Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. २४ : उ. ३ : सू. १५२-१५५ हैं? संख्यात वष की आयु वाले अपर्याप्त-संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते
हैं?
गौतम! संख्यात वर्ष की आयु वाले पर्याप्त-संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं, संख्यात वर्ष की आयु वाले अपर्याप्त-संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न नहीं
होते। (पहला गमक : औधिक और औधिक) १५३. भन्ते! संख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव नागकुमारों में उपपन्न होने योग्य है, भन्ते! वह कितने काल की स्थिति वाले नागकुमारों में उपपन्न होता है? गौतम! जघन्यतः दस हजार वर्ष की स्थिति वाले, उत्कृष्टतः कुछ अंश कम दो पल्योपम
की स्थिति वाले नागकुमारों में उपपन्न होता है। (दूसरे से नवें गमक तक)
इसी प्रकार असुरकुमारों में उपपद्यमान की वक्तव्यता, वैसी ही नौ गमकों में वक्तव्य है (भ. २४/१४०-१४१), इतना विशेष है-नागकुमार की स्थिति और कायसंवेध ज्ञातव्य है। शेष पूर्ववत्। १५४. यदि मनुष्यों से नागकुमारों में उपपन्न होते हैं तो क्या संज्ञी-मनुष्य से उपपन्न होते हैं? असंज्ञी-मनुष्य से उपपन्न होते हैं?
गौतम! संज्ञी-मनुष्यों से उपपन्न होते हैं, असंज्ञी-मनुष्यों से उपपन्न नहीं होते, जैसे असुरकुमार में उपपद्यमान की भांति (भ. २४/१३४-१३५) यावत्अठारहवां आलापक : नागकुमार में असंख्यात वर्ष की आयु वाले (पर्याप्त-) संज्ञी
-मनुष्य (यौगलिकों) का उपपात-आदि (पहला, दूसरा और तीसरा गमक : औधिक और औधिक, औधिक और जघन्य, औधिक
और उत्कृष्ट) १५५. भन्ते! असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी-मनुष्य, जो नागकुमारों में उपपन्न होने योग्य है, भन्ते! वह कितने काल की स्थिति वाले नागकुमारों में उपपन्न होता है? गौतम! जघन्यतः दस-हजार-वर्ष, उत्कृष्टतः कुछ-अंश-कम-दो-पल्योपम की स्थिति वाले नागकुमारों में उपपन्न होता है, जैसे असंख्यात वर्ष की आयु वाले तिर्यग्योनिकों की नागकुमारों में (उपपन्न होने पर) जो प्रथम तीन गमक कहे गए, यहां भी वक्तव्य हैं (भ. २४/१४६-१४९), इतना विशेष है-पहले और दूसरे गमक में शरीरावगाहना-जघन्यतः कुछ-अधिक-पांच-सौ-धनुष, उत्कृष्टतः तीन गव्यूत। तीसरे गमक में अवगाहना-जघन्यतः कुछ-अंश-कम-दो-गव्यूत, उत्कृष्टतः तीन गव्यूत। शेष पूर्ववत्।
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