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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
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मंगल अभिनन्दन
भगवन्त राव गाजरे निम्बाहेडा
धार्मिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक चेतना के प्रकाश पुंज, व्यक्ति, समाज व राष्ट्र के प्रेरक तथा पथ प्रदर्शक जन-जन के उद्धारक, अन्तर्मन के आत्मा के सच्चे शोधक, पीड़ित मानवता की सेवा में जीवन मूल्यों के विकास में सद्वृत्तियों की जागृति में सदा सर्वदा समर्पित साहित्य संस्कृति की अबाध गति मति तथा शक्ति-भक्ति के महान-बलवान मूल्यवान सबल स्तम्भ, सरल, सौम्य एवं वन्दनीय श्रावकों के अभिनन्दनीय, चिन्तक, विचारक, दार्शनिक समता व क्षमता के स्वरूप ज्ञान-भक्ति कर्म में एक रूप परम पूजनीय जैनाचार्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. आप जैसे त्यागी तपस्वी, जीवन मूल्यों के पालक, सेवा - संयम-साधना के उद्घोषक भगवान महावीर के आदर्शों के प्रचारक-प्रसारक परार्थ की ओर उन्मुख, सत्य से साक्षात्कार हेतु उत्सुक, इच्छुक नवपथ के प्रणेता सदैव धन्य है - आपकी साधना, सतत-अटूट आराधना प्रफुल्लित है जिसमें भव्य आत्मा का अमूल्य आलोक ऐसी महान विभूति को कोटिशः अभिनन्दन के बाद उनके पावन चरणों में शत-शत ही नहीं सहस्रबार मन आत्मा से वन्दन तथा सश्रद्धा सादर समर्पित यह भावपूर्ण, भाषारहित मंगल अभिनंदन |
पारदर्शी काव्यांजलि (मनहरण - कवित्त)
सन्तों ने संसार सारा, सत्य से सजा सँवारा,
राजस्थान प्रान्त जहाँ, जालोर जिला है वहीं,
ज्ञान का ही दान दिया, विद्वेष मिटाया है
पिता ज्ञानचन्द माता उजमबाई के प्यारे,
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गाँव 'बागरा' में एक, पुण्य जीव आया है ।
पूत पग पालने दिखे है सारा जग जाने,
-छन्दराज पारदर्शी 261, ताम्बावती मार्ग, आयड, उदयपुर - 313001.
पूनमचन्द ने खूब लाड़ प्यार पाया है ।
पारदर्शी विलक्षण, बालक कहाया है ।
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देख विराट ललाट, एक ज्ञानी ने बताया,
जिन शासन का यह, नायक ही आया है ।
पिता-माता घबराए साधु-सन्तों से बचाए,
हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति
जागे पुण्य संस्कार, मान संसार असार,
पर होनहार कोई, टाल नहीं पाया है ।
दृढ़ संकल्प के धनी, पारदर्शी नाना गुणी,
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करूँ दीक्षा अंगीकार, भाव मन भाया है ।
आई जितनी बाधाएँ, हो गया सफाया है।
हमे ज्योति हेमेन्द्र ज्योति