मोहना (महाराष्ट्र) में गुरुमंदिर की प्रतिष्ठा आचार्यश्री के आदेश से मुनिराज श्री लेखेन्द्र शेखर विजयजी म. एवं मुनिराज श्री लोकेन्द्र विजयजी म. ने करवाई। नरेल (महा.) में भी जिनमंदिर की प्रतिष्ठा करवाने का आदेश दोनों मुनिराजों को दिया । इसी प्रकार के प्रतिष्ठा, उद्घाटन, अठारह अभिषेक आदि के कार्यक्रम भी आचार्यश्री की आज्ञा से आज्ञानुवर्ती मुनिराजों और साध्वियों जी द्वारा सम्पन्न करवाये गये ।
मुनिराज श्री जयप्रभविजयजी म. को श्री सम्मेदशिखरजी की यात्रा की आज्ञा के साथ में मुनिराज श्री हितेशचन्द्र विजयजी थे । मुनिराज श्री जयप्रभविजयजी तीर्थ यात्रा करते हुए बनारस पधारे। यहां उनका वर्षावास हुआ और दि. 5-11-1989 को पंडित सभा काशी द्वारा मुनिराज को सम्मानित करते हुए ज्योतिषाचार्य की उपाधि से अलंकृत किया ।
सं. 2046 का वर्षावास आचार्यश्री का श्रीकिशोरमलजी सुमेरमलजी, भीनमाल वालों की ओर से श्री मोहनखेडा तीर्थ पर हुआ। जहां श्री सुमेरमलजी हजारीमलजी लुंकड, भीनमाल से संघ सहित आचार्यश्री की सेवा में और मनमोहन पार्श्वनाथ एवं गुरूमंदिर की अंजनशालाका हेतु विनती की ।
वर्षावास काल में सामूहिक नवकार आराधना के साथ ही अन्य धार्मिक कार्यक्रम भी सम्पन्न हुए । वर्षावास के पश्चात् श्री मोहनखेडा तीर्थ से विहारकर बांसवाडा पधारे जहां आपके पावन सान्निध्य में गुरु सप्तमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। यहां से विहार कर मार्गवर्ती ग्राम-नगरों में गुरुगच्छ की ध्वजा फहराते हुए आचार्यश्री भीनमाल पधारे । जहां माघ शुक्ला चतुर्दशी को श्री सुमेरमलजी हजारीमलजी लुंकड, द्वारा नव निर्मित मंदिर में भगवान मनमोहन की अंजनशलाका एवं गुरु मूर्तियों की प्रतिष्ठा सम्पन्न करवाई । इस समय भी विभिन्न क्षेत्रों में अपने आज्ञानुवर्ती मुनिराजों एवं साध्वियां को ओदश देकर वीस स्थानक उद्यापन दीक्षा, अट्ठाई महोत्सव आदि विभिन्न धार्मिक कार्य सम्पन्न करवाये ।
फाल्गुन शुक्ला नवमी को सोहनी उद्यान कुंदनपुर (काकमाड़ा) में नाहर श्री सुखराज बाबूलाल चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा निर्मित श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिन मंदिर की प्रतिष्ठा आपके सान्निध्य में सम्पन्न हुई और फाल्गुन शुक्ला एकादशी को आपने पालीताणा की ओर विहार कर दिया । विभिन्न ग्राम नगरों को पावन करते हुए आचार्यश्री ने चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को पालीताणा में प्रवेश किया । स्मरण रहे कि दादावाडी एवं श्री राजेन्द्र जैन भवन पालीताणा के ट्रस्टियों ने पालीताणा में प्रतिष्ठोत्सव के लिए आचार्यश्री की सेवा में भीनमाल पधारकर विनंती की थी । आपके पालीताणा पधारते ही गतिविधियों में तीव्रता आ गई । दिनांक 14-4-90 को ट्रस्ट मण्डल की बैठक हुई और उसमें प्रतिष्ठोत्सव का निर्णय किया । साथ ही आवश्यक तैयारियां भी प्रारम्भ हो गई । इतना ही नहीं ट्रस्ट मण्डल ने आचार्यश्री से वर्ष 2047 का वर्षावास पालीताणा स्थित श्री राजेन्द्र जैन भवन में कराने का निर्णय लिया और उसके अनुरूप आचार्यश्री की सेवा में उपस्थित होकर ट्रस्ट मण्डल ने वर्षावास हेतु विनती की । वैशाख शुक्ला त्रयोदशी को वर्षावास का निर्णय हो गया, स्वीकृति मिल गई । ज्येष्ठ शुक्ला चतुर्दशी को आचार्यश्री का श्री राजेन्द्र जैन भवन में भव्य प्रवेशोत्सव हुआ । प्रतिष्ठोत्सव समारोहपूर्वक सानन्द सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर पुत्तलिकाओं की एक प्रदर्शिनी भी लगाई गई थी, जो दर्शनार्थियों के आकर्षण का विशेष केन्द्र बनी रही ।
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