Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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पृष्ठ
पृष्ठ सूत्र पंक्ति
अशुद्ध ३६ ५-७.१ ये जीव
| ८ कृतयुग्म-संज्ञी। ८ विषयक-शतक
बतलाये बतलाई इन जीवों में | इन जीवों की | बतलानी चाहिए
(ये जीव) -कृतयुग्म-संज्ञि विषयक-) शतक (बतलाये (बतलाई (इन जीवों में) (इन जीवों की) (बतलानी चाहिए),
में भी
सूत्र पंक्ति अशुद्ध
पंक्ति अशुद्ध
शुद्ध ८ इन जीवों की (इन जीवों की)
वे जीव
(वे जीव) बतलानी चाहिए (बतलानी चाहिए)
| ये जीव
(वे जीव) इन जीवों में (इन जीवों में)
२ | अथवा
(अथवा) क्या सभी प्राण (भूत (क्या) सभी प्राण (भूत
(वे) १ | तो क्या
-तो क्या ये अभवसिद्धिक ये सात अभवसिद्धिक
२ | वे जीव
(वे जीव) विषयक सात शतक विषयक-शतक
४१ ये जीव
(वे जीव) १ ये संज्ञीये इक्कीस संज्ञि
हैं तो १ विषयक इक्कीस शतक विषयक-शतक
|२-४ | राशियुग्म-कृतयुग्म
| (राशियुग्म-कृतयुग्म-) २ महायुग्म-जीव-विषयक इक्यासी इक्यासी
२ -जीवों के विषय में बतलाया गया |-जीव (भ. ४१/३-१४ में) शतक
(बतलाए गए) २ | सम्पूर्ण रूप में
निरवशेष ५ शतक हैं। शतक हैं)
३ | बतलाया चाहिये।
(बतलाने चाहिये)। शतक ४१
३-४ | जीवो' तक बतलाना चाहिए (-जीव बतलाने चाहिए), १ शीर्षक | आदि-पद आदि का पद
५ | बतलाना चाहिए
(बतलाना चाहिए) १ कितने प्रकार के प्रज्ञप्त कितने प्रज्ञप्त
| राशियुग्म-कृतयुग्म मनुष्यों के विषय | (राशियुग्म-कृतयुग्म) मनुष्य भी ,, | २ |चार प्रकार के प्रज्ञप्त चार प्रज्ञप्त
में भी २ कृतयुग्म यावत् कृतयुग्म (भ. ३१/१) यावत्
६ बतलाना चाहिए
(वक्तव्य हैं) ३ कल्योज)। (भ. ३१/१) कल्योज)।
७ | राशियुग्म-कृतयुग्म मनुष्यों के विषय (राशियुग्म-कृतयुग्म मनुष्य भी २,३ |जैसे- कृतयुग्म
जैसे-कृतयुग्म १ इन जीवों का (इन जीवों का)
| ७ | बतलाना चाहिए
(वक्तव्य हैं) | २ |पण्णवणा के छट्टे पद में अवक्रान्ति (पण्णवणा के छठे पद में) अवक्रान्ति |९४८१६-२४ १ | ये जीव
(वे जीव) (सू. ७०-८०) में बतलाया -पद (६/७०-८०) में (बतलाया
२ |अथवा
(अथवा) ३ वक्तव्य है वक्तव्य है)
९४८१७-२४ १ | हैं तो २ राशियुग्म (राशियुग्म ९४८ १७,१८, १ । अथवा
(अथवा) समय में समय में)
२०,२२, हैं ? या अन्तर हैं? (अथवा) अन्तर
२३ | २ राशियुग्म
(राशियुग्म
९४८| १८ | १ | यदि ये जीव हैं तो क्या यदि (वे जीव) अलेश्य हैं तो क्या ., | १९| ३ | हां, उसी
हां (वे जीव) ६ प्रतिसयम प्रतिसमय ९४८ २०,२६ २ वे जीव
(वे जीव) (क्या) २१ | ३ | उनमें से
(उनमें से) |१-२ | प्रकार पूरा उद्देशक
| प्रकार उद्देशक (भ. ४१/३-५) | इन जीवों का
(इन जीवों का) १ वे जीव (वे जीव)
३ | इन जीवों के
(इन जीवों के) क्या क्या)
४ | बतलाना
(बतलाना ३ बतलाया गया है (बतलाया गया है)
४ | गया है।
गया है)। ४ उद्देशक (सू. ६२०) में उद्देशक (भ. २५/६२०) में
१.२ | क्या
(क्या) .. | ६ पर प्रयोग से पर-प्रयोग से
१ वे जीव क्या) ९ | ५ 'अपने अपने
१,२ | होते हैं उस
होते हैं क्या उस ९ । ६ होते तक।
२८ | ३ | राशियुग्म-कल्योज नैरयिक जीवों | (राशियुग्म-) कल्योज-(नैरयिक९४७ १० | १ |यें।
-जीवों) |९४७ १०,१३१ अथवा (अथवा)
४ | बतलाना चाहिए, शेष
(बतलाना चाहिए). शेष
, क्या सभी प्राण जीव
| (क्या) सभी प्राण (जीव १४ यह १४ कृष्णलेश्य-कृतयुग्म-संज्ञी कृष्णलेश्य (-कृतयुग्म-कृतयुग्म
संज्ञि१५ | विषयक
विषयक-) बतलाया
(बतलाया अनन्त बार तक । इसी प्रकर सोलह | अनन्त बार । इस प्रकार सोलह बतलाना चाहिए।
(बतलाना चाहिए। अकर उत्पन्न होते हैं.....? आकर उत्पन्न होते हैं? कृतयुग्म-कृतयुग्म-संज्ञी (कृतयुग्म-कृतयुग्म-) संज्ञी बतलाया
(बतलाया ४ चाहिए
चाहिए) इन जीवों के
(इन जीवों के) बतलाना चाहिए।
| (बतलाना चाहिए। २ | इन जीवों का
इन में बतलाया गया है।
(बतलाया गया है) ४ अभवसिद्धिक
(अभवसिद्धिक -विषयक
-विषयक) बतलाना चाहिए
(बतलाना चाहिए) | वे जीव
(वे जीव) | इन जीवों की
(इन जीवों की) ३ | कृतयुग्म-कृतयुग्म संज्ञी पंचेन्द्रिय- (कृतयुग्म-कृतयुग्म-संज्ञि-पंचेन्द्रिय ३ -जीव-विषयक-शतक में बतलाया -जीव-विषयक-शतक (भ. ४०/
१०) में (बतलाए गए ४ बतलाना चाहिए
बतलाने चाहिए), ११. इसी
४५. इसी | अभवसिद्धिक
(अभवसिद्धिक|-विषयक
-विषयक) |-अभवसिद्धिक
(-अभवसिद्धिकविषयक-शतक
विषयक-) शतक में बतलाया गया,
(बतलाया गया), इन जीवों का
(इन जीवों का) बतलायी गयी
(बतलायी गयी) ७ -काल
-काल)
(वे)
.. |-जीव
-जीव)
क्या
वे जीव)
होते।