Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. १२ : उ. १० : सू. २००-२०४
दसवां उद्देशक अष्टविध-आत्म-पद २००. भंते! आत्मा कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है?
गौतम ! आत्मा आठ प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-द्रव्य-आत्मा, कषाय-आत्मा, योग-आत्मा, उपयोग-आत्मा, ज्ञान-आत्मा, दर्शन-आत्मा, चरित्र-आत्मा और वीर्य-आत्मा। २०१. भंते ! जिसके द्रव्य-आत्मा है क्या उसके कषाय-आत्मा है? जिसके कषाय-आत्मा है, क्या उसके द्रव्य-आत्मा है ? गौतम ! जिसके द्रव्य-आत्मा है उसके कषाय-आत्मा स्यात् है, स्यात् नहीं है। जिसके कषाय-आत्मा है उसके द्रव्य-आत्मा नियमतः है। २०२. भंते ! जिसके द्रव्य-आत्मा है क्या उसके योग-आत्मा है ? जिसके योग-आत्मा है, क्या उसके द्रव्य-आत्मा है ? गौतम! जिसके द्रव्य-आत्मा है उसके योग-आत्मा स्यात् है, स्यात् नहीं है। जिसके योग-आत्मा है उसके द्रव्य-आत्मा नियमतः है। २०३. भंते ! जिसके द्रव्य-आत्मा है, क्या उसके उपयोग-आत्मा है ? जिसके उपयोग-आत्मा है, क्या उसके द्रव्य-आत्मा है ? इसी प्रकार सर्वत्र पृच्छा करणीय है । गौतम ! जिसके द्रव्य-आत्मा है उसके उपयोग-आत्मा नियमतः है। जिसके उपयोग-आत्मा है उसके द्रव्य आत्मा-नियमतः है। जिसके द्रव्य-आत्मा है, उसके ज्ञान-आत्मा की भजना है। जिसके ज्ञान-आत्मा है उसके द्रव्य-आत्मा नियमतः है। जिसके द्रव्य-आत्मा है, उसके दर्शन-आत्मा नियमतः है। जिसके दर्शन-आत्मा है, उसके द्रव्य-आत्मा नियमतः है। जिसके द्रव्य-आत्मा है, उसके चरित्र-आत्मा की भजना है। जिसके चरित्र-आत्मा है, उसके द्रव्य-आत्मा नियमतः है। जिसके द्रव्य-आत्मा है, उसके वीर्य-आत्मा की भजना है। जिसके वीर्य-आत्मा है, उसके द्रव्य-आत्मा नियमतः है। २०४. भंते ! जिसके कषाय-आत्मा है उसके योग-आत्मा होती है? पृच्छा।
गौतम ! जिसके कषाय-आत्मा है उसके योग-आत्मा नियमतः है। जिसके योग-आत्मा है उसके कषाय-आत्मा स्यात् है, स्यात् नहीं है। इसी प्रकार उपयोग-आत्मा भी कषाय-आत्मा के समान ज्ञातव्य है। कषाय-आत्मा और ज्ञान-आत्मा ये दोनों परस्पर भजनीय है। जैसे कषाय-आत्मा और उपयोग-आत्मा की वक्तव्यता है वैसे ही कषाय-आत्मा और दर्शनआत्मा, कषाय-आत्मा और चरित्र-आत्मा ये दोनों परस्पर भजनीय है। जैसे कषाय-आत्मा और योग-आत्मा की वक्तव्यता है वैसे ही कषाय-आत्मा और वीर्य-आत्मा भी वक्तव्य
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