Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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अशुद्ध १,३ |-कृतयुग्म-कृतयुग्म
|-जीवों (भ. ४०/१-५) में बतलाया
चाहिए,
पंक्ति
अशुद्ध १० वैसा
(वेसा १२ (प. ४०/१-५) में बतलाया गया | (भ. ४०/१-४) में (बतलाया गया 'अनन्त वार' तक।
अनन्त बार। बतलाना
(बतलाना बतलाया गया
(बतलाया गया) ३ सम्पूर्ण से यहां बतलाना चाहिए निरवशेष (यहां बतलाना चाहिए) २ वे जीव
(वे जीव) २,३ बतलाना चाहिए
(बतलाना चाहिए। सोलह युग्मों
सोलह ही युग्मों १ प्रथम समय के
(प्रथम-समय के) -कृतयुग्म-कृतयुग्म
(कृतयुग्म-कृतयुग्म१९.२६
-पंचेन्द्रिय-जीवों के विषय में -पंचेन्द्रिय-जीवों) के शतक में बतलाना चाहिए
(बतलाना चाहिए)
१९.२६
शुद्ध (-कृतयुग्म-कृतयुग्म-जीवों) (भ. ४०/१-४) (बतलाया (चाहिए), (इन जीवों का विषयक-) शतक (भ. ४०/१०) मे (बतलाई गई वैसी बतलानी चाहिए), अनन्त बार। (कृतयुग्म-कृतयुग्म-) (-पंचेन्द्रिय (अन्तर)-)शतक (भ. ४०/१-४) बतलाया गया वैसा भवसिद्धिक (-कृतयुग्म|-विषयक-) प्राण (भ. ४०/४) (भूत, (गौतम!) वह (-कृतयुग्म-विषयक-) (भ. ४०/१-४) (बतलाया चाहिए। भवसिद्धिक (-कृतयुग्म-विषयक-(शतक (भ. ४०/१७)। भी (बतलाना चाहिए) (कृतयुग्म-कृतयुग्म-) (औधिक-) शतक (भ. ४०/१९
गमक वाले हैं, तथा शेष आठ
पृष्ठ सूत्र पंक्ति
अशुद्ध | ४ | ४ |बार तक (उत्पन्न
बार (उपपत्र ४ | ५ |'अनन्त बार' तक,
अनन्त बार, इन जीवों का
(इन जीवों का) बतलाया गया वैसा ही बतलाना । (भ. ३६/१) बतलाया गया वैसा | चाहिए
ही) बतलाना चाहिए) | बतलाना चाहिए।
| (बतलाना चाहिए। | इन जीवों का
(इन जीवों का) | जैसा प्रथम
जैसा इन्हीं (कृतयुग्म-कृतयुग्म-संज्ञि
-पंचेन्द्रिय-जीवों के विषय में) प्रथम (भ. ४०/३)
(भ. ४०/१,३) कृतयुग्म-कृतयुग्म-संज्ञी पंचेन्द्रिय- (बतलाना -जीवों के विषय में बतलाया चाहिए।
(चाहिए। इन जीवों की
| (इन जीवों की) कृतयुग्म-कृतयुग्म
(कृतयुग्म-कृतयुग्म-) बतलाया गया वैसा बतलाना (बतलाया गया (भ. ३६/४) वैसा चाहिए।
ही बतलाना चाहिए। ७ | शुक्लेश्य होते हैं तक बतलाना शुक्ललेश्य होते हैं (तक बतलाना
चाहिए। इन जीवों के चाहिए) । (इन जीवों के) | बतलाया गया यावत्
(बतलाया गया) (भ. ३६/४) यावत् ।८ | 'अनन्त बार'
अन्त बार | तक बतलाना चाहिए (तक बतलाना चाहिए) | ये जीव
| (ये जीव) बतलाना चाहिए
(बतलाना चाहिए) | आदि सभी बोल
(आदि) सभी (बोल) बतलाने चाहिए
(बतलाने चाहिए) १,३-४ बतलाने चाहिए
