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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
4 प्रेरणा स्रोत : आचार्यश्री
-शांतिलाल जे. जैन, सियाणा
जिन शासन के प्रचार प्रसार में एवं उसको गौरवान्वित करने में हमारे श्रद्धेय साधु-साध्वी वृंदों का योगदान सर्व विदित है । दूरस्थ से दूरस्थ क्षेत्रों में पाद विहार करते हुए ये पहुंच जाते हैं और जिनवाणी की अमृत वर्षा कर संतप्तजनों को सुख पहुंचाते हैं । अहिंसा और शांति का संदेश देते हैं । मानवीय मूल्यों की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं ।
जब यह जानकारी मिली कि राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमदविजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन कर उनके श्री चरणों में समर्पित किया जायेगा तो मन प्रसन्नता से भर गया । श्रद्धेय आचार्य भगवन का दीर्घ दीक्षा पर्याय सबके लिये अनुकरणीय हैं । एक आदर्श है । श्रद्धेय आचार्य भगवन ने अपने संयमकाल में सेवा के उच्च आदर्श स्थापित किये हैं और प्रारम्भ से ही बालकों में संस्कार वपन का कार्य किया है जो आज भी सतत् चल रहा है । आज भी वे बच्चों को उतना ही चाहते हैं तथा उन्हें सदैव सत्कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करते रहते हैं।
मैं श्रद्धेय आचार्य भगवन के सुदीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए उनके चरणों में वंदन करता हुआ अभिनन्दन ग्रन्थ के आयोजन की सफलता की हृदय से कामना करता हूं।
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आशीर्वाद बना रहे
-संघवी सांकलचंद चुन्नीलाल, तांतेड, भीनमाल
यह जानकर अत्यन्त हर्ष हुआ कि राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमदविजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंत के अवसर पर एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन होने जा रहा है ।
वि. सं. 2053 के चातुर्मास की विनंती स्वीकार कर आपश्री ने जो उपकार हमारे परिवार पर किया वह अविस्मरणीय है । आपके पावन सान्निध्य में उस वर्ष उपधान तप की आराधना भी सम्पन्न हुई जिससे आपश्री ने हमारे सपने को साकार किया । आपश्री की इस अनुकम्पा के लिये हम आजीवन आपके आभारी रहेंगे । चातुर्मास काल की वे स्मृतियां और श्री शंखेश्वर तीर्थ के दर्शन मन को सुख एवं शांति प्रदान करते हैं ।
प. पू. आचार्य भगवन सुदीर्घकाल तक स्वस्थ रहते हुए अपना आशीर्वाद बनाये रखे । यही हार्दिक शुभ कामना है। पू. आचार्य श्री के चरणों में कोटि कोटि वंदन ।
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
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हेमेन्द्र ज्योति * हेमेन्द्र ज्योति