________________
श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
निम्नांकित पद में राज सभा और वहां होने वाले न्याय का विवरण दिया गया है :
श्रीषेण की राजसभा अनूठी, सामन्त बैठे बन के विनोदी ।
चर्चा वहां अनेकों चलती वहां थी, जो न्याय होता वह सत्य होता | इस महाकाव्य में प्रकृति विवरण भी सुन्दर रीत्यानुसार वर्णित है । अपहरण का विवरण भी इस काव्य में है। देखें:
दोनों भाई तब कनकश्री को उठाके चले वे | ले जाते हैं यह नगर में घोषणा की उन्होंने | धोखा देका अरर | तनूजा ले चले जा रहे है ||
दौड़ो | दौड़ो | त्वरित पकड़ो, व्योम मार्ग गये हैं || उपर्युक्त पद्य में आकाश मार्ग से जाने का उल्लेख यातायात के साधनों का संकेत करता हैं यह अन्वेषणीय है कि उस समय आकाश मार्ग के लिये कौन से साधन थे? निम्नांकित पद्य में चक्रवर्ती, राजा और मांडलिक राजा का विवरण है और सेवा करने का भी उल्लेख है ।
षट्खण्ड साधे पद चक्रवर्ती । जो पार्ववर्ती नृप मांडलीकः ।। आते पदों में नृपराज के ही ।
सेवा करे नित्य प्रमोदकारी || युद्ध का विवरण देखें:
होके सन्नर द्वय लड़ते युद्ध भूमि बनी थी । भागा था सैन्य तब उसका पुत्र भागा कहीं था ।
दौड़ा था मेघरथ पर मैदान में दत्त हारा ।
योद्वाओं ने त्वरित उसको बांध डाला वहीं था | कृषकों की प्रसन्नता का विवरण देखें :
सुभग भाद्रव की वदि सप्तमी ।
कृषक हर्षित भाव मना रहे || फसल को लख सुन्दर क्षेत्र की |
मधुर गीत को शिशु मण्डली || और आगे देखें :
नीलाम्बरी थी वसुधा सुघती | गोपाल गायें वन में चराते || निष्काम से खेत निवास वाले |
पक्षी उड़ाते निज खेत में से || कहने का तात्पर्य यह है कि इसी प्रकार यदि काव्य कृतियों का गहराई से अध्ययन किया जावे तो जिन बिन्दुओं का हमने उल्लेख किया है, उनके अनुसार, विवरण मिल सकता है और एक अच्छा शोध प्रबन्ध तैयार हो सकता है । आचार्य श्री की अन्य काव्यकृतियों में भी कुछ उदाहरण यहां प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
15
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
Epr
a
se clilly