(बतलाने चाहिए। | २ में बतलाये गये थे (भ. ३६/६), में (भ. ३६/६ में) बतलाये गये थे), ... | ३ आठ
आठों ही |कृतयुग्म-कृतयुग्म-संज्ञी-पंचेन्द्रिय- (कृतयुग्म-कृतयुग्म-) संज्ञि जीवों
(-पंचेन्द्रिय-जीवों) | २ में बतलाया
में प्रथम उद्देशक (भ. ४०/१-४) में
(बतलाया , ३,८, चाहिए
चाहिए)
गमक वाले (वक्तव्य हैं), शेष आठों
जीवों के विषयक-शतक में बतलाया गया वैसा बतलाना चाहिए. -अनन्त बार' तक। कृतयुग्म-कृतयुग्म-पंचेन्द्रिय | (अन्तर)-शतक में बतलाया गया
वैसा भवसिद्धिक-कृतयुग्म-विषयकप्राण (भूत, गौतम! वह -कृतयुग्म|-विषयकबतलाया चाहिए। भवसिद्धिक-कृतयुग्म-विषयक-शतक भी बतलाना चाहिए कृतयुग्म-कृतयुग्मऔधिक-शतक
१५ | ३ ९४११७.१९, १
वाले हैं। |-जीवों
वाले (वक्तव्य है)। -जीवों)
इन जीवों का
१७,१९,
२१ ।
(इन जीवों का)
.१०
संस्थान काल होता है
९४११७.१९, ३
संस्थान-काल (होता है)
| १
भवसिद्धिक-कृतयुग्म- भवसिद्धिक (-कृतयुग्म२-३ | विषयक सात शतक बतलाने चाहिए विषयक) भी सात शतक (बतलाने
चाहिए), प्राण यावत्
प्राण (भ. ३५/१२) यावत्
२.८
इन जीवों की ९४११७.१९४५ बतलाना चाहिए ९४१ २१
३-४ इन जीवों की ४,६ बतलाना चाहिए
१७. जैसा |-कृतयुग्म-कृतयुग्म-जीवों बतलाया गया वैसा बतलाना चाहिए इन जीवों के होता है। इन जीवों की
बतलानी चाहिए ६ पांचों शतकों
बतलाया गया वैसा |'अनन्त बार तक। शतक औधिक जैसा
(इन जीवों की) (बतलाना चाहिए (इन जीवों की) (बतलाना चाहिए) २३. जैसा (-कृतयुग्म-कृतयुग्म-जीवों) (बतलाया गया (भ. ४०/२१) वैसा (बतलाना चाहिए) (इन जीवों का) (होता है)। (इन जीवों की) (बतलानी चाहिए) पांच शतकों (बतलाया गया (भ. ४०/१०) वैसा अनन्त बार। शतक जैसा औधिक जैसी
१४ ३-४
है-इन जीवों के बन्ध और वेदना के विषय में ये जीव उदयी ये जीव
कृतयुग्म-कृतयुग्म| ७ में बतलाया गया वैसा
है-(ये जीव) क्या बन्धक और वेदक होते हैं, क्या उदयी (ये जीव) (कृतयुग्म-कृतयुग्म-) (भ. ३६/१-२) में (बतलाया गया वैसा (इन जीवों के)
यह अर्थ संगत नहीं है' तक वह अर्थ संगत नहीं है (तक चाहिए.
चाहिए), बतलाना चाहिए।
(बतलाना चाहिए। | २ इन जीवों का उपपात वैसे ही (इन जीवों का) उपपात उसी प्रकार
बतलाना चाहिए। (भ. ४०/२७) |(बतलाना चाहिए) (जैसा भ. ४०/ केवल
२७) में बतलाया गया), (केवल) ९४३ | ३६ ३,१० इन जीवों का
(इन जीवों का) ., , ४,७ कृतयुग्म-कृष्णलेश्य-विषयक-शतक कृष्णलेश्य (कृतयुग्म-विषयक) शतक में बतलाया
(भ. ४०/१०,१२,१३,१५) में
बतलाया) ९४३ | ३६ ५.९, चाहिए
चाहिए) ११.१५
र जीवों के
४